व्यक्ति के शरीर में बनने वाला रक्त, हड्डी के अंदर स्थित बोन मैरो द्वारा बनता है I यह बोन मैरो एक स्पंज की भांति ऊतक है जो कूल्हे, जांघ, रीढ़ व श्रोणी आदि की हड्डियों के अंदर मौजूद होता है I बोन मैरो शरीर में स्टेम कोशिकाओं का उत्पादन करता है I यह स्टेम कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाओं, सफ़ेद रक्त कोशिकाओं तथा प्लेटलेट्स का उत्पादन करती है तथा इनमें विकसित हो सकती है I यह सभी कोशिकाएं शरीर में रक्त बनाने हेतु सहायक होती है I स्टेम कोशिकाएं शरीर की वह मूल कोशिकाएं होती है जिनमें शरीर के किसी भी अंग को विकसित करने की क्षमता होती है I यह मूल कोशिकाएं शरीर की अस्वस्थ कोशिका को सुधारने का भी कार्य करती है I इस प्रकार शरीर को स्वस्थ बनाये रखने हेतु बोन मैरो द्वारा नई रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होता रहता है I
जब किसी कारणवश बोन मैरो में किसी प्रकार की कोई क्षति होती है तो स्टेम कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है जिससे शरीर के लिए नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण होना बंद हो जाता है तथा शरीर में खून की कमी होने लगती है I यह स्थिति अप्लास्टिक एनीमिया कहलाती है I अप्लास्टिक एनीमिया एक बहुत ही दुर्लभ और गंभीर स्थिति होती है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति के स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है। अप्लास्टिक एनीमिया से ग्रसित व्यक्ति का बोन मैरो व मूल कोशिकाओं के ख़राब होने का ख़तरा अधिक हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में खून बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है व उन्हें एक वक्त के अन्तराल में रक्त चढाने की आवश्यकता होती है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का कार्य करती हैं, जो कि गाय के मूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार, यदि वे अनुपातहीन हैं, तो अप्लास्टिक एनीमिया का कारण बन सकते है जिसके इलाज के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई सहायक तत्व हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर के दोष संतुलित होते है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में तेजी से सुधार कर रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएँ भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को बीमारी के साथ, यदि कोई हो तो, शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए निर्देशित करते हैं। हमारे उपचार को लेने के बाद से, हजारों लोग एक स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी सफलता है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जो वे सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में, गोमूत्र का एक विशेष स्थान है जिसे अक्सर अप्लास्टिक एनीमिया के लिए मददगार कहा जाता है। हमारे वर्षों के श्रमसाध्य कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से अप्लास्टिक एनीमिया की लगभग सभी जटिलताएँ समाप्त हो जाती हैं। हमारा उपचार थकान, सिरदर्द, चक्कर, साँस लेने में परेशानी, पीली त्वचा, हाथ- पैरों में शीतलता, बुखार, संक्रमण, सीने के दर्द में एक बड़ी राहत देता है, साथ ही साथ यह रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता हैं जो अप्लास्टिक एनीमिया की अन्य जटिलताओं के लिए भी लाभकारी है I
अगर हम जीवन प्रत्याशा की बात करें तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में एक बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी, चाहे वह छोटे पैमाने पर हो या एक गंभीर चरण में, मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी और यह कई वर्षों तक मौजूद रहेगी, कभी-कभी जीवन भर भी। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा बहुत कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल बीमारी से छुटकारा दिलाती है, बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़े बिना व्यक्ति के जीवनकाल को बढ़ाती है और यह हमारा अंतिम लक्ष्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", जिसका अर्थ है सबको सुखी बनाना, बीमारी से छुटकारा दिलाना, सबको सत्य देखने देना, किसी को भी पीड़ा का अनुभव न होने देना। इस वाक्य के बाद, हम चाहते हैं कि हमारा समाज ऐसा ही हो। हमारी चिकित्सा विश्वसनीय उपचार प्रदान करके, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित आबादी में दवा की निर्भरता को कम करके इस लक्ष्य को प्राप्त करती है। आज की दुनिया में, हमारी चिकित्सा में अन्य उपलब्ध चिकित्सा विकल्पों की तुलना में अधिक फायदे और शून्य नुकसान हैं।
व्यापक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, हम रोग और कारकों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो केवल रोग के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रोग पुनरावृत्ति की संभावना में सुधार कर सकती हैं। इस पद्धति का उपयोग करके, हम पुनरावृत्ति दरों को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं ताकि वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकें।
कई ऐसे कारण है जो किसी व्यक्ति को अप्लास्टिक एनीमिया होने के लिए ज़िम्मेदार माने जा सकते है I इनमें शामिल है -
अधिकतर वायरस का संबंध शरीर के रक्त से जुड़ा होता है I कुछ वायरल संक्रमण बोन मैरो व रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते है I हेपेटाइटिस, एपस्टीन-बार, साइटोमेगालोवायरस, परवोवायरस बी 19 और एचआईवी आदि कई वायरस अप्लास्टिक एनीमिया के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
एक लम्बे समय तक जहरीले रसायनों का सम्पर्क अप्लास्टिक एनीमिया का कारण बनता है I खेतों में उपयोग होने वाले कीटनाशकों व फक्ट्रियों में प्रयोग में लाये जाने वाले केमिकल्स खासकर गैसोलीन के एक घटक बेंजीन तथा आर्सेनिक के लगातार सम्पर्क में रहने से व्यक्ति को अप्लास्टिक एनीमिया होने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है I
कैंसर कोशिकाओं को मारने में उपयोग की जाने वाली रेडिएशन या कीमोथेरेपी बोन मैरो में स्थित स्टेम कोशिकाओं सहित स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे व्यक्ति को अप्लास्टिक एनीमिया हो सकता है I
परिवार के किसी सदस्य को यदि अप्लास्टिक एनीमिया की बीमारी रही हो तो संभव है कि यह बीमारी दूसरे सदस्य को होने के लिए भी ज़िम्मेदार हो I जिसकी वजह वंशानुगत क्रम में पाए जाने वाले खराब जीन के कारण अप्लास्टिक एनीमिया परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य में स्थानांतरित होना हो सकता है I
कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली बोन मैरो में स्थित स्टेम कोशिकाओं को शरीर के लिए हानिकारक मानकर उन पर हमला करने लगती है I जिसके परिणामस्वरूप बोन मैरो तथा स्टेम कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है तथा इनके द्वारा किया जाने वाला रक्त कोशिका का उत्पादन प्रभावित होने लगता है व व्यक्ति को अप्लास्टिक एनीमिया की शिकायत होने लगती है I
कुछ दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग अप्लास्टिक एनीमिया का कारण बन सकता हैं। आमतौर पर रुमेटाइड अर्थराइटिस व ल्यूपस के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं, क्लोरैम्पिनिकोल व कुछ एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन अप्लास्टिक एनीमिया के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है I
यद्यपि अप्लास्टिक एनीमिया को रोकना संभव नहीं है फिर भी कुछ उपायों द्वारा व्यक्ति इसके जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकते है -
अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षणों तथा संकेतो में शामिल है -
अप्लास्टिक एनीमिया दो प्रकार का होता है -
एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया मुख्य रूप से बच्चों, युवा वयस्कों और साठ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। इस प्रकार के एनीमिया के अधिकांश मामले इडियोपैथी अर्थात् अनभिग्य होते हैं जिसमे रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में बोन मैरो की विफलता कारण बनती है। एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया के संभावित कारणों में एचआईवी या एप्स्टीन बर्र वायरस, रेडिएशन, टॉक्सिक केमिकल से संपर्क, कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट आदि शामिल है जो इस बीमारी के ज़िम्मेदार हो सकते है I
पीढ़ी दर पीढ़ी मिलने वाले ख़राब जीन के कारण होने वाला अप्लास्टिक एनीमिया इन्हेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया के नाम से जाना जाता है I परिवार के एक सदस्य को हुई यह बीमारी न केवल दूसरे सदस्य की बीमारी का कारण बनती है बल्कि इसकी वजह से इसके पीड़ित को ल्यूकेमिया या फिर दूसरे तरह के कैंसर होने का ख़तरा भी रहता है।
अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित एक व्यक्ति को कई जटिलताओं का सामना कर पड़ता है जिनमें शामिल है -