जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से उपयुक्त स्वास्थ्य मिलता है और एक क्रम में शरीर के दोषों में संतुलन बनाए रखता है। इन दिनों हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य को लगातार सुधार रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन-गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा का उपचार विभिन्न उपचारों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पूरक थेरेपी के रूप में कार्य कर सकते हैं जो भारी खुराक, बौद्धिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरपी के उपयोग से आते हैं। हम लोगों का मार्गदर्शन करते हैं, एक सुखी और तनाव मुक्त जीवन जीने का एक तरीका सिखाते है, यदि उन्हें कोई असाध्य बीमारी है तो। हमारे उपाय करने के बाद हजारों मनुष्य एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक जीवनशैली दें जो वे अपने सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में, गोमूत्र की एक विशेष स्थिति है जिसे अक्सर माइग्रेन जैसी बीमारियों के लिए मददगार माना जाता है। हमारे वर्षों के श्रमसाध्य कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से माइग्रेन की लगभग सभी जटिलताएँ गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे गंभीर दर्द, ध्वनि के प्रति संवेदनशील, हल्की और तेज गंध, मतली और उल्टी, अत्यधिक पसीना, थकान, एकाग्रता, शरीर में हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों को नियंत्रित और संतुलित करने में बड़ी राहत महसूस होती है, रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है जो अन्य अवसाद जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है।
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात करते हैं, तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में बहुत आशावाद है। कोई भी विकार, चाहे वो मामूली हो या गंभीर, मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है और जीवन में वर्षों तक बना रहता है। रोग की पहचान होने पर जीवन प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र उपचार के साथ नहीं। न केवल हमारी प्राचीन चिकित्सा बीमारी को दूर करती है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन को उसके शरीर में किसी भी दूषित पदार्थों को छोड़े बिना बढ़ाती है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे। इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।
चिकित्सा पद्धतियों की एक विस्तृत श्रृंखला की तुलना में, हम रोग के मूल कारण और उन कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो बीमारी के पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं, न कि केवल रोग के प्रबंधन पर। इस पद्धति का उपयोग करके, हमने पुनरावृत्ति दर को सफलतापूर्वक कम कर दिया है और लोगों के जीवन के लिए एक नई दिशा बताई है ताकि लोग भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर जीवन जी सकें।
व्यक्ति को माइग्रेन की समस्या निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकती है -
वे व्यक्ति जो अपने जीवन में जीवन में अत्यधिक तनाव लेते है उन्हें माइग्रेन की समस्या हो सकती है l अत्यधिक तनाव व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है l काम की अधिकता, रिश्तों में तकरार, पैसों की कमी, व्यवसाय में नुकसान जैसी कई ऐसी समस्याएँ है जिसके कारण व्यक्ति तनाव लेने लगता है l जब यह तनाव अधिक बढ़ जाता है तो व्यक्ति को माइग्रेन होने लगता है l
यदि व्यक्ति के शरीर में कई असामान्य हार्मोनल बदलाव होते है तो यह उनके माइग्रेन का कारण बन सकते है l विशेषकर महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव उनके माइग्रेन को पैदा कर सकते है l गर्भावस्था, मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में तीव्र माइग्रेन विकसित हो सकता है जब उनके एस्ट्रोजन नामक हार्मोन में कई उतार चढ़ाव होने लगते है l
किसी व्यक्ति को माइग्रेन उनकी आनुवांशिकता के परिणामस्वरूप हो सकता है l किसी परिवार में यदि कोई व्यक्ति माइग्रेन से ग्रसित हो तो दूसरे व्यक्ति को भी यह समस्या उनके पारिवारिक इतिहास के चलते परेशान कर सकती है l
अपौष्टिक आहार व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है l जो व्यक्ति अपने जीवन में पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करते है उन्हें माइग्रेन की समस्या हो सकती है l कैफीन तथा शराब का अत्यधिक सेवन करने वाले लोगों में भी माइग्रेन का जोखिम हो सकता है l
तापमान में होने वाले परिवर्तन भी माइग्रेन की समस्या को उत्पन्न कर सकते है l अत्यधिक धूप और गर्मी तथा अत्यधिक सर्दी जैसे बदलते मौसम में व्यक्ति को माइग्रेन हो सकता है l बादल छाने की स्थिति में भी किसी व्यक्ति के सिर में माइग्रेन का दर्द उठ सकता है l
अत्यधिक नींद लेना और नींद ना आना दोनों ही माइग्रेन के जोखिम को बढ़ा सकते है l आम तौर पर नींद की कमी कुछ लोगों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है l कम नींद लेने वाले औसतन व्यक्तियों को गंभीर माइग्रेन की समस्या हो सकती है l बहुत अधिक सोने वाले व्यक्ति भी माइग्रेन जैसे असहाय दर्द से पीड़ित रह सकते है l
लगातार उस माहौल के सम्पर्क में बने रहना जो व्यक्ति की संवेदी उत्तेजना को प्रभावित करती है उनके माइग्रेन की समस्या को उत्पन्न कर सकती है l तेज रोशनी और सूरज की चकाचौंध, अत्यधिक शोर तथा आवाज, मजबूत और तेज खुशबू अथवा बदबू ये सभी व्यक्ति के माइग्रेन का कारण बन सकते है l
यदि कोई व्यक्ति अवसाद तथा चिंता से अधिक समय तक घिरा होता है तो उसे माइग्रेन होने की संभावना अधिक हो सकती है l चिंता विकारों और अवसाद से ग्रस्त व्यक्तियों में माइग्रेन का सिरदर्द उनके मानसिक विकार की स्थिति के फलस्वरूप उभर सकता है l चिंता और अवसाद का बढ़ा हुआ स्तर माइग्रेन को उत्पन्न करने में मदद कर सकते है l
अत्यधिक शारीरिक और मानसिक थकावट व्यक्ति में अवसाद, नींद की कमी जैसी स्थितियों की शुरुआत होती है l लगातार रहने वाली थकान व्यक्ति की ऊर्जा में कमी लाती है जिससे व्यक्ति कई दूसरी समस्याओं के साथ साथ माइग्रेन की समस्या से भी पीड़ित हो सकता है l
कुछ जरूरी बातों का ध्यान रख कर व्यक्ति माइग्रेन की समस्या होने से अपना बचाव कर सकते है जिनमे शामिल है -
व्यक्ति को माइग्रेन के लक्षण और संकेत निम्नलिखित हो सकते है -
आभा के साथ होने वाले माइग्रेन को इस श्रेणी के अंतर्गत रखा जाता है l आमतौर पर किसी तरह की रेखाएँ, चमक अथवा आकार संबंधी दृश्य लक्षण आभा में आते है l इस तरह के माइग्रेन को क्लासिक माइग्रेन के नाम से भी जाना जाता है l इस स्थिति की वजह से लोगों को कई नेत्र संबंधी परेशानियां जैसे रोशनी में काले धब्बे, रोशनी में चकाचौंध नजर आना आदि होती है l
आभा रहित माइग्रेन सबसे आम प्रकार के माइग्रेन होते है जिसमें होने वाला सिरदर्द बिना किसी विशिष्ट चेतावनी संकेतों के होता है l इसे कॉमन माइग्रेन के नाम से भी जाना जाता है l अधिकतर मामलों में आभा रहित माइग्रेन चिंता, अवसाद, तनाव तथा थकान के साथ हो सकते है l अधिक प्यास और नींद आने जैसे कुछ सामान्य लक्षण व्यक्ति महसूस करता है l वही कुछ लोगों को उल्टी, मूड स्विंग जैसी परेशानियां होती है l
क्रोनिक माइग्रेन एक महीने में पंद्रह दिनों तक अथवा लगातार तीन महीनों तक व्यक्ति को परेशान करते है l मस्तिष्क की चोट, रक्त वाहिकाओं में सूजन अथवा स्ट्रोक जैसी स्थितियां क्रोनिक माइग्रेन का कारण बनते है l
महिलाओं के मासिक धर्म की अवधि के दौरान होने वाला माइग्रेन मेंस्ट्रुअल माइग्रेन कहलाता है l मासिक धर्म के समय महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है l ऐसी स्थिति में महिलाओं को माइग्रेन दो दिन में होने की संभावना होती है जो एक अवधि तक हो सकती है l
हेमीप्लेज़िक माइग्रेन एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति के शरीर के एक तरफ अस्थायी कमजोरी आती है l यह माइग्रेन दुर्लभ होते है l इन्हें "माइग्रेन वेरिएंट" के नाम से भी जाना जाता है जिससे शरीर के एक तरफ पक्षाघात होता है l हेमीप्लेज़िक माइग्रेन के लक्षण प्रायः स्ट्रोक की भांति जान पड़ते है l इसके अंतर्गत व्यक्ति के एक ओर के चेहरे, हाथ तथा पैर में कमजोरी अनुभव होती है l
ब्रेन स्टेम ऑरा माइग्रेन का एक असाधारण और दुर्लभ प्रकार है जिसे बेसिलर माइग्रेन भी कहा जाता है l ब्रेन स्टेम ऑरा माइग्रेन का वह सिरदर्द है जो आभा के साथ उत्पन्न होता है l ब्रेन स्टेम ऑरा में व्यक्ति के सिर के दोनों तरफ पीछे की ओर दर्द रहता है l इस प्रकार का माइग्रेन मस्तिष्क और गर्दन की धमनियों में सिकुड़न के कारण होता है l इस तरह के माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति में दृश्य गड़बड़ी, बोलने और सुनने में परेशानी, हाथ-पैरों में झनझनाहट जैसे लक्षण दिखाई देते है l
वेस्टीब्युलर माइग्रेन को माइग्रेन वर्टिगो भी कहा जाता है l वेस्टीब्युलर माइग्रेन व्यक्ति को चक्कर आने से संबंधित है l इस तरह के माइग्रेन में व्यक्ति चक्कर के साथ संतुलन की समस्याओं के संयोजन का अनुभव करते है l सिरदर्द के साथ चक्कर आना, मतली अथवा उल्टी होना, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता आदि कई लक्षण व्यक्तियों में वेस्टीब्युलर माइग्रेन के साथ उभरते है l
ऐब्डॉमिनल माइग्रेन अधिकतर बच्चों में देखने को मिलता है l पेट में दर्द के साथ होने वाला माइग्रेन ऐब्डॉमिनल माइग्रेन के अंतर्गत शामिल किए जाते है l यह माइग्रेन नौ से सोलह साल की उम्र के बच्चों में सबसे आम है l बच्चों को मुख्य रूप से पेट में दर्द के साथ सिरदर्द, मतली और उल्टी जैसी समस्यायें होती है l ऐब्डॉमिनल माइग्रेन एक एपीसोडिक सिंड्रोम होता है l
माइग्रेन से ग्रस्त व्यक्तियों को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -
माइग्रेन का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन उन्हें मस्तिष्क में तंत्रिका संकेतों, रसायनों और रक्त वाहिकाओं को अस्थायी रूप से प्रभावित करने वाले असामान्य मस्तिष्क गतिविधि का परिणाम माना जाता है।
सबसे आम आभा के साथ माइग्रेन हैं (एक क्लासिक माइग्रेन के रूप में भी जाना जाता है) और माइग्रेन के बिना आभा (या आम माइग्रेन) के बिना। अन्य प्रकारों में शामिल हैं: मासिक धर्म माइग्रेन।
माइग्रेन एक अत्यधिक प्रचलित और अक्षम न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो आमतौर पर मनोचिकित्सा की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से आभा या क्रोनिक माइग्रेन के साथ माइग्रेन के साथ विषयों के बीच।
तनाव और माइग्रेन एक दुष्चक्र में जुड़े होते हैं। अपने जीवन में तनाव एक माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है और इसे जारी रख सकता है। क्रोनिक माइग्रेन दर्द आपके तनाव को बढ़ावा दे सकता है। 80% लोग जो माइग्रेन को प्राप्त करते हैं, एक सामान्य ट्रिगर के रूप में तनाव को सूचीबद्ध करते हैं।
एक नियमित समय पर खाएं और सोएं और सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं, और कभी भी भोजन न छोड़ें। नींद की कमी भी लक्षणों को बढ़ा सकती है इसलिए आपको 7-8 घंटे तक सोना होगा। यहां तक कि बहुत अधिक नींद लेने से सिरदर्द हो सकता है, इसलिए बहुत लंबे समय तक स्नूजिंग करके खोई हुई नींद के लिए बनाने की कोशिश न करें।
ईआर पर जाएं यदि आप गंभीर माइग्रेन के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, या भ्रम, बुखार और दृष्टि परिवर्तन, गर्दन की कठोरता, बोलने या सुन्नता या कमजोरी जैसे लक्षण, भले ही माइग्रेन के अन्य लक्षण मौजूद हों (जैसे प्रकाश संवेदनशीलता, मतली)।