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अंतः स्त्रावी विकार का इलाज

अवलोकन

हार्मोन और एंजाइम जैसे रासायनिक पदार्थों को हमारे शरीर में उत्पादित करने और रक्त प्रवाह में इन पदार्थों को स्रावित करने के लिए ग्रंथियों का एक नेटवर्क होता है जिसे अंतः स्त्रावी तंत्र कहा जाता है l अंतःस्त्रावी प्रणाली में आठ प्रमुख ग्रंथियां शामिल है जो हार्मोन्स उत्पादित करती है l यह हार्मोंस शरीर के दूसरे हिस्सों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं l रक्त में स्रावित यह हार्मोंस शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं जैसे कि उपस्थित कैलोरी को शरीर की ऊर्जा में बदलकर कोशिकाओं और अंगों को शक्ति प्रदान करना, शरीर के चयापचय को नियंत्रित करना, हड्डियों, ऊतकों का विकास, यौन गतिविधियां तथा हृदय के धड़कने की प्रक्रिया आदि का ध्यान रखना l ये आठ ग्रंथियां है- पीयूष ग्रंथि, थायराइड ग्रंथि, पैराथायराइड ग्रंथि, थाइमस ग्रंथि, अग्नाशय ग्रंथि, एड्रिनलिन ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि और जनन ग्रंथि l

शरीर के सभी अलग अलग हिस्सों में फैली यह ग्रंथिया अलग अलग हार्मोंस को स्रावित करती है l यह हार्मोन्स रक्त प्रवाह से होते हुए अन्य कोशिकाओं तक जाते है तथा शरीर की कई प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में अपनी भूमिका निभाते हैं l किन्हीं कारणों के परिणामस्वरूप जब इन ग्रंथियों द्वारा स्रावित हार्मोन्स में असंतुलन होने लग जाता है तो इससे अंतः स्त्रावी तंत्र प्रभावित होने लगता है l शरीर में इन ग्रंथियों द्वारा उत्पादित हार्मोंस का स्तर बहुत अधिक अथवा बहुत कम हो जाने पर इन ग्रंथियों से जुड़े कार्यों में रुकावट पैदा होती है जिससे शरीर में कई रोग पनपने लगते हैं तथा यह रोग अंतःस्रावी विकार कहलाते हैं l

अनुसंधान

जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।

हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।

गोमूत्र चिकित्सा द्वारा प्रभावी उपचार

गोमूत्र चिकित्सीय दृष्टिकोण के अनुसार, कई जड़ी-बूटियां, शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं, जो अंतः स्त्रावी विकार का कारण बनते हैं अगर वे अनुपातहीन हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में, उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।

जीवन की गुणवत्ता

गोमूत्र के उपचार से उपयुक्त स्वास्थ्य मिलता है और एक क्रम में शरीर के दोषों में संतुलन बनाए रखता है। इन दिनों हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य को लगातार सुधार रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन-गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा का उपचार विभिन्न उपचारों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पूरक थेरेपी के रूप में कार्य कर सकते हैं जो भारी खुराक, बौद्धिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरपी के उपयोग से आते हैं। हम लोगों का मार्गदर्शन करते हैं, एक सुखी और तनाव मुक्त जीवन जीने का एक तरीका सिखाते है, यदि उन्हें कोई असाध्य बीमारी है तो। हमारे उपाय करने के बाद हजारों मनुष्य एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक जीवनशैली दें जो वे अपने  सपने में देखते हैं।

जटिलता निवारण

आयुर्वेद में, गोमूत्र की एक विशेष स्थिति है जिसे अक्सर अंतःस्रावी विकारों के लिए मददगार कहा जाता है। हमारे वर्षों के श्रमसाध्य कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी जड़ी-बूटियों का उपयोग करके, अंतःस्रावी लगभग सभी जटिलताएं गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे शारीरिक कमजोरी और थकान, शरीर में हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों में नियंत्रण महसूस करते है और रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आता है जो अन्य अंतःस्रावी जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है, साथ ही मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं को भी नियंत्रित करता हैं।

जीवन प्रत्याशा

यदि हम किसी व्यक्ति की अस्तित्व प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र उपाय स्वयं में एक बड़ी आशा हैं। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर स्थिति में होती है, जो मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है और कुछ वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार विकार की पहचान हो जाने के बाद, अस्तित्व प्रत्याशा कम होने लगती  है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय अब इस बीमारी से सबसे प्रभावी रूप से ही छुटकारा नहीं दिलाता है, बल्कि उस व्यक्ति की जीवनशैली-अवधि में भी वृद्धि करता है और उसके रक्तप्रवाह में कोई विष भी नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।

दवा निर्भरता को कम करना

"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे।  इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।

पुनरावृत्ति की संभावना को कम करना

चिकित्सा पद्धतियों की एक विस्तृत श्रृंखला की तुलना में, हम रोग के मूल कारण और उन कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो बीमारी के पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं, न कि केवल रोग के प्रबंधन पर। इस पद्धति का उपयोग करके, हमने पुनरावृत्ति दर को सफलतापूर्वक कम कर दिया है और लोगों के जीवन के लिए एक नई दिशा बताई है ताकि लोग भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर जीवन जी सकें।

अंतः स्रावी विकार के कारण 

अंतः स्रावी के कई सामान्य कारण हो सकते हैं - 

  • ऑटो इम्यून डिजीज 

ऑटो इम्यून डिजीज अंतः स्रावी विकार को विकसित करने हेतु गंभीर कारण है जो व्यक्ति को बहुत ही गंभीर स्थिति में पहुंचा सकते हैं l जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को सुरक्षित करने के विपरीत शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नष्ट करने लगती है तो यह स्थिति ऑटोइम्यून डिजीज कहलाती है l ऑटोइम्यून रोग अंतः स्त्रावी ग्रंथियों को क्षतिग्रस्त करते है जिससे टाइप 1 मधुमेह, ग्रेव्स रोग, एडिसन रोग आदि कई रोग उत्पन्न होते हैं l

  • मोटापा 

मोटापा शरीर में अत्यधिक वसा का कारण बनता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है और हार्मोन व कोशिकाओं के कामकाज को प्रभावित करता है l मोटापा कई अंतः स्रावी रोगों जैसे हाइपोथायरायडिज्म, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम आदि का कारण बनता है l

  • पारिवारिक इतिहास

आनुवांशिकता कई अंतः स्त्रावी विकारों के अंतर्निहित कारणों में से एक है l कई दुर्लभ अनुवांशिक स्थितियां परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य में पारित होती है तथा हार्मोन्स के असंतुलन को बढ़ाती है जिससे पैराथायराइड, अधिवृक्क तथा थायराइड ग्रंथियों के ट्यूमर जैसी समस्याये उभरती है l

  • अंतः स्रावी ग्रंथि में चोट 

जब किसी अंतः स्रावी ग्रंथि में कोई चोट लगती है अथवा जब वह किसी कारणवश क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उस प्रभावित ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कई अंतःस्रावी विकार उत्पन्न होने लगते है l संक्रमण, बाहरी दबाव, भौतिक कारण आदि की वजह से हुई ग्रंथी में चोट उसकी विफलता का कारण बनती है l 

  • अंतः स्रावी ग्रंथि के ट्यूमर 

अंतः स्रावी ग्रंथियों की कोशिकाओं में हुई असामान्य वृद्धि ट्यूमर का विकास करती है जिस वजह से हार्मोन्स में असंतुलन आता है l थायराइड ग्रंथि, अग्नाशय, अधिवृक्क ग्रंथियों में विकसित हुए कैंसर अंतः स्रावी विकारों का कारण बनते है जिन्हें अंतः स्रावी ट्यूमर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है l

  • कुछ दवाइयां 

कुछ दवाइयों का सेवन अंतः स्त्रावी ग्रंथियों द्वारा हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है जिससे मूड विकार, यौन रोग आदि की संभावनाएं बढ़ जाती है l सेरोटोनिन रीपटेक, इनहिबीटर्स आदि दवाइयों का सेवन अंतः स्रावी विकारों से जुड़ा हुआ है जो अनुचित हार्मोन स्राव के लिए जिम्मेदार होते है l

  • संक्रमण 

शारीरिक संक्रमण हार्मोन के स्तर को प्रभावित करते हैं तथा अंतः स्रावी ग्रंथियों को नुकसान पहुंचाते है l यह संक्रमण कुछ हार्मोंस के अति उत्पादन का कारण बनते है तथा अंतः स्त्रावी ग्रंथियों में सूजन आदि के साथ कई विकारों की उत्पत्ति का कारण बनते है l 

 

अंतः स्रावी विकार से निवारण 

एक व्यक्ति निम्नलिखित उपायों द्वारा अंतः स्रावी विकार की संभावनाओं को कम कर सकता है - 

  • व्यक्ति को अपना वजन संतुलित रखना चाहिए तथा बढ़े हुए वजन को घटाने का प्रयास करना चाहिए l
  • व्यक्ति को पौष्टिकता से भरपूर आहार तथा कम कैलोरी वाले भोजन का सेवन करना चाहिए l
  • नियमित सैर, व्यायाम, योग, कसरत आदि व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद करते है l
  • एल्कोहल तथा धूम्रपान का अत्यधिक सेवन जैसी आदत व्यक्ति को त्यागनी चाहिए l
  • व्यक्ति को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने हेतु विभिन्न प्रयास किए जाने चाहिए l
  • बढ़ती उम्र में व्यक्ति को अपनी सेहत, खानपान आदि का खास ख्याल रखना चाहिए l
  • व्यक्ति को अपने शरीर में शर्करा के स्तर को संतुलित बनाए रखना चाहिए l
  • व्यक्ति की अपने पारिवारिक इतिहास की जानकारी उसे होने वाले रोगों के प्रति जागरूक करवाती है l
  • व्यक्ति को कुछ दवाइयों का सेवन चिकित्सक से उचित परामर्श लेने के बाद  करना चाहिए l

अंतः स्त्रावी विकारों के लक्षण

अंतः स्त्रावी ग्रंथियों के आधार पर व्यक्ति में अंतः स्रावी विकारों के अलग अलग लक्षण व संकेत दिखाई देते है l निम्नलिखित सामान्य लक्षणों से अंतः स्रावी विकारों के संकेतों का पता चलता है - 

  • मांसपेशियों में कमजोरी 
  • शारीरिक कमजोरी और थकावट 
  • उल्टी, दस्त व जी मचलना 
  • हाथ व पैरों में सुन्नता
  • वज़न  का घटना 
  • अत्यधिक पेशाब आना 
  • जोड़ों तथा मांसपेशियों में दर्द 
  • सिर में दर्द 
  • पसीना अधिक आना 
  • अत्यधिक प्यास अथवा भूख 
  • दृष्टि में बदलाव 

 

अंतः स्रावी विकारों के प्रकार 

अंतः स्रावी विकार कई अलग अलग प्रकार के होते हैं - 

  • टाइप 1 और 2 मधुमेह 
  • थायराइड 
  • थायराइड ग्रंथि कैंसर 
  • एडीसन रोग 
  • ग्रेव्स रोग
  • पैराथायरायड
  • कुशिंग सिंड्रोम 
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • हाशिमोटो का थायरॉयडिटिस
  • एक्रोमिगेली
  • एड्रीनल अपर्याप्तता
  • कुशिंग सिंड्रोम
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस

अंतः स्रावी विकारों की जटिलताएं 

अंतः स्रावी विकारों से ग्रसित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है - 

  • गुर्दे की बीमारी 
  • हृदय रोग 
  • नसों की क्षति 
  • नेत्र समस्याये 
  • दंत रोग 
  • पैरों की समस्या 
  • घातक स्थिति 
  • प्रजनन क्षमता में कमी 
  • उच्च रक्तचाप 
  • विकास मंदता 
  • महिलाओं की गर्भावस्था में समस्या

विभिन्न प्रकार के अंतः स्त्रावी विकार

मान्यताएं