img

दर्द प्रबंधन का इलाज

अवलोकन

किसी भी शारीरिक, रासायनिक अथवा जैविक कारणों के द्वारा उत्पन्न होने वाला दर्द एक चेतावनी संकेत अथवा सुरक्षात्मक तंत्र होता है जो शरीर में कुछ गलत होने की ओर इंगित करता है l दर्द वास्तविक या संभावित ऊतक क्षति से जुड़ी संवेदी और भावनात्मकता का एक अप्रिय अनुभव होता है I शरीर के किसी हिस्से में चोट लगने पर उस हिस्से में जमा शारीरिक रसायनों में विक्षोभ होने लगता है तथा यह विक्षोभ उस चोट से होने वाली पीड़ा का सन्देश मस्तिष्क तक प्रचारित करता है जिससे व्यक्ति को चोट वाले हिस्से में दर्द का अनुभव होता है I शरीर में स्थित प्रोस्टेग्लैंडिन व ब्रैडिकिनिन नामक दो तत्वों की वजह से व्यक्ति को पीड़ा का अनुभव होता हैं। प्रोस्टेग्लैंडिन कई प्रकार के ऊतकों और शरीर के द्रव-पदार्थों में विद्यमान हार्मोन जैसे तत्वों का समूह होता है तथा ब्रैडिकिनिन एक बहुत ही शक्तिशाली वैसोडिलेटर तत्व होता है जिससे शरीर की नरम मांसपेशियाँ सिकु़ड़ जाती हैं I

शरीर के अंदरूनी अथवा बाहरी हिस्से में लगी चोट के कारण शरीर के ऊतको को हानि पहुँचती है तथा यह हानि व्यक्ति को दर्द का अनुभव कराती है I दर्द किसी व्यक्ति के लिए मस्तिष्क व शरीर से जुडा एक बुरा अनुभव हो सकता है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को परेशान करने वाली एक आनुभविक स्थिति होती है I कोई भी व्यक्ति दर्द की कम और ज्यादा जैसी स्थिति के परिणामस्वरूप मामूली दर्द से लेकर बहुत भारी व गंभीर दर्द महसूस कर सकता है।

अनुसंधान

जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।

हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।

गोमूत्र चिकित्सा द्वारा प्रभावी उपचार

कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का कार्य करती हैं, जो कि गाय के मूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार, यदि वे अनुपातहीन हैं, तो उसे ठीक किया जा सकता है। उनके इलाज के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई सहायक तत्व हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।

जीवन की गुणवत्ता

गोमूत्र के साथ किया गया उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और एक क्रम में शरीर के दोषों में संतुलन बनाए रखता है। आज हमारी दवा के अंतिम परिणाम के रूप में मनुष्य लगातार अपने स्वास्थ्य को सुधार रहे हैं। यह उनके दिन-प्रतिदिन के जीवन की स्थिति में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं कई प्रकार की प्रतिक्रियाओं को सीमित करने के लिए एक पूरक उपाय के रूप में काम कर सकती हैं, जो भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से आती हैं। हम मनुष्यों को सूचित करते हैं कि यदि कोई रोगी है तो उस विकार के साथ एक आनंदमय और चिंता मुक्त जीवन कैसे जिया जाए। हमारे उपाय करने के बाद हजारों मनुष्य एक संतुलित जीवन शैली जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक जीवन प्रदान करें जो वे अपने सपने में देखते हैं।

जटिलता निवारण

गोमूत्र, जिसे अक्सर दर्द के लिए अच्छा माना जाता है, का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। हमारे वर्षों के काम से साबित होता है कि हमारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ दर्द के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। हमारे मरीज शरीर में दर्द, तीव्र सनसनी, चुभन अथवा जलन जैसी अनुभूति, असहनीय व तीव्र दर्द से बुखार, नींद व भूख की कमी, हाथ पैरों में झनझनाहट, झुंझलाहट व् तनाव, हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों के  नियंत्रण और संतुलन में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं, साथ ही साथ हमारा उपचार रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करते हैं जो दर्द की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है तथा मस्तिष्क नियंत्रण और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है I

जीवन प्रत्याशा

अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात करते हैं, तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में बहुत आशावाद है। कोई भी विकार, चाहे वह मामूली हो या गंभीर, मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है और जीवन में वर्षों तक बना रहता है। रोग की पहचान होने पर जीवन प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र उपचार के साथ नहीं। न केवल हमारी प्राचीन चिकित्सा बीमारी को दूर करती है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन को उसके शरीर में किसी भी दूषित पदार्थों को छोड़े बिना बढ़ाती है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।

दवा निर्भरता को कम करना

"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है सभी को हर्षित होने दें, सभी को बीमारी से मुक्त होने दें, सभी को वास्तविकता देखने दें, कोई भी संघर्ष ना करे। इस आदर्श वाक्य के पालन के माध्यम से हमें अपने समाज को इसी तरह बनाना है। हमारा उपचार विश्वसनीय उपाय देने, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। इस समकालीन समाज में, हमारे उपाय में किसी भी मौजूदा औषधीय समाधानों की तुलना में अधिक लाभ और कमियां बहुत कम हैं।

पुनरावृत्ति की संभावना को कम करना

व्यापक चिकित्सा अभ्यास के विपरीत, हम रोग और तत्वों के मूल उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो इस पद्धति का उपयोग करके केवल बीमारी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बीमारी की पुनरावृत्ति की संभावनाओं में सुधार कर सकते हैं, हम कुशलता से पुनरावृत्ति दर को कम रहे हैं और मानव जीवन के लिए एक नया रास्ता दे रहे हैं, जो कि उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से उनके जीवन को बेहतर तरीके से जीने का एक तरीका बताते है।

दर्द के कारण 

किसी व्यक्ति को दर्द निम्नलिखित कारणों से हो सकता है - 

  • मांसपेशियों में खिंचाव 
  • शारीरिक असक्रियता
  • कमज़ोर हड्डियाँ 
  • चोट लगना
  • फ्लू अथवा फंगल संक्रमण 
  • चोट वाली जगह पर तनाव देने से
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से 
  • शारीरिक थकावट व कमज़ोरी 
  • किसी प्रकार का कैंसर 
  • माइग्रेन और अन्य सिरदर्द
  • नसों में खिंचाव अथवा नसों की क्षति 
  • मोटापा 
  • शरीर में पोषक तत्वों की कमी 
  • किसी तरह की सर्जरी
  • पीठ की समस्या
  • किसी प्रकार का गठिया रोग 
  • बढ़ती उम्र 


दर्द से निवारण 

निम्नलिखित उपायों को अपनाकर व्यक्ति दर्द होने के जोखिम से बच सकता है अथवा दर्द को गंभीर स्थिति में पहुँचने से रोक सकता है -

  • व्यायाम, योग, कसरत तथा सैर आदि दर्द से निवारण में काफी मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि यह गतिविधियाँ रक्त प्रवाह को बढाते हुए मांसपेशियों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढाता है।
  • तनाव या चिंता को कम करना तथा पर्याप्त नींद लेना व आराम करना भी दर्द मिटाने में सहायक होता है I 
  • शरीर को स्वस्थ व वजन को संतुलित बनाए रखते हुए दर्द के जोखिम को कम किया जा सकता है I 
  • पौष्टिकता से भरपूर स्वस्थ आहार का सेवन शरीर को मजबूती देता है व दर्द को दूर रखने में मदद करता है I 
  • धूम्रपान व शराब का अत्यधिक सेवन करने जैसी आदतों को कम करने अथवा त्यागने से दर्द को दूर किया जा सकता है I 
  • अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों व क्रियाओ को बढ़ाने से दर्द को नियंत्रित रखा जा सकता है I 
  • व्यक्ति की मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली उसे कई तरह के संक्रमण तथा फ्लू आदि से बचाकर रखती है जो बदले में दर्द को दूर रखने में सहायक सिद्ध होगी I 
  • शरीर में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा हड्डियों को मजबूती प्रदान करती है जो दर्द प्रबंधन में लाभदायक है खासकर बढ़ती उम्र के व्यक्तियों के लिए I
  • दर्द की प्रारंभिक अवस्था में इलाज न कराने जैसी लापरवाहियों से बचकर दर्द को गंभीर व असहनीय होने से रोकना I

दर्द के लक्षण

पीड़ा से ग्रसित व्यक्ति कई तरह के लक्षण और संकेत दर्द के साथ महसूस करता है जोकि निम्नलिखित हो सकते है -

  • तीव्र सनसनी, चुभन अथवा जलन जैसी अनुभूति 
  • सुस्त व कमजोर शरीर 
  • नींद व भूख की कमी 
  • टीस चलना 
  • शारीरिक गतिविधियों में बाधा आना 
  • दर्द से कराहना अथवा चिल्लाना 
  • असहनीय व तीव्र दर्द से बुखार आना 
  • हाथ पैरों में झनझनाहट महसूस करना 
  • गुस्सा अथवा झुंझलाहट
  • तनाव, चिंता व भय से घिरे रहना 

 

दर्द के प्रकार 

दर्द के विभिन्न प्रकार में शामिल है -

  • जोड़ों का दर्द
  • पीठ दर्द
  • पैर दर्द
  • गर्दन दर्द
  • पेट दर्द
  • कमर दर्द
  • जबड़े का दर्द
  • अंगूठों का दर्द
  • सिर का दर्द
  • हाथ दर्द 
  • घुटनों का दर्द 
  • कंधे का दर्द 
  • कलाई का दर्द

दर्द की जटिलताएँ 

किसी दर्द से लम्बे समय तक पीड़ित रहने वाले व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -

  • चलने- फिरने में परेशानी होना
  • शारीरिक गतिविधियों में कमी आना 
  • दूसरो पर निर्भरता बढ़ना
  • भूख की कमी के कारण कुपोषण का शिकार हो जाना 
  • अवसाद से ग्रस्त हो जाना 
  • मस्तिष्क की सक्रियता में कमी आना 
  • ओपियोड दर्द की दवा निर्भरता बढ़ना 
  • एकाग्रता में कमी और अल्पकालिक स्मृति 
  • चिंता, भय व परेशानियों से घिरे रहना 
  • सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयाँ होना

मान्यताएं