पाचन तंत्र भोजन नली, मुख-गुहा, ग्रसनी, ग्रसिका, आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत, मलाशय और मलद्वार आदि अंगों से मिलकर बनी होती है I पाचन तंत्र की सहायक ग्रंथियों में लार ग्रंथि, यकृत, पित्ताशय और अग्नाशय शामिल हैं I यह सभी अंग मिलकर भोजन को पचाने से लेकर आवश्यक पोषक तत्वों को शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों में पहुँचाने से लेकर अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने जैसे विशिष्ट कार्यों को पूरा करते है तथा इस प्रकार पाचन तंत्र की प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाते है I व्यक्ति के शरीर में तथा शरीर के विभिन्न अंगों का पोषण पाचन तंत्र के माध्यम से होता है I पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में हुआ किसी प्रकार का असंतुलन पूरे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है I
क्रोन रोग पाचन तंत्र की पुरानी सूजन की बीमारी होती है जो इसके अस्तर को भी प्रभावित करती है I अधिकतर यह सूजन छोटी आँत अथवा बड़ी आँत को प्रभावित करती है पर इस सूजन से पाचन तंत्र का कोई भी हिस्सा जिसमें मुंह से लेकर गुदा तक का हिस्सा प्रभावित हो सकता है I सूजन के साथ होने वाली जलन पूरे पाचन तंत्र को प्रभावित करती है I कई व्यक्ति ऐसे भी है जिन्हें यह रोग उनके आँतों के अंतिम छोर को ही प्रभावित करता है I क्रोन रोग समय के साथ साथ विकसित होता है जो किसी व्यक्ति के लिए दर्द-भरा हो सकता है तथा एक बहुत ही लंबे समय तक परेशान कर सकता है I क्रोन रोग के कारण शरीर को पौष्टिक तत्व और ऊर्जा पूरी तरह नहीं मिल पाती है। कुछ परिस्थितियों में यह रोग व्यक्ति के मल द्वार तक पहुँच जाती है जिससे व्यक्ति को मल त्याग में बेहद कठिनाई होती है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का कार्य करती हैं, जो कि गाय के मूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार, यदि वे अनुपातहीन हैं, तो क्रोन रोग का कारण बन सकते है जिसके इलाज के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई सहायक तत्व हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से उपयुक्त स्वास्थ्य मिलता है और एक क्रम में शरीर के दोषों में संतुलन बनाए रखता है। इन दिनों हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य को लगातार सुधार रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन-गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा का उपचार विभिन्न उपचारों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पूरक थेरेपी के रूप में कार्य कर सकते हैं जो भारी खुराक, बौद्धिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से आते हैं। हम लोगों का मार्गदर्शन करते हैं, एक सुखी और तनाव मुक्त जीवन जीने का एक तरीका सिखाते है, यदि उन्हें कोई असाध्य बीमारी है तो। हमारे उपाय करने के बाद हजारों मनुष्य एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक जीवनशैली दें जो वे अपने सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में गोमूत्र का उच्च स्थान है जो क्रोन रोग के लिए उचित रूप से सहायक है। हमारे वर्षों के कठिन परिश्रम से पता चलता है कि हमारे हर्बल उपचार के उपयोग से क्रोन रोग की कई जटिलताये लगभग गायब हो जाती हैं। हमारे मरीज पेट में दर्द, अत्यधिक शारीरिक थकान व कमज़ोरी, पेट में भारीपन, एंठन व मरोड़े, दस्त, मल के साथ रक्त, बुखार, रक्त की कमी, मितली व उल्टी, वजन कम होना, आँतों में अल्सर, त्वचा पर सूजन, लालिमा व चकत्ते, मुंह में छाले, पित्त नालिकाओ में सूजन में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं I हमारे हर्बल उपचार से रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता हैं जो अन्य क्रोन रोग जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है I
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं, तो गोमूत्र उपाय अपने आप में बहुत बड़ी आशा है। कोई भी विकार चाहे छोटे हो या गंभीर चरण में, मानव शरीर पर बुरे प्रभाव के साथ आते है और जीवनभर के लिए मौजूद रहते है। एक बार जब विकार को पहचान लिया जाता है, तो जीवन प्रत्याशा छोटी होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय न केवल पूरी तरह से विकार का इलाज करता है बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़ने के बिना उस व्यक्ति के जीवन-काल में वृद्धि करता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे। इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।
व्यापक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, हम रोग और कारकों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो केवल रोग के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रोग पुनरावृत्ति की संभावना में सुधार कर सकती हैं। इस पद्धति का उपयोग करके, हम पुनरावृत्ति दरों को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं ताकि वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकें।
क्रोन रोग होने के लिए विभिन्न कारण व जोखिम कारक ज़िम्मेदार हो सकते है जिनमे शामिल है -
क्रोन रोग एक अनुवांशिक विकार माना जा सकता है जिसके अंतर्गत परिवार के किसी भी सदस्य माता-पिता, भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदारों में क्रोन रोग है तो यह समस्या किसी दूसरे सदस्य को उनके पारिवारिक इतिहास की वजह से हो सकती है I
कई बार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को शरीर के लिए हानिकारक मानकर उन पर हमलाकर उन्हें नष्ट करने लगती है I पाचन तंत्र की कोशिकाओं को ऑटोइम्यून विकार की वजह से होने वाली क्षति सूजन का कारण बनती है जिससे व्यक्ति को क्रोन रोग होने की सम्भावनाये बढ़ जाती है I
लंबे समय से धूम्रपान जैसी आदतों की वजह से व्यक्ति को यह रोग होने का जोखिम कई अधिक बढ़ जाता है I सिगरेट, बीड़ी व तंबाकू में स्थित हानिकारक तत्व व्यक्ति के शरीर में पहुँचकर उनकी आँतों व स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर सूजन पैदा करने लगते है जिससे व्यक्ति को क्रोन रोग की समस्या होने लगती है I
कुछ दवाइयाँ ऐसी होती है जिनका सेवन करने से व्यक्ति को क्रोन रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है I इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन सोडियम, डाइक्लोफेनाक सोडियम नॉन-स्टेरॉयडल एंटी—इंफ्लमेटरी जैसे की गर्भ निवारक दवाइयाँ अथवा एस्पिरिन आदि दवाइयाँ क्रोन रोग के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
माइक्रोब्स जैसे बैक्टीरिया या वायरस के कारण पाचन तंत्र में हुआ संक्रमण इसके किसी भी हिस्से में सूजन पैदा कर सकता है जिससे व्यक्ति को क्रोन रोग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है I
व्यक्ति द्वारा एक बहुत ही लंबे समय तक लिया जाने वाला शारीरिक तथा मानसिक तनाव व्यक्ति को क्रोन रोग से ग्रसित करने के लिए जिम्मेदार हो सकते है I
शरीर जब दीर्घकालिक अवधि से विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आता है तो यह विषाक्त पदार्थ पाचन तंत्र में सूजन की स्थिति उत्पन्न करने लगते है I वातावरण में उपस्थित कई हानिकारक पदार्थ, उद्योगों में प्रयोग किये जाने वाले बेंजीन जैसे रासायनिक पदार्थ, फ़ैक्टरियों से निकलने वाले ज़हरीली गैसे, धुआँ आदि का लगातार लंबे समय से संपर्क क्रोन रोग की संभावनाओं को कई गुना अधिक कर सकते है I
अनियमित खान-पान की आदतें, आहार में शामिल रिफाइंड और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन इस बीमारी की आशंका को अधिक कर सकता है।
क्रोन रोग के जोखिमों को कम करने के लिए व्यक्ति निम्नलिखित उपायों तथा प्रयासों को अपना सकता है -
क्रोन रोग के लक्षणों व संकेतों में शामिल है -
पाचन तंत्र में क्रोन रोग स्थान के आधार पर पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है -
क्रोन रोग का यह सबसे आम प्रकार है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के आँत का सबसे लम्बा हिस्सा कोलन तथा छोटी आँत का अंतिम भाग इलीयम प्रभावित होता है।
क्रोन रोग का यह प्रकार आमतौर पर छोटी आँत के बीच वाले भागे जेजुनम को प्रभावित करता है।
इसमें इलीयम जोकि छोटी आँत का अंतिम भाग होता है , क्रोन रोग द्वारा प्रभावित होता है जिससे इलीयम में सूजन पैदा होती है।
क्रोन रोग का यह प्रकार पेट और डूओडनल नामक छोटी आँत के शुरुआती भाग को प्रभावित करता है।
बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा कोलन क्रोन रोग से प्रभावित होता है I
क्रोन रोग से ग्रसित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना कर पड़ सकता है -