रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटो इम्यून बीमारी होती है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की बीमारियों से रक्षा करने के बजाय स्वयं शरीर के स्वस्थ ऊत्तकों पर हमला करती है l व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने की स्थिति में जोड़ों की परतो को नुकसान पहुँचता है तो व्यक्ति को असहनीय दर्द होने लगता है और उसे रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या होती है l रूमेटाइड अर्थराइटिस की स्थिति में जोड़ों को सुरक्षित रखने वाले कार्टिलेज भी नष्ट होने लगती है जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती है l यह कार्टिलेज एक लचीले कनेक्टिव उत्तक होते हैं जो शरीर के कई हिस्सों में मौजूद रहकर हड्डियों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करती है l रूमेटाइड अर्थराइटिस होने पर व्यक्ति को जोड़ों में दर्द होने के साथ उनके हाथ पैरों में सूजन आ जाती है l इस स्थिति से जुड़ी सूजन व्यक्ति के शरीर में अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकती है l
रूमेटाइड अर्थराइटिस से अधिकतर दोनों कलाईयाँ, घुटने तथा दोनों बाजू के जोड़ अधिक प्रभावित होते है l रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति के शरीर के जोड़ों में सूजन तथा दर्द होने के साथ ही उनका आकार बहुत बदल जाता है l इसकी स्थिति गंभीर होने पर फेफड़ों, हृदय, त्वचा, आँखों तथा खून की धमनियों पर भी बुरा असर होता है l इस स्थिति में हड्डियों का क्षरण होने लगता है जिससे गंभीर रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण व्यक्ति को शारीरिक विकलांगता जैसी मुश्किल समस्या भी हो सकती है l
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सीय दृष्टिकोण के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियाँ शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि रूमेटाइड अर्थराइटिस का कारण होती हैं अगर वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में इनसे निपटने के लिए बहुत से सहायक तत्व शामिल होते हैं। यह काया के चयापचय में सुधार करता है I
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर के दोष संतुलित होते है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में तेजी से सुधार कर रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को बीमारी के साथ, यदि कोई हो तो, शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए निर्देशित करते हैं। हमारे उपचार को लेने के बाद से, हजारों लोग एक स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी सफलता है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जो वे सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में गोमूत्र का एक अनूठा महत्व है जो रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसे भयानक रोगों के लिए उपयोगी बताया गया है। हमारे वर्षों के कठिन परिश्रम से पता चलता है कि रूमेटाइड अर्थराइटिस की कई जटिलताएँ हमारी हर्बल दवाओं के उपयोग से गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे संयुक्त कठोरता और सूजन, शारीरिक थकान, शरीर में पसीना और बुखार, शरीर में हार्मोनल और रासायनिक आदि परिवर्तनों को नियंत्रित करते हैं, यह रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता हैं जो अन्य रूमेटाइड अर्थराइटिस जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है तथा मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करता है।
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं, तो गोमूत्र उपाय अपने आप में बहुत बड़ी आशा है। कोई भी विकार चाहे छोटे हो या गंभीर चरण में, मानव शरीर पर बुरे प्रभाव के साथ आते है और जीवनभर के लिए मौजूद रहते है। एक बार जब विकार को पहचान लिया जाता है, तो जीवन प्रत्याशा छोटी होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय ना केवल पूरी तरह से विकार का इलाज करता है बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़ने के बिना उस व्यक्ति के जीवन-काल में वृद्धि करता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
“सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्", अर्थात सभी को प्रसन्न होने दो, सबको बीमारी से मुक्त कर दो, सभी को सत्य देख लेने दो, किसी को कष्ट नहीं होने दो।" हम चाहेंगे कि इस आदर्श वाक्य को अपनाकर हमारी संस्कृति भी ऐसी ही हो। हमारी चिकित्सा कुशल देखभाल प्रदान करके, प्रभावित रोगियों की जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने और दवा निर्भरता को कम करके इसे पूरा करती है। इस नई दुनिया में, हमारे उपचार में उपलब्ध किसी भी औषधीय समाधान की तुलना में अधिक लाभ और कम नकारात्मकता हैं।
व्यापक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, हम रोग और कारकों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो केवल रोग के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रोग पुनरावृत्ति की संभावना में सुधार कर सकती हैं। इस पद्धति का उपयोग करके, हम पुनरावृत्ति दरों को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं ताकि वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकें।
जब व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली सिनोवियम पर हमला करती है तब उन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस होता है l सिनोवियम जोड़ों को घेरी हुई झिल्लियों की परत होती है जिन पर प्रतिरक्षा प्रणाली हमला करती है l जोड़ों में हुई सूजन इन सिनोवियम को मोटा कर देती है जिसके परिणामस्वरूप यह जोड़ों के अंदर कार्टिलेज और हड्डी को नष्ट करती है l यह जोड़ अपना आकार अलाइनमेंट खो देते हैं जब टेंडन और लिंगामेंट जोड़ को कमज़ोर और उनमे खिंचाव करते है l
रूमेटाइड अर्थराइटिस होने के स्पष्ट कारण अज्ञात है तथापि कुछ जोखिम कारक इसे प्रभावित कर सकते हैं l ये जोखिम कारक निम्नलिखित हो सकते हैं -
यह रूमेटाइड अर्थराइटिस किसी भी को किसी भी उम्र में हो सकता है l फिर भी उम्र बढ़ने के साथ साथ यह बीमारी होने का जोखिम कई अधिक बढ़ जाता है l
व्यक्ति का अधिक वजन रूमेटाइड अर्थराइटिस को विकसित करने में सहायक होता है l शरीर की अतिरिक्त वसा के कारण शरीर का मोटापा आम तौर पर नरम ऊत्तकों में क्षति पहुँचाता है l शरीर के बढ़े हुए वज़न से जोड़ों पर सामान्य से अधिक दबाव पड़ता है l मोटापा ज्यादातर घुटने तथा कुल्हे के जोड़ों के नरम ऊत्तकों में क्षति पहुँचाता है l मोटापा ज्यादातर घुटने तथा कुल्हे के जोड़ों पर रूमेटाइड अर्थराइटिस को उत्पन्न करता है l
वह व्यक्ति जो एक लम्बे समय तक धूम्रपान करते है उन लोगों को रूमेटाइड अर्थराइटिस का ख़तरा बढ़ जाता है l समय के साथ साथ धूम्रपान इस बीमारी की स्थिति को ओर भी अधिक गंभीर बनाते है l धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के शरीर में साइटोकिंस प्रोटीन का स्तर उच्च स्तर पाया जाता है l जो जोड़ों को क्षति करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते है l
रूमेटाइड अर्थराइटिस का ख़तरा पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाया जाता है जिसका कारण फ़ीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन का उच्च स्तर हो सकता है l
रूमेटाइड अर्थराइटिस परिवारों में चलने वाले रोग होते है l यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता अथवा भाई-बहनो में इस प्रकार का विकार है तो उन्हें भी यह बीमारी होने की संभावना अधिक हो सकती है l यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के सदस्य में फैलने वाली बीमारी होती है l
कुछ जीन व्यक्ति को पर्यावरणीय कारकों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं जैसे कि कुछ वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमण जो रोग को रूमेटाइड अर्थराइटिस ट्रिगर कर सकते हैं I कई सूक्ष्मजीवों द्वारा संक्रमण जैसे कि पोरफाइरोमोनस जिंजिवलिस, प्रोटियस मिराबिलिस, एपस्टीन-बार वायरस और मायकोप्लाज़्मा रूमेटाइड अर्थराइटिस को विकसित करने में योगदान कर सकते हैं I
एस्बेस्टोस अथवा सिलिका जैसे कुछ रसायनों का सम्पर्क व्यक्ति को रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का जोखिम बढ़ा सकते है l हानिकारक एजेंटों के कुछ व्यवसाय में काम करने वाले व्यक्तियों का इन रसायन के संपर्क में रहने से रूमेटाइड अर्थराइटिस के विकास का ख़तरा बढ़ जाता है l
व्यक्ति अपने शरीर में कुछ अच्छे बदलाव लाकर व रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग को उभरने अथवा बढ़ने से रोक सकते है l यह बदलाव निम्नलिखित है -
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण
रूमेटाइड अर्थराइटिस दो प्रकार के होते हैं -
रक्त में कुछ एंटीबॉडी व्यक्ति के शरीर पर हमला करते है और जोड़ों को नुकसान पहुँचाते है l इस स्थिति में व्यक्ति को सेरोपाॅजिटीव रूमेटाइड अर्थराइटिस होता है l यह एंटीबॉडी एंटी-साइक्लिक सिट्रुलनेटेड पेप्टाइड्स (एंटी-सीसीपी) या एंटी-सिट्रूलेटेड प्रोटीन एंटीबॉडीज (एसीपीए) के नाम से जाते है जिनके हमले से व्यक्ति को सेरोपाॅजिटीव रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या का सामना करना पड़ता है l सेरोपाॅजिटीव रूमेटाइड अर्थराइटिस एक गंभीर विकृति होती है जो गंभीर लक्षण लिए होती है l
सेरोनेगेटीव रूमेटाइड अर्थराइटिस की स्थिति में शरीर में किसी तरह के कोई एंटीबॉडी हमले जैसे मामले नहीं होते है l यह आम तौर पर तब होता है जब जोड़ों के स्तर पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हमला होता है l ज्यादातर मध्यम वर्ग की महिलाओं में सेरोनेगेटीव रूमेटाइड अर्थराइटिस सबसे आम है l
रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -