शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन सप्लाई करने से लेकर खाने से प्राप्त पोषक तत्वों को हृदय व शरीर के अन्य भागों में पहुँचाने व शरीर को स्वस्थ रखने में रक्त एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है I यह रक्त प्लाज्मा और रक्त कणों अथवा कोशिकाओं से मिलकर बनता है। रक्त की संचार प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए तीन रक्त कोशिकाएं जिन्हें लाल रक्त कोशिकायें, सफेद रक्त कोशिकायें व प्लेटलेट्स कहा जाता है, विभिन्न कार्यों को पूरा करती हैं I लाल रक्त कोशिकाएं शरीर के प्रत्येक उतकों और अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाती है, सफ़ेद रक्त कोशिकाएं शरीर में बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु तथा संक्रमण से शरीर को सुरक्षा प्रदान करती हैं व प्लेटलेट्स रक्त बनाने के साथ साथ रक्तस्राव को रोकने तथा रक्त वाहिनियों की सुरक्षा करने जैसे महत्वूर्ण कार्यो को पूरा करते है I यह तीनों रक्त कोशिकाएं प्लाज्मा की मदद से पूरे शरीर में विचरण करती है और इस तरह अपने अपने विशिष्ट कार्यों को पूरा करती है I
प्लेटलेट्स रक्त कोशिका को थ्रोम्बोसाइट्स के नाम से भी जाना जाता है I यह रक्त कोशिका रंगहीन रक्त कोशिकाएं होती है जिसकी सहायता से शरीर से होने वाले रक्तस्राव को रोका जाता है I जब कभी शरीर में चोट लगने पर रक्त वाहिनियां क्षतिग्रस्त हो जाती है तो प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाएं इनमें रक्त का थक्का बनाकर रुकावट पैदा कर देती है और रक्तस्राव को रोक देती है I जब किन्ही कारणों की वजह से रक्त में इन प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है तो ऐसी स्थिति को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है I इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया आमतौर पर तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से प्लेटलेट्स पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है I इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में रक्त के प्लेटलेट्स काउंट सामान्य प्लेटलेट काउंट से कम हो जाते हैं ऐसी स्थिति में यह विकार अत्यधिक चोट व रक्तस्त्राव का कारण बन सकता है I थ्रोम्बोसाइटोपेनिया बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का कार्य करती हैं, जो कि गाय के मूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार, यदि वे अनुपातहीन हैं, तो इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का कारण बन सकते है जिसके इलाज के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई सहायक तत्व हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और दोषों को संतुलित रखता है। आज हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं जिन रोगियों को भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है। हम लोगों को मार्गदर्शन करते हैं कि यदि कोई रोग हो तो उस असाध्य बीमारी के साथ एक खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन कैसे जियें। हजारों लोग हमारी थेरेपी लेने के बाद एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जिनके वे सपने देखते हैं।
आयुर्वेद में गोमूत्र का एक अनोखा महत्व है जो इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया जैसी बीमारियों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। हमारे वर्षों के कठिन परिश्रम से पता चलता है कि हमारी हर्बल दवाओं के उपयोग से इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की कई जटिलताएँ गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे चोट, अत्यधिक थकान व कमज़ोरी, मसूड़ों या नाक से असामान्य रक्तस्राव, मूत्र या मल में रक्त, असामान्य रूप से भारी मासिक धर्म प्रवाह, त्वचा में सतही रक्तस्राव, त्वचा पर लाल-बैंगनी धब्बे अथवा चकत्ते आदि में एक बड़ी राहत देखते हैं तथा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार महसूस करते हैं जो अन्य इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के अनुकूल काम करता है I
अगर हम जीवन प्रत्याशा की बात करें तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में एक बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी, चाहे वह छोटे पैमाने पर हो या एक गंभीर चरण में, मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी और यह कई वर्षों तक मौजूद रहेगी, कभी-कभी जीवन भर भी। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा बहुत कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल बीमारी से छुटकारा दिलाती है, बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़े बिना व्यक्ति के जीवनकाल को बढ़ाती है और यह हमारा अंतिम लक्ष्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे। इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।
चिकित्सा पद्धतियों की एक विस्तृत श्रृंखला की तुलना में, हम रोग के मूल कारण और उन कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो बीमारी के पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं, न कि केवल रोग के प्रबंधन पर। इस पद्धति का उपयोग करके, हमने पुनरावृत्ति दर को सफलतापूर्वक कम कर दिया है और लोगों के जीवन के लिए एक नई दिशा बताई है ताकि लोग भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर जीवन जी सकें।
इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कारणों में शामिल है -
मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली बोन मैरो में पाई जाने वाली प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाओं को कुछ स्थितियों में शरीर के लिए ख़तरनाक बनाने के लिए लक्षित करना शुरू कर देती है। नतीजतन, प्रतिरक्षा प्रणाली प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगती हैं जिसके कारण प्लेटलेट्स की संख्या में कमी होने लगती है और व्यक्ति को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की समस्या होने लगती है I
कुछ संक्रमण के परिणामस्वरूप व्यक्ति को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होने का ख़तरा हो सकता है I एचआईवी, हेपेटाइटिस या एच पाइलोरी के संक्रमण से तथा बैक्टीरिया का प्रकार जो पेट के अल्सर का कारण बनता है, इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया को सक्रिय करने में मदद कर सकते है I
इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का जोखिम उन लोगों में अधिक पाया जाता है, जिन्हें गठिया, ल्यूपस और एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम जैसी बीमारियां भी होती हैं।
उन लोगों को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया हो सकता है जिन्हें कोई बोन मेरो विकार हो I बोन मैरो में समस्या होने की वजह से प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है। ल्यूकेमिया, एनीमिया जैसे कुछ निम्नलिखित विकार इस समस्या को उजागर कर सकते है I
वे लोग जो शराब का एक लंबे समय से निरंतर व अत्यधिक मात्रा में सेवन करते है उनके शरीर में शराब में स्थित हानिकारक पदार्थ प्लेटलेट्स की संख्या को कम करने में मददगार हो सकते है I ऐसे में उन व्यक्तियों को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होने का ख़तरा अधिक रहता है I
वे व्यक्ति जो किसी कैंसर का उपचार करने हेतु कीमोथेरेपी दवाइयों का सेवन कर रहे हो उन्हें इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का जोख़िम हो सकता है I यह ड्रग्स प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाओं को हानि पहुंचाकर उनकी संख्या को कम करने के लिए ज़िम्मेदार हो सकते है I
कुछ निम्नलिखित स्वस्थ प्रयासों द्वारा इसके लक्षणों व जटिलताओं को कम किया जा सकता है-
इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षणों और संकेतों में शामिल है -
इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है -
यह इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का सबसे आम प्रकार माना जाता है I अक्यूट इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया अस्थायी या अल्पकालिक समय के लिए होता है जो आमतौर पर बच्चों में अधिक देखने को मिलता है I अक्यूट इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की अवधि छह महीने से कम की होती है I अक्सर वायरल संक्रमण इस समस्या के लिए ज़िम्मेदार माने जाते है I
लंबे समय तक चलने वाली इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की स्थिति क्रोनिक इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहलाती हैं। ऑटोइम्यून विकार प्रायः इस तरह की समस्या का कारण बनते है I क्रोनिक इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया छह महीने से लेकर वर्षों तक किसी व्यक्ति को परेशान कर सकता है I
इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की स्थिति एक व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं से ग्रसित कर सकती है -