पेट के अस्तर अर्थात पेट की अंदरूनी सतह में होने वाले दर्दनाक घाव अथवा छाले पेप्टिक अल्सर कहलाते है I यह अल्सर उस समय होते है जब भोजन पचाने वाला अम्ल किसी कारणवश अमाशय अथवा आंत की दीवारों को नुकसान पहुंचाने लगते है I आम तौर पर, बलगम की एक मोटी परत अपने पाचन रस के प्रभाव से पेट की परत की रक्षा करती है लेकिन कई चीजें इस सुरक्षात्मक परत को कम कर सकती हैं जिससे पेट का अम्ल ऊतक को नुकसान पहुंचा सकता है। यह अम्ल पाचन तंत्र की सुरक्षात्मक परत, श्लेष्म को नष्ट कर देता है जिससे व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर की समस्या होने लगती है I
वैसे तो यह अल्सर ज्यादातर अमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होते है परन्तु यह ग्रासनली के निचले भाग व छोटी आंत में भी विकसित हो सकते है। पेप्टिक अल्सर होने पर व्यक्ति को पेट दर्द, जलन, उल्टी की समस्या महसूस होने लगती है जोकि इसके सबसे आम लक्षण है I समय पर इनका उपचार न होने पर यह अल्सर व्यक्ति के जीवन के लिए घातक साबित हो सकते है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सीय दृष्टिकोण के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि ज्यादातर पेप्टिक अल्सर का कारण होती हैं अगर वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में इनसे निपटने के लिए बहुत से सहायक तत्व शामिल होते हैं। यह काया के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और दोषों को संतुलित रखता है। आज हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं जिन रोगियों को भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है। हम लोगों को मार्गदर्शन करते हैं कि यदि कोई रोग हो तो उस असाध्य बीमारी के साथ एक खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन कैसे जियें। हजारों लोग हमारी थेरेपी लेने के बाद एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जिनके वे सपने देखते हैं।
आयुर्वेद में, गोमूत्र का एक विशेष स्थान है जो पेप्टिक अल्सर जैसी समस्याओं के लिए भी सहायक है। हमारे वर्षों के प्रतिबद्ध कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी हर्बल दवाओं के साथ पेप्टिक अल्सर के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे पेट में दर्द, जलन, उल्टी, पेट में सूजन, पेट फूलना, खाने पीने में परेशानी, पेट में भारीपन, सीने में जलन आदि में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं तथा इससे रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार भी होता हैं जो पेप्टिक अल्सर की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है I
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात करते हैं, तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में बहुत आशावाद है। कोई भी विकार, चाहे वह मामूली हो या गंभीर, मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है और जीवन में वर्षों तक बना रहता है। रोग की पहचान होने पर जीवन प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र उपचार के साथ नहीं। न केवल हमारी प्राचीन चिकित्सा बीमारी को दूर करती है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन को उसके शरीर में किसी भी दूषित पदार्थों को छोड़े बिना बढ़ाती है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे। इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।
व्यापक अभ्यास की तुलना में, हम रोग के अंतर्निहित कारण और कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो विशेष रूप से रोग के नियंत्रण पर निर्भर होने के बजाय रोग की पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं। हम इस दृष्टिकोण को लागू करके और लोगों के जीवन को एक अलग रास्ता प्रदान करके प्रभावी रूप से पुनरावृत्ति की दर कम कर रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ तरीके से जी सकें।
पेट में होने वाले इन अल्सर के कई निम्नलिखित कारण हो सकते है -
पेट में होने वाले छाले तथा घाव हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नाम के बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं। दूषित पानी तथा भोजन का सेवन करने से हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया व्यक्ति के पेट में पहुँचते है तथा पाचन तंत्र में बलगम की परत से चिपक जाते हैं, पेट को संक्रमित करते है तथा पेट में सूजन की स्थिति पैदा कर देते हैं जिससे पेट में घाव या छाले हो जाते हैं।
अनियमित खान पान व अत्यधिक तैलीय तथा मिर्च-मसालों से युक्त भोजन का सेवन करने वाले व्यक्ति के पेट में यह अधिक मात्रा में अम्ल बढ़ाने का काम करते है जिससे व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर की समस्या होने लगती है I
धूम्रपान, कैफीन, तम्बाकू व शराब जैसे नशीले पदार्थों का अत्यधिक सेवन करने से व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर होने के अवसर कई अधिक बढ़ जाते है I इन सभी पदार्थों में उपस्थित हानिकारक तत्व पेट की परत को नुकसान पहुँचाते है जिसके कारण व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है I
व्यक्ति द्वारा अत्यधिक दर्द निवारक दवाइयाँ व स्टीरॉयड्स का सेवन पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है I इन दवाइयों में गैर-एस्टेरोइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसे इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी, अन्य) और नेपरोक्सन सोडियम आदि शामिल है जिनके दीर्घकालिक उपयोग से पेट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति को पेप्टिक अल्सर जैसी समस्याएं होने लगती है I
पेप्टिक अल्सर का पारिवारिक इतिहास भी परिवार के अन्य सदस्यों को इस समस्या से परेशान कर सकता है I किसी परिवार के सदस्य को पहले से ही यदि पेप्टिक अल्सर की समस्या रही हो तो परिवार अन्य सदस्यों को भी यह समस्या हो सकती है I
अत्यधिक तनाव शरीर में बहुत ज्यादा अम्ल बनाता है जिससे पाचन तंत्र व पेट के अस्तर क्षतिग्रस्त होने लगते है । इन अस्तर को होने वाला नुकसान व्यक्ति के पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है I इसी के साथ व्यक्ति को होने वाला शारीरिक या भावनात्मक तनाव पहले से ही उपस्थित अल्सर को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं।
कुछ स्वस्थ्य आदतों को अपनी जीवन शैली में शामिल कर व्यक्ति पेप्टिक अल्सर जैसी समस्या से बच सकता है जिनमें शामिल है -
व्यक्ति को होने वाली पेप्टिक अल्सर के लक्षणों व संकेतों में शामिल है -
पेट में अल्सर के स्थान के अनुसार पेप्टिक अल्सर को दो भागों में विभाजित किया गया हैं। जिनमे शामिल हैं:
पेट के अस्तर में होने वाले छाले अथवा घाव गैस्ट्रिक अल्सर कहलाते है I यह छाले पेट की कोशिकाओं द्वारा स्त्रावित होने वाले अम्लीय पाचक रसो के कारण होता है I गैस्ट्रिक अल्सर का मुख्य कारण पाइलोरिडस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है परन्तु कुछ एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाओं का सेवन तथा धूम्रपान आदि भी इसका कारण बन सकते है I गैस्ट्रिक अल्सर एक प्रकार के दर्दनाक घाव होते हैं जो किसी व्यक्ति के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते है I
ड्यूडिनल अल्सर पेप्टिक अल्सर का एक पीड़ादायक रूप होता है जो ड्यूडिनल के अस्तर अथवा ऊपरी छोटी आँत में बनते है। ड्यूडिनल छोटी आँत का पहला भाग होता है जिसमें होने वाले घाव तथा छाले ड्यूडिनल अल्सर के नाम से जाने जाते है I डुओडेनल अल्सर की गंभीर स्थिति में व्यक्ति को खून की उल्टी, सांस लेने में कठिनाई और मल में खून आने जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है I व्यक्ति को यह अल्सर पाइलोरिडस बैक्टीरिया व दूषित भोजन व पानी का सेवन करने के परिणामस्वरूप हो सकता है I
पेप्टिक अल्सर की समस्या से ग्रसित व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड सकता है -