किसी महिला के गर्भवती होने के बाद जब उनके गर्भाशय में भ्रूण सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पाता है तो वह भ्रूण स्वतः ही नष्ट हो जाता है यह स्थिति गर्भपात कहलाती है जिसके अंतर्गत गर्भावस्था के पांच महीने पूरे होने से पहले भ्रूण समाप्त हो जाता है I अधिकांश गर्भपात महिला के गर्भवती होने के 14 हफ्ते अर्थात 3 महीने के दौरान ही हो जाते हैं। किसी महिला का गर्भपात उस समय होता है जब गर्भाशय में विकसित होने वाला भ्रूण किसी कारण वश विकसित नहीं हो पाता है और गर्भावस्था की अवधि पूरी होने से पहले ही उसका अपने आप ही अंत हो जाता है I ऐसे में प्रसव की अवधि पूरी होने से पहले ही भ्रूण गर्भ से बाहर आ जाता है I चूँकि गर्भावस्था की अवधि के शुरुआती 3 से 4 महीनों में भ्रूण में मांस नहीं होता है इसलिए इस अवधि में होने वाले गर्भपात में यह मासिक धर्म की भांति ही रक्तस्राव के रूप में योनि से बाहर निकल जाता है I लगभग 80 प्रतिशत गर्भपात अक्सर नौ महीने गर्भावस्था की अवधि के उन शुरुआती महीनों में ही हो जाता है जब भ्रूण शिशु में परिवर्तित नहीं होता है I गर्भ धारण में लगभग 15% से 18% गर्भपात, गर्भावस्था के दौरान देखने को मिलते है I इनमे से कई महिलाएं ऐसी होती है जिनका गर्भपात उनके मासिक धर्म बंद हो जाने के ठीक बाद ही हो जाता है तथा जिन्हें अपने गर्भवती होने का पता तक नहीं चलता I हमारे विशेषज्ञ गर्भपात के लिए आयुर्वेदिक उपचार में अनुकूलित आहार और आयुर्वेदिक दवा प्रदान करते है जो इस अवस्था में स्वस्थ रहने में मदद करती हैं I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि ज्यादातर गर्भपात का कारण होती हैं अगर वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में इनसे निपटने के लिए बहुत से सहायक तत्व शामिल होते हैं। यह काया के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और दोषों को संतुलित रखता है। आज हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं जिन रोगियों को भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है। हम लोगों को मार्गदर्शन करते हैं कि यदि कोई रोग हो तो उस असाध्य बीमारी के साथ एक खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन कैसे जियें। हजारों लोग हमारी थेरेपी लेने के बाद एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जिनके वे सपने देखते हैं।
गोमूत्र, जिसे अक्सर गर्भपात के लिए अच्छा माना जाता है, का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। हमारे वर्षों के काम से साबित होता है कि हमारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ गर्भपात के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। हमारा उपचार लेने वाली महिला मरीज को योनि से रक्तस्राव, किसी प्रकार का तरल पदार्थ योनि से बाहर निकलना, पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द, पेट में हल्कापन, पीठ के निचले हिस्से में असामान्य दर्द व ऐंठन, योनि से ऊतक का स्त्राव, स्तन में असहजता व कोमलता का अनुभव, दस्त लगना, उल्टी होना, गर्भाशय में दबाव महसूस होना इन सभी समस्याओं में एक बहुत बड़ी राहत महसूस होती हैं जो ना सिर्फ उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता हैं बल्कि गर्भपात की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है I
यदि हम किसी व्यक्ति की अस्तित्व प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र उपाय स्वयं में एक बड़ी आशा हैं। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर स्थिति में होती है, जो मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है और कुछ वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार विकार की पहचान हो जाने के बाद, अस्तित्व प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय अब इस बीमारी से सबसे प्रभावी रूप से ही छुटकारा नहीं दिलाता है, बल्कि उस व्यक्ति की जीवनशैली-अवधि में भी वृद्धि करता है और उसके रक्त प्रवाह में कोई विष भी नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे । इस कहावत का पालन करते हुए, हम चाहते हैं कि हमारा समाज ऐसा ही हो। हमारी चिकित्सा विश्वसनीय उपचार देकर, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता को कम करके इस कहावत को पूरा करती है। इस आधुनिक दुनिया में अन्य उपलब्ध चिकित्सा विकल्पों की तुलना में हमारी चिकित्सा में अधिक फायदे और नुकसान शून्य हैं।
व्यापक वैज्ञानिक अभ्यास के अलावा, हमारा केंद्र बिंदु रोग और उसके तत्वों के मूल उद्देश्य पर है जो केवल बीमारी के प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विकार पुनरावृत्ति की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। इस पद्धति के उपयोग से, हम पुनरावृत्ति दर को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों की जीवन शैली को एक नया रास्ता दे रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को भावनात्मक और शारीरिक रूप से उच्चतम तरीके से जी सकें।
कई निम्नलिखित कारण व जोखिम कारक गर्भपात के लिए जिम्मेदार हो सकते है -
तीन महीने के अंदर होने वाले गर्भपात अधिकांशतः भ्रूण के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले अविकार के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण का सामान्य विकास रुक जाता है I गर्भावस्था की बहुत ही प्रारंभिक अवस्था में विकसित हुए भ्रूण में गुणसूत्र असामान्य होते हैं जिसके कारण शुरू से ही गर्भावस्था का विकास सही ढंग से नहीं होता है। यह गुणसूत्र विकार प्राकृतिक होता है I आमतौर पर विकसित होने वाले भ्रूण को अपनी माँ के डिम्ब से 23 गुणसूत्र और पिता के शुक्राणु से 23 गुणसूत्र मिलते हैं। लेकिन गुणसूत्र विकार की स्थिति में भ्रूण को माँ के डिम्ब से और पिता के शुक्राणु से बहुत अधिक अथवा बहुत ही कम गुणसूत्र मिलते है जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण शिशु के रूप में विकसित होने से पहले ही नष्ट हो जाता है I
जिन महिलाओं की उम्र 40 साल अथवा उससे अधिक होती है उनका गर्भपात होने की सम्भावना भी अधिक रहती है I महिला की बढ़ती उम्र में गुणसूत्र में विकार उत्पन्न होने लगते है I इस दौरान गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में गुणसूत्र विकार वाले भ्रूण का विकास होता है परिणामस्वरूप ऐसा भ्रूण आगे विकसित नहीं हो पाता है और बहुत ही कम समय में महिला का गर्भपात हो जाता है I
यदि महिला पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित होती है तो उनके लिए गर्भपात का खतरा अधिक हो जाता है I मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा की समस्या, सीलिएक रोग, थायराइड, ल्युपस, गुर्दे संबंधी समस्याएं आदि से ग्रस्त कोई महिला जब गर्भ धारण करती है तो उनका गर्भपात होने का जोखिम भी कई अधिक हो जाता है I
महिला की ख़राब जीवन शैली गर्भपात का एक बहुत ही मुख्य कारण बन सकता है I गर्भ धारण करने वाली महिला यदि शराब व धूम्रपान का अत्यधिक सेवन करती है, ड्रग्स लेती है, अनियमित खान-पान, सोने का अनियमित समय रखती है तो ऐसी महिलाओं का गर्भपात होने का जोखिम कई अधिक बढ़ जाता है I
एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन ये दो हार्मोन महिला के शरीर में उत्पादित होते है I जब कोई महिला गर्भ धारण करती है तो यह दोनों हार्मोन गर्भ की रक्षा करते है I परन्तु जब इन हार्मोन में असंतुलन होने लगता है तो यह असंतुलन गर्भपात का कारण बनता है I अधिक उम्र, तनाव की अधिकता, अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉयड दवाओं का अधिक सेवन, मोटापा यह सभी इन हार्मोन्स के स्तर में असमानता लाते है जिससे महिला का गर्भपात हो सकता है I
कई ऐसे अन्य ऐसे जोखिम कारक है जो किसी महिला के गर्भपात का कारण बन सकते है I महिला का अत्यधिक वजन, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, संक्रमण, कैफीन युक्त पदार्थों का अत्यधिक सेवन, शिशु या माँ के साथ होने वाली कोई स्वास्थ्य समस्या, अत्यधिक तनाव, गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आदि कई ऐसे कारण है जिनसे महिला का गर्भपात हो सकता है I
महिला का गर्भपात क्यों होता इसका पता लगाना प्रायः मुश्किल होता है परन्तु कुछ जानकारियों के साथ अपनाई गई सावधानियां महिला को गर्भपात की समस्या से बचा सकती है I ऐसे में महिला को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
जब किसी महिला का गर्भपात होता है तो निम्नलिखित लक्षणों व संकेतों से उन्हें इस बात का पता चलता है -
निम्नलिखित प्रकारों में किसी महिला का गर्भपात हो सकता है -
जब गर्भ धारण करने के तीन महीने के भीतर महिला की योनि से रक्तस्राव होने लगता है तो यह थ्रेटेंड मिसकैरेज कहलाता है I इस तरह के गर्भपात में महिला की गर्भाशय ग्रीवा बंद हो जाती है I यद्यपि ऐसी अवस्था में लगभग 83 % गर्भावस्था बिना किसी परेशानी के जारी रह सकती है I परन्तु यदि रक्तस्त्राव भारी होता है तो यह शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है I
गर्भ धारण करने के शुरुआती समय में जब महिला की योनि से रक्तस्राव भारी मात्रा में होता है तथा पेट में ऐंठन होने लगती है तो यह इनएविटेबल मिसकैरेज के नाम से जाना जाता है I इस स्थिति में गर्भाशय ग्रीवा खुली होती है और गर्भपात की संभावना अधिक रहती है I
इनकम्पलीट मिसकैरेज से तात्पर्य ऐसे गर्भपात से है जिसमें महिला को भारी मात्रा में रक्तस्त्राव और पेट में दर्द होता है I इस तरह के गर्भपात में शिशु अथवा नाल से जुड़े कुछ ऊतक शरीर से बाहर निकल जाते है परन्तु कुछ भाग गर्भाशय में ही छुट जाता है I
गर्भावस्था के दौरान जब महिला की योनि से अधिक मात्रा में रक्तस्राव, पेट में अत्यधिक दर्द आदि होता है तो इस तरह के गर्भपात में उनके गर्भाशय से सारे ऊतक पूरी तरह से शरीर से बाहर निकल जाते है I कम्पलीट मिसकैरेज आमतौर पर गर्भावस्था के तीन महीने से पहले ही हो जाता है I
गर्भावस्था की अवधि के दौरान जब किसी कारण से भ्रूण विकसित नहीं होता है और खुद ब खुद समाप्त हो जाता है पर इसके सभी ऊतक शरीर से बाहर न निकल कर माँ के गर्भाशय में स्थित रहते है तो इस तरह का गर्भपात मिस्ड मिसकैरेज कहलाता है I
जब गर्भवती महिला का एक से अधिक बार गर्भपात होता है तो यह समस्या रिकरंट मिसकैरेज कही जाती है I ऐसी अवस्था में महिला गर्भ धारण करने के तीन महीने में ही तक़रीबन दो से तीन बार तक अपना भ्रूण खो देती है I हालाँकि रिकरंट मिसकैरेज की घटना दुर्लभ होती है जो सिर्फ 1 % से 2 % महिला को ही प्रभावित करने वाली होती है I
गर्भपात जैसी गंभीर समस्या को झेलने वाली महिला को कई दूसरी जटिलताओं का भी सामना कर पड़ता है -
"विभिन्न अध्ययन किए गए हैं जहां जैन गाय मूत्र चिकित्सा ने रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।"