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रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) का इलाज

अवलोकन

एक महिला अपने जीवनकाल के हर पड़ाव में कई सारे शारीरिक बदलावों का सामना करती है I अपनी उम्र के पहले चरण में वे अपने आप को किसी भी चीज़ से घिरी हुई नहीं देखती है पर जैसे ही दूसरे पड़ाव में कदम रखती है हर महिला अपने मासिक धर्म यानि की अपने पीरियड्स से रुबरु होती है I मासिक धर्म के शुरुआती दौर में उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है पर एक वक्त बाद वे इनसे भी सहज हो जाती है I एक लम्बे समय तक चलने वाला यह मासिक धर्म का पड़ाव भी बदलने लगता है और एक उम्र ऐसी आती है जब उनके सालों तक चलने वाले मासिक धर्म आना बंद हो जाते है I महिलाओं में आने वाली यह स्थिति रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज़ कही जाती है I इस स्थिति में महिलाओं के हार्मोन्स में कई सारे बदलाव आते है I वैसे तो मेनोपॉज़ की उम्र 40 से 50 साल के बीच की होती है, हर महिला में यह उनकी बदलती लाइफस्टाइल के हिसाब से अलग अलग उम्र में आती है I 40 साल की उम्र से लेकर 50 साल की उम्र के बीच कभी भी महिलाओं को करीब एक साल तक जब मासिक धर्म नहीं आते है तो वह रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति में पहुँच जाती है I 


हर महिला को आने वाले मासिक धर्म प्राकृतिक होते है जो उनके शरीर में बदलने वाले हार्मोन्स की वजह से अलग अलग उम्र में शुरू होते है I इसी तरह से रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति भी कुदरती रूप से शुरू होती है जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र पूरी तरह बंद हो जाता है I इसे कोई बीमारी नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह महिलाओं के शरीर की सामान्य गतिविधि है जो उम्र के साथ आती है। इस स्थिति में महिलाएं माँ बनने की क्षमता लगभग खो देती है I ये स्थिति अचानक होने वाली नहीं होती बल्कि ये प्रक्रिया बहुत ही धीरे-धीरे होती है जिसके बाद महिलाओं के शरीर में कई सारे बदलाव देखने को मिलते है I

अनुसंधान

जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।

हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।

गोमूत्र चिकित्सा द्वारा प्रभावी उपचार

गोमूत्र चिकित्सा के दृष्टिकोण के अनुरूप कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) का कारण बन सकती हैं यदि वे असंतुष्ट हों। उनसे निपटने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई लाभकारी तत्व शामिल हैं। यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है।

एप्टीफोर्ट + लिक्विड ओरल

फिमोलेक्स + कैप्सूल

प्रमुख जड़ी-बूटियाँ जो उपचार को अधिक प्रभावी बनाती हैं

शतावरी

शतावरी महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होती है। आमतौर पर महिला स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में जानी जाने वाली शतावरी मानसिक शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसका उपयोग रजोनिवृत्ति की शिकायतों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिसमें योनि स्राव, रात को पसीना, चिंता, गर्म चमक और मिजाज शामिल हैं।

अशोका

मासिक धर्म चक्र की अनियमितताओं से लड़ने और महिला हार्मोन को संतुलित करने के लिए इस जड़ी बूटी में उत्कृष्ट गुण हैं। यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों में राहत प्रदान करने के लिए भी काफी प्रभावी है।

लोध्रा

आयुर्वेद में यह जड़ी बूटी मासिक धर्म की समस्याओं के खिलाफ बहुत प्रभावी है। यह जड़ी बूटी रजोनिवृत्ति से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिए भी उपयोगी है। यह अनिद्रा, चिंता और मिजाज से राहत देता है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा संभवतः कोर्टिसोल उत्पादन को कम करके तनाव के प्रतिरोध में सुधार करता है। अश्वगंधा हार्मोन संतुलन को प्रोत्साहित करके अंतःस्रावी तंत्र (जो हार्मोन का उत्पादन करता है) पर कार्य करता है और गर्म चमक और चिंता को कम करता है।

लाजवंती

इस जड़ी बूटी में प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से लड़ने के अद्भुत गुण हैं। यह महिलाओं के लिए स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह मेनोपॉज से जुड़े दर्द को दूर करने में काफी कारगर है। यह तनाव, चिंता और अनिद्रा की समस्या के खिलाफ उपयोगी है।

दशमूल

दशमूल एक आयुर्वेदिक टॉनिक है जो महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य और हार्मोनल भलाई के लिए दृढ़ता से अनुशंसित है। एक महिला के 'प्राकृतिक मित्र' के रूप में जाना जाता है, यह हार्मोनल संतुलन प्रदान करता है, प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करता है। दशमूल पेट की अंदरूनी परत को मजबूत करता है और पाचन को आसान बनाता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए जाना जाता है और इसलिए शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए अच्छा है।

घृतकुमारी

जेल का इसका शुद्ध रूप फाइटोएस्ट्रोजेन में उच्च होता है जो हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है। घृतकुमारी जेल में शरीर को फिर से हाइड्रेट करने की प्रवृत्ति होती है जो रजोनिवृत्ति के लक्षणों को उलट सकती है।

आमला

आंवला महिलाओं में प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है और हार्मोनल संतुलन का कारण बनता है। यह पीसीओएस के नकारात्मक प्रभावों जैसे मोटापा, अनचाहे बालों का बढ़ना आदि से भी लड़ता है।

पुत्रजीवक पाउडर

इसका प्रभाव प्रजनन प्रणाली पर पड़ता है, खासकर महिलाओं में गर्भाशय और अंडाशय पर। पुत्रजीवक का मुख्य कार्य इन संरचनाओं को मजबूत करना और इन अंगों के कार्यों में सुधार करना है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है।

शिलाजीत

शिलाजीत में ऐसे गुण होते हैं जो दिमाग को शांत करने और चिंता को दूर करने में मदद करते हैं। यह तनाव हार्मोन पर भी अंकुश लगाता है और फील-गुड, हैप्पी हार्मोन को बढ़ाता है जो आपके मूड को बढ़ाता है, भूख बढ़ाता है और भलाई की भावना को प्रेरित करता है।

गोजला

हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।

जीवन की गुणवत्ता

गोमूत्र के साथ किया गया उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और एक क्रम में शरीर के दोषों में संतुलन बनाए रखता है। आज हमारी दवा के अंतिम परिणाम के रूप में मनुष्य लगातार अपने स्वास्थ्य को सुधार रहे हैं। यह उनके दिन-प्रतिदिन के जीवन की स्थिति में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं कई प्रकार की प्रतिक्रियाओं को सीमित करने के लिए एक पूरक उपाय के रूप में काम कर सकती हैं, जो भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से आती हैं। हम मनुष्यों को सूचित करते हैं कि यदि कोई रोगी है तो उस विकार के साथ एक आनंदमय और चिंता मुक्त जीवन कैसे जिया जाए। हमारे उपाय करने के बाद हजारों मनुष्य एक संतुलित जीवन शैली जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक जीवन प्रदान करें जो वे अपने सपने में देखते हैं।

जटिलता निवारण

आयुर्वेद में, गोमूत्र का एक विशेष स्थान है जो रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के लिए भी सहायक है। हमारे वर्षों के प्रतिबद्ध कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी हर्बल दवाओं के साथ, रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे योनि में सूखापन आना, नींद में कमी आना, सिरदर्द होना, वजन बढ़ना, कामेच्छा की कमी होना, बार बार पेशाब लगना, तनाव बढ़ना, चिड़चिड़ापन होना, बाल झड़ना, अवसाद होना, बीपी की समस्या होना, हड्डियों का कमजोर हो जाना, त्वचा में रूखापन आना जैसी समस्याओं में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं I हमारा उपचार रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करते हैं जो इसके अनुकूल काम करता है मेनोपॉज की अन्य जटिलताओं संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करते हैं।

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के कारण

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के सामान्य कारणों में शामिल हैं -

  • हार्मोन्स में कमी

जैसे जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ने लगती है उनके शरीर में हार्मोन्स की कमी होने लगती है। ये हार्मोन्स एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन्स होते हैं जिसका उत्पादन महिलाओं के अंडाशय के द्वारा किया जाता है I ये हार्मोन्स हर महीने अंडाशय से रिलीज होने वाले अंडे और मासिक धर्म को नियंत्रित करते है I जब महिलाओं की ओवरी या अंडाशय में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन नाम के हॉर्मोन बनने बंद हो जाते हैं या उनमे कमी होने लगती है तो अंडाशय,अंडा निष्कासित करना बंद कर देता है जिससे महिलाओं को पीरियड्स नहीं आते जिसके बाद उन्हें रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) का सामना करना पड़ता है I

  • सर्जरी

जब किसी कारण से महिला के अंडाशय को सर्जरी के जरिये हटा दिया जाता है जिसके बाद उनके मासिक धर्म बंद हो जाते है तो यह स्थिति उनके रजोनिवृत्ति का कारण बनती है। अधिक मात्रा में निरंतर रक्तस्त्राव होना, एक्टोपिक प्रेगनेंसी, अंडाशय में गाँठ, पेल्विक या श्रोणि में लंबे समय तक दर्द, एंडोमीट्रियोसिस,गर्भाशय का बढ़ना, गर्भाशय का सिकुड़ना, गर्भाशय में ट्यूमर होना जैसे कई कारण है जिनकी वजह से अंडाशय को महिला के शरीर से बाहर निकालना पड़ता है और उन्हें रजोनिवृत्ति की स्थिति का सामना करना पड़ता है I

  • पैल्विक चोटें

महिला की श्रोणि में लगने वाली चोट जो अंडाशय को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं या नष्ट करती हैं रजोनिवृत्ति का कारण बन सकती है I ये चोट किसी तरह की दुर्घटना, श्रोणि में फ्रैक्चर, यौन हमला, प्रसव के दौरान योनि या गर्भाशय ग्रीवा में लगी चोटें हो सकती हैं जिससे उन्हें रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति हो सकती है I 

  • कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा

यदि कोई महिला किसी कैंसर से पीड़ित होती है और उन्हें इसके लिए कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा का सहारा लेना पड़ता है तो ये कैंसर उपचार उनके लिए रजोनिवृत्ति को प्रेरित कर सकते हैं I कीमोथेरेपी के दौरान, महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म चक्र या एमेनोरिया (मासिक धर्म का गायब होना) हो सकता है। कीमोथेरेपी में उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं भी अंडाशय को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें रजोनिवृत्ति के लक्षण या रजोनिवृत्ति हो सकती है।

  • अंडाशय के कार्य का बंद होना

भारत देश में करीब 1 प्रतिशत महिलाएं ऐसी है जिन्हें 40 वर्ष की उम्र से पहले ही रजोनिवृत्ति का सामना करना पड़ता है जिसका कारण उनके अंडाशय का ठीक तरह से काम ना करना होता है I ऐसी महिलाओं को समय से पहले रजोनिवृत्ति, प्रजनन हार्मोन के सामान्य स्तर का उत्पादन करने के लिए उनके अंडाशय की विफलता का परिणाम हो सकता है I कुछ अनुवांशिक कारकों या ऑटोम्यून्यून बीमारी की वजह से इन महिलाओं के अंडाशय काम करना बंद कर देते है जिससे अक्सर समय से पहले उन्हें रजोनिवृत्ति हो सकती है I 

 

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) से निवारण

यद्यपि  रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) एक कुदरती प्रक्रिया है जिसे हर महिला एक उम्र के बाद अनुभव करती है फिर भी रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति महिला के शरीर में कई बदलाव लाती है साथ ही समय से पहले हुई रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति किसी महिला के लिए कई गंभीर लक्षण पैदा कर सकती है जिनसे बचने के लिए उन्हें अपनी जीवनशैली में निम्नलिखित बदलाव करने की जरूरत है -

  • रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद महिला को अपने खान-पान का ध्यान रखने की बेहद आवश्यकता होती है इसलिए उन्हें संतुलित तथा फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए I
  • एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी की वजह से अक्सर महिलाओं के शरीर की हड्डिया कमजोर होने लगती है अतः उन्हें अपने शरीर में कैल्शियम की प्रचुरता का ध्यान रखना चाहिये I
  • नियमित व्यायाम, योग तथा सैर महिला के शरीर को रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद भी स्वस्थ बनाये रखने में मदद करते है I
  • डायबीटीज और दिल की बिमारियों से पीड़ित महिलाओं को पर्याप्त नींद, फल-सब्जियों का भरपूर सेवन तथा नियमित रूप से व्यायाम आदि करने जैसी आदतों को अपनाना चाहिए I
  • कुछ व्यायाम के जरिये महिला अपनी श्रोणि तल की मांसपेशियों को मजबूत कर सकती है ताकि रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद मूत्राशय के रिसाव जैसे लक्षण को रोका जा सके I
  • महिलाओं को सामाजिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए ।
  • महिलाएं जो धूम्रपान, तम्बाकू तथा शराब का सेवन करती है उन्हें इन सभी आदतों का पूरी तरह से त्यागना चाहिए I
  • महिला को अपने शरीर का स्वस्थ वजन बनाये रखना चाहिए तथा बढे हुए वजन को कम करने का प्रयास करना चाहिए I

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति होने पर महिलाओं को निन्मलिखित लक्षणों का सामना करना पड़ता है -

  • योनि में सूखापन आना 
  • नींद में कमी आना
  • सिरदर्द होना
  • हॉट फ्लैशेस यानि अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस करना
  • वजन बढ़ना 
  • कामेच्छा की कमी होना
  • बार बार पेशाब लगना
  • तनाव बढ़ना
  • चिड़चिड़ापन होना
  • बाल झड़ना
  • अवसाद होना
  • बीपी की समस्या होना
  • हड्डियों का कमजोर हो जाना
  • त्वचा में रूखापन आना

 

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के प्रकार

सामान्यतः महिलाओं को रजोनिवृत्ति तीन प्रकार की होती है -

  • प्राकृतिक रजोनिवृत्ति 

प्राकृतिक रजोनिवृत्ति तब होती है जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है और महिला को मासिक धर्म आना बंद हो जाते है I 

  • समय से पहले (प्रारंभिक) रजोनिवृत्ति 

समय से पहले (प्रारंभिक) रजोनिवृत्ति तब होती है जब 40 वर्ष की आयु से पहले ही किसी महिला का मासिक धर्म बंद हो जाता है I हालाँकि इसके पीछे महिला के शरीर से जुडी कोई समस्या हो सकती है चाहे वह प्राकृतिक ही क्यों न हो I

  • समय के बाद रजोनिवृत्ति (पोस्टमेनोपॉज़)

समय के बाद रजोनिवृत्ति (पोस्टमेनोपॉज़) तब होती है जब कोई महिला 40 से 50 वर्ष की उम्र में होती है I आमतौर पर महिला की अंतिम अवधि के 24 से 36 महीने बाद जब उनके मासिक धर्म कम होते हुए पूरी तरह से बंद हो जाते है तो उन्हें होने वाली रजोनिवृत्ति पोस्टमेनोपॉज़ कहलाती है I

रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की जटिलताएं

महिलाओं के लिए शरीर की ये अवस्था उसके लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलाव लाती है जिस वजह से उन्हें निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -

  • कुछ महिलाओं में हड्डियों से संबंधित गंभीर समस्या हो सकती है।
  • जब महिला के एस्ट्रोजन का स्तर गिरता है तो उन्हें हृदय और रक्त वाहिका रोग का खतरा बढ़ जाता है।
  • महिला को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है इस स्थिति के कारण हड्डियां भंगुर और कमजोर हो जाती हैं जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है I
  • महिला को मूत्रीय अन्सयम जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है तथा उन्हें बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है।
  • रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) की स्थिति कुछ मामलो में महिला के शरीर पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालती है जिसमे कैंसर का जोखिम भी रहता है।
  • समय से पहले हुई रजनोवृत्ति (मेनोपॉज) के कारण महिला गर्भधारण करने में असमर्थ रहती है I
  • महिला को चयापचय मे कमी, पेरिओडॉंटल रोग, डिस्‍पैर्यूनिया और मोतियाबिंद जैसी कई दूसरी समस्याएं हो सकती है I

मान्यताएं

क्या कह रहे हैं मरीज

"विभिन्न अध्ययन किए गए हैं जहां जैन गाय मूत्र चिकित्सा ने रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।"