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जानिए आयुर्वेद में प्रभावी अस्थमा उपचार

अस्थमा के हर मरीज के लक्षण अलग-अलग होते हैं। कुछ रोगियों को बार-बार अस्थमा का दौरा पड़ता है और कुछ में केवल हल्के लक्षण होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि अस्थमा के 5-15 प्रतिशत रोगियों को औषधीय दवाओं की उच्च खुराक लेने के बाद भी ज्यादा राहत नहीं मिलती है। और जिन रोगियों का अस्थमा, दवा से ठीक नहीं होता उन्हें अस्थमा का गंभीर रोगी माना जाता है।

चिंता मत करो! 'आयुर्वेद' शब्द आपके चेहरे पर मुस्कान का कारण है क्योंकि 5000 साल पुरानी दवा प्रणाली में गंभीर अस्थमा के लिए भी कई सफल थेरेपी / उपचार हैं। बस विचार करने के लिए एकमात्र चीज जो है वो है एक अनुभवी चिकित्सक / प्रैक्टिशनर, जो आपकी हालत का सहयोग करने के लिए आपको सही ईलाज या थेरेपी के लिए मार्गदर्शन कर सकते है। केवल एक जानकार डॉक्टर ही आपको अस्थमा के समय पर और प्रभावी उपचार के बारे में शिक्षित कर सकता है जो आपको अनावश्यक परेशानी और अस्पताल जाने से बचा सकता है।

जैन गोमूत्र चिकित्सा स्वास्थ्य क्लिनिक एक ऐसी जगह है जहां आपको ईलाज के प्रत्येक स्तर पर व्यापक सहायता मिलेगी। आयुर्वेद में अस्थमा के उपचार के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें।

अस्थमा के बुनियादी कारण:

आयुर्वेद के अनुसार, पेट में तीव्र कफ दोष सभी अस्थमा स्थितियों का बुनियादी कारण है। पेट से, यह श्वासनली, फेफड़े और वायुनली में चला जाता है। बढ़े हुए कफ से सांस का प्राकृतिक/सामान्य प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जो श्वसन नली में ऐंठन पैदा करता है, जिसके परिणामस्वरूप अस्थमा होता है।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. विरेंद्र कुमार जैन बताते हैं कि कैसे आयुर्वेदिक अस्थमा का इलाज फेफड़ों से जमे हुए कफ को हटाने पर ध्यान केंद्रित करके प्रभावी ढंग से काम करता है। गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक इंदौर के डॉ. जैन कहते हैं, समग्र अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ तीनों ऊर्जाओं को संतुलित रखना जरूरी है।

अस्थमा में राहत के लिए आयुर्वेदिक/प्राकृतिक उपचार:

कई जड़ी-बूटियाँ हैं जो अस्थमा के रोगियों के लिए भरोसेमंद और परीक्षित उपचार हैं। लेकिन, यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि स्व-दवा सभी के लिए खतरनाक है, इसलिए किसी भी प्राकृतिक उपचार को शुरू करने से पहले हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करें। कुछ सिद्ध उपायों में शामिल हैं:

हल्दी- माना जाता है कि हल्दी में एंटी-एलर्जी और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं। यह सूजन, हे- फीवर, डिप्रेशन, ऑस्टियोअर्थराइटिस, खुजली और कई दूसरी समस्याओं से निपटने में प्रभावी है।

लहसुन- लहसुन को हृदय रोग के लिए ‘रामबाण’ और अस्थमा सहित कई दूसरी बीमारियों के लिए चमत्कारिक उपाय माना जाता है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इस प्रकार, अस्थमा के रोगियों को आराम देने में बहुत मददगार है।

शहद- शहद एक और प्राकृतिक सामग्री है जो आपको कई सर्दी और खांसी के उपचार में मिल सकती है। यह खराब खांसी को शांत करता है और गले की जलन को शांत करता है।

अदरक- अदरक या शहद के साथ मिलाकर भी सूजन को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा सहायक माना जाता है। हाल के कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि मौखिक अदरक की खुराक से अस्थमा के रोगियों को काफी हद तक फायदा हुआ है।

मुलैठी –मुलैठी की जड़ और इचिनेसिया का अस्थमा और श्वसन संक्रमण विशेष रूप से ऊपरी श्वसन संक्रमण के इलाज के लिए दो प्रमुख जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। लेकिन, डॉ. जैन इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि किसी भी जड़ी-बूटी या हर्बल उत्पादों का उपयोग किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श किए बिना नहीं किया जाना चाहिए।

जैन गोमूत्र चिकित्सा- अस्थमा का दीर्घकालिक नियंत्रण और रोकथाम:

गोमूत्र जो कि जैन गौमूत्र चिकित्सा का जीवन रक्षक घटक है, सभी प्रकार के क्रोनिक और श्वसन रोगों के इलाज में जादुई रूप से काम करता है। गोमूत्र चिकित्सा से इलाज कराने वाले और जैन की क्लिनिक टीम की देखरेख में रहने वाले हजारों अस्थमा रोगियों में 89-97% सुधार के सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

प्राचीन काल से ही पवित्र गाय का मूत्र मानव जाति की मदद कर रहा है। कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा हाल ही में किए गए शोध भी हमारे सदियों पुराने वेदों के विश्वास को सच साबित कर रहे हैं।

गाय का मूत्र अस्थमा रोगियों में दवा और इनहेलर निर्भरता को प्रभावी ढंग से कम करने में सक्षम है जो वैश्विक स्तर पर इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण बन गया है।

गोमूत्र रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करता है:

रोकथाम एक सबसे अच्छा इलाज है, ये एक प्रसिद्ध कहावत है और यही मुख्य रूप से गोमूत्र चिकित्सा में मदद करता है। आयुर्वेद लक्षणों के स्पष्ट रूप से उजागर होने की प्रतीक्षा नहीं करता है बल्कि यह शुरुआती अवस्था में ही समस्या का पता लगा लेता है और मूल कारण का पता लगाकर इसे नियंत्रित करना शुरू कर देता है।

गोमूत्र को फेफड़ों की कार्यक्षमता और रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने की क्षमता के लिए अमेरिकी पेटेंट मिला है। जैन की गोमूत्र चिकित्सा ने अस्थमा, पुरानी खांसी, ईोसिनोफिलिया, काली खांसी, ब्रोंकाइटिस, डिस्पेनिया, निमोनिया / सारकॉइडोसिस, फेफड़े फाइब्रोसिस, वातस्फीति, इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस, ब्रोन्कोजेनिक सिस्ट, छींक, राइनोरिया, साइनस, साइनसाइटिस, सामान्य सर्दी सहित और भी कई श्वसन रोगों और विकारों का बहुत से गोमूत्र उत्पादों के उपयोग के जरिए इलाज किया है।

जैन गोमूत्र चिकित्सा स्वास्थ्य क्लिनिक उत्पाद:

हमारे सभी उत्पादों को एंटीस्पास्मोडिक, श्वसन उत्तेजक, ब्रोन्कोडायलेटर, एंटीवायरल, जीवाणुरोधी, एक्सपेक्टोरेंट, एंटी-ट्यूसिव, एंटीहिस्टामिनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-दमा, एंटीबायोटिक, एंटी-एलर्जिक, एंटीऑक्सिडेंट, कफ सप्रेसर और एंटी-ट्यूबरकुलर गुणों के लिए परीक्षण किया जाता है। .

कई अध्ययनों ने साबित किया है कि जिन रोगियों ने जैन की गोमूत्र चिकित्सा को अपनाया है, उनमें दवा पर निर्भरता और दर्द में उल्लेखनीय कमी आई है। हमारे हर्बल्स उत्पादों पर किए गए शोध और अध्ययन भी एलर्जी संबंधी अस्थमा, फेफड़े के ट्युमर और कई अन्य साँस के रोगों / विकारों के उपचार में प्रत्येक उत्पाद की प्रभावकारिता को साबित करते हैं।

आयुर्वेद में अस्थमा के बेहतरीन ईलाज के लिए जैन के योग्य सलाहकारों से संपर्क करें। यह आपको एक बार फिर सामान्य और स्वस्थ जीवन जीने की नई उम्मीद देगा।