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लिवर रोग का इलाज

अवलोकन

यकृत मुख्यतः जिसे लिवर के नाम से जाना जाता है, हमारे शरीर के भीतर स्थित एक सबसे बड़ा ग्रंथि अंग होता है l ये लिवर शरीर के दाहिने भाग में पसलियों के ठीक नीचे तथा पेट के ऊपरी हिस्से में स्थित है l लिवर हमारे शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यो को पूरा करते हैं जैसे कि हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को शुद्ध करना, विषाक्त व रासायनिक व्यर्थ पदार्थों को रक्त में प्रवाहित होने से रोकना व उन्हें शरीर से बाहर निकालना इत्यादि l हमारा लिवर पित्त का उत्पादन करता है l यह पित्त भोजन से प्राप्त होने वाले विटामिन, वसा व कई पोषक तत्वों को पचाने का काम करता है l इसी के साथ लिवर शरीर में ग्लूकोज को संग्रहित कर के रखता है जो भोजन ना किए जाने पर हमारे लिए उपयोगी होता है l अतः लिवर शरीर के लिए अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l 

लिवर की बीमारी अथवा लिवर रोग से आशय उन रोगों से है जो लिवर की कार्य क्षमता को प्रभावित करते है l व्यक्ति को होने वाली किसी भी तरह की लिवर की बीमारी उनके लिए एक गंभीर समस्या को पैदा कर सकती है l लिवर की समस्या व्यक्तियों में काफी तेजी से फैल रही है जिससे यह समस्या बहुत आम बन चुकी है l लिवर के रोगों से व्यक्ति की पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है l लिवर से संबंधित इन बीमारियों की वजह से लिवर के कार्यो को नुकसान पहुंचता है जिस वजह से शरीर को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है l

अनुसंधान

जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।

हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।

गोमूत्र चिकित्सा द्वारा प्रभावी उपचार

गोमूत्र चिकित्सा के दृष्टिकोण के अनुरूप कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि लिवर रोग का कारण बन सकती हैं यदि वे असंतुष्ट हों। उनसे निपटने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई लाभकारी तत्व शामिल हैं। यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है।

जीवन की गुणवत्ता

गोमूत्र के उपचार से अच्छी सेहत प्राप्त होती है जो कि शरीर के दोषों को संतुलित रखती है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल और उपचार के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। इससे उनके दैनिक जीवन की स्थिरता बढ़ती है। गोमूत्र के साथ, आयुर्वेदिक औषधियां भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को सिखाते हैं कि कैसे एक असाध्य बीमारी के साथ शांतिपूर्ण और तनावपूर्ण जीवन जीया जाये, यदि कोई रोग हो तो। हमारा परामर्श लेने के बाद से, हज़ारों लोग स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसी ज़िंदगी दें जो उनका सपना हो।

जटिलता निवारण

आयुर्वेद में, गोमूत्र की एक विशेष स्थिति है जिसे अक्सर लिवर की बीमारी के लिए मददगार कहा जाता है। हमारे वर्षों के श्रमसाध्य कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से लिवर रोग की लगभग सभी जटिलताएँ गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे दर्द, गहरे रंग के मल और मूत्र, रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, शारीरिक थकान, मतली और उल्टी, सूजन वाले पैरों और टखनों, खुजली वाली त्वचा, शरीर में हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों में नियंत्रण और संतुलन में एक बड़ी राहत महसूस हुयी हैं, रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है जो अन्य यकृत रोग जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करती है।

जीवन प्रत्याशा

अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर अवस्था में होती है, जो मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और कई वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा से नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल रोग से छुटकारा दिलाती है, बल्कि उस व्यक्ति के जीवन-काल को भी बढ़ाती है, जो उसके शरीर में कोई विष नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।

दवा निर्भरता को कम करना

"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे।  इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।

पुनरावृत्ति की संभावना को कम करना

व्यापक अभ्यास की तुलना में, हम रोग के अंतर्निहित कारण और कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो विशेष रूप से रोग के नियंत्रण पर निर्भर होने के बजाय रोग की पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं। हम इस दृष्टिकोण को लागू करके और लोगों के जीवन को एक अलग रास्ता प्रदान करके प्रभावी रूप से पुनरावृत्ति की दर कम कर रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ तरीके से जी सकें।

लिवर रोग के कारण 

लिवर रोग होने के कई सारे कारण हो सकते है जिनमे से कुछ निम्नलिखित है - 

  • संक्रमण 

कुछ परजीवी और वायरस लिवर में संक्रमण करते है जिससे लिवर को नुकसान होता है तथा लिवर में सूजन आ जाती है l लिवर के संक्रमित होने के कारण इनके कार्यक्षमता में कमी आने लगती है l यह संक्रमण रक्त अथवा वीर्य, दूषित भोजन का सेवन अथवा दूषित पानी पीने से, संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क के द्वारा लिवर तक पहुंचता है l हेपेटाइटिस ए, बी वायरस (एचएवी, एचबीवी) या हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के पुराने और गंभीर संक्रमण से लिवर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है l

  • शराब का अत्यधिक सेवन 

व्यक्ति के द्वारा शराब का सेवन करने पर ये उनकी छोटी आंत के माध्यम से उनके रक्त में घुलने लगती है l जैसे जैसे शरीर में एल्कोहल की मात्रा बढ़ने लगती है वैसे ही रक्त में घुलने पर ये एंजाइम में बदलने लगता है जिसे एसिड एल्डिहाइड कहते हैं जो लिवर को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त करने लगते हैं जिससे लिवर रोग होने का खतरा बढ़ने लगता है l

  • आनुवंशिकी 

माता पिता में से किसी एक अथवा दोनों से असामान्य जीन मिलने के परिणामस्वरूप लिवर क्षतिग्रस्त होता है l लिवर में होने वाले कुछ रोग व्यक्ति को आनुवांशिकता के कारण होते हैं ये आनुवांशिक लिवर रोग होते हैं - हेमोक्रोमैटोसिस, विल्सन रोग, हाइपरॉक्सालुरिया और ऑक्सालोसिस।

  • मोटापा 

कई गंभीर रोगों का कारण मोटापा होता है जो लिवर रोग के जोखिम को भी काफी बढ़ाता है l शरीर में अत्यधिक फैट, लिवर की बीमारियों को आकर्षित करता है l मोटापा शरीर में अत्यधिक वसा का कारण बनता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है और हार्मोन और कोशिकाओं के कामकाज को प्रभावित करता है जिससे लिवर में असामान्य नुकसान बढ़ते हैं और लिवर रोग का कारण बनते हैं।

  • मधुमेह 

वे व्यक्ति जो टाइप 2 मधुमेह से ग्रसित होते है उन्हें लिवर सम्बंधी कई रोग होते है जिसमें लिवर एंजाइम, फैटी लिवर रोग, सिरोसिस, तीव्र लिवर विफलता तथा हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा आदि लिवर रोग शामिल है l 

  • पारिवारिक इतिहास 

कुछ लिवर रोग परिवार में चलने वाले रोग होते है l यदि किसी व्यक्ति के परिवार के अन्य सदस्यों को लिवर संबंधी कोई बीमारी है तो उस व्यक्ति को भी वह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है l सिरोसिस का पारिवारिक इतिहास इस बीमारी की स्थिति को बढ़ा सकता है l 

  • कुछ दवाइयां 

कई ओवर-द-काउंटर और पर्चे की दवाइयों से व्यक्ति को विषाक्त लिवर की बीमारियां हो सकती है l स्टैटिन, ऐंटिफंगल दवाईया, मेथोट्रेक्सेट या अज़ैथियोप्राइन जैसी गठिया रोग की दवाएं, नियासिन, गाउट के लिए एलोप्यूरिनॉल, एचआईवी संक्रमण के लिए एंटीवायरल ड्रग्स, स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक्स जैसे एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट या एरिथ्रोमाइसिन आदि कई दवाइयां लिवर रोग के खतरे को कई अधिक बढ़ाने का काम करती है l 

  • चयापचय संबंधी समस्याएं 

कई चयापचय स्थितियों में लिवर की भागीदारी होती है और यह क्रोनिक लिवर की बीमारी का कारण बन सकता है, जिससे सिरोसिस और लिवर कैंसर हो सकता है। चयापचय संबंधी समस्याओं में तीन सबसे आम चयापचय यकृत रोग शामिल किए जाते है जो है : वंशानुगत हेमोक्रोमैटोसिस, अल्फा-आई एंटीट्रिप्सिन की कमी (एएटीडी) और विल्सन रोग।

  • प्रतिरक्षा प्रणाली 

कुछ रोगों में जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के कुछ हिस्सों को क्षतिग्रस्त करती है तो कई लिवर रोगों की समस्या खड़ी हो सकती है l ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, जो आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों पर हमला करती है, इसके बजाय लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। इस हमले से पुरानी सूजन और लिवर कोशिकाओं को गंभीर नुकसान हो सकता है।

 

लिवर रोग से निवारण 

  • शराब का अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए।
  • व्यायाम, कसरत, योग आदि कर शरीर को सुरक्षित, स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना चाहिए।
  • हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) से बचने के लिए इसका टीका लगाया जाना चाहिए। 
  • मोटापा होने से बचना व शरीर का वजन संतुलित बनाए रखना। 
  • नित्य पौष्टिक तत्वों से युक्त आहार का सेवन करना चाहिए व विषाक्त भोजन का उपयोग करने से बचना चाहिए। 
  • शुगर के लेवल को बढ़ने से रोकना चाहिए। 
  • डॉक्टर की अच्छे से सलाह लेने के बाद ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।

लिवर रोग के लक्षण 

लिवर के रोग के लक्षण और संकेत निम्नलिखित है - 

  • पेट में दर्द और सूजन होना 
  • आँखों का पीला तथा त्वचा का सफेद हो जाना 
  • गहरे रंग का मल और मूत्र आना 
  • शारीरिक थकावट और कमजोरी आना 
  • भूख में कमी तथा वजन में गिरावट आना 
  • मल अथवा मूत्र त्याग के साथ रक्त आना 
  • मतली और उल्टी की समस्या होना 
  • पैरों और टखनों में सूजन आना 
  • त्वचा पर खुजली होना 
  • लिवर के आकार में वृद्धि होना 
  • लिवर में खिंचाव तथा दबाव महसूस होना 


लिवर रोग के प्रकार 

लिवर रोग के मुख्य प्रकार में शामिल है - 

  • लिवर कैंसर 
  • पीलिया 
  • फैटी लिवर 
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम 
  • सिरोसिस
  • हेपेटाइटिस ए, बी और सी 
  • लिवर का खराब होना 
  • लिवर में सूजन 
  • ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस
  • आनुवंशिक लिवर रोग 
  • हेमोक्रोमैटोसिस
  • अलागिल सिंड्रोम
  • अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन की कमी
  • बेनिग्न लिवर ट्यूमर
  • बिलारी अत्रेसिया
  • ग्लाक्टोसेमिया
  • लिवर अल्सर
  • री सिंड्रोम
  • विल्सन रोग

लिवर रोग की जटिलताएं 

लिवर रोग से ग्रसित व्यक्ति को कई गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता   है - 

  • रक्तस्त्राव होना 
  • लिवर की विफलता 
  • हाइपरटेंशन की समस्या होना 
  • सहज जीवाणु पेरिटोनिटिस
  • हेपोरेटेनल सिंड्रोम
  • हेपेटोपुलमरी सिंड्रोम 
  • सिरोटिक कार्डियोमायोपैथी 
  • कुपोषण

विभिन्न प्रकार के लिवर रोग

मान्यताएं

क्या कह रहे हैं मरीज

"विभिन्न अध्ययन किए गए हैं जहां जैन गाय मूत्र चिकित्सा ने रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।"