इरिटेबल बाउल सिंड्रोम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुडा एक पाचन सम्बंधी विकार है जिसमे बड़ी आंत प्रभावित होती है I जो पेट से गुदा तक फैली आंत आहार नली का वो हिस्सा होती है जो छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में विभाजित होती है। बड़ी आंत को बड़े आंत्र या कोलन के रूप में में भी जाना जाता है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और कशेरुकाओं में पाचन तंत्र का अंतिम हिस्सा है जोकि गुदा के साथ समाप्त होता है I बड़ी आंत के द्वारा खाद्य अवशेषों से नमी व पानी अवशोषित किया जाता है तथा शेष अपशिष्ट पदार्थ को मल के रूप में उत्सर्जित किया जाता है I बड़ी आंत की दीवार मांसपेशियों की परत से मिलकर बनी होती है। इसके द्वारा भोजन को जब पाचन तंन्त्र में भेजने की क्रिया होती है उस समय यह मांसपेशिया सिकुड़ती है परन्तु जब किसी करणवश यह मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ने लग जाती है तो व्यक्ति के पेट में सूजन आ जाती है I सूजन की वजह से बड़ी आंत कमज़ोर हो जाती है जिस कारण यह भोजन को पाचन तंत्र में ठीक तरह से नहीं भेज पाती जिससे व्यक्ति को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होने लगती है। यह विकार आमतौर पर दीर्घकालिक होता है I इस स्थिति में व्यक्ति की बड़ी आंत मे खिचाव आ जाता जिसके कारण आंतो से भोजन तेजी से अथवा धीरे धीरे निकलता है जिससे व्यक्ति को कब्ज या बार-बार दस्त लगने जैसी समस्याएं होती हैं। हम इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपचार प्रदान करते हैं I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सा विधि के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण बनती हैं यदि वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र का उपचार अच्छा स्वास्थ्य देता है और संतुलन बनाए रखता है। आज, हमारे उपचार के कारण, लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से होने वाले विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा और गोमूत्र को पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम लोगों को असाध्य रोगों से खुश, तनाव मुक्त जीवन जीना सिखाते हैं। हमारे उपचार को प्राप्त करने के बाद हजारों लोग एक संतुलित जीवन जी रहे हैं। यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें उनके सपनों की जिंदगी दे सकते है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज संभव है गोमूत्र से, जिसे अक्सर इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए अच्छा माना जाता है, का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। हमारे वर्षों के काम से साबित होता है कि हमारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। हमारे मरीज पेट में दर्द एवं मरोड़, सूजन, गैस होना, कब्ज या दस्त, मल के साथ चिकना कफ जैसा पदार्थ आना, एक बार में पेट साफ ना हो पाना, बार-बार शौचालय जाने की जरूरत महसूस होना, हल्का या तेज बुखार, वजन घटना भूख कम लगना आदि में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं I हमारे द्वारा किये गये हर्बल उपचार से रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता हैं जो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है|
व्यापक अभ्यास की तुलना में, हम रोग के अंतर्निहित कारण और कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो विशेष रूप से रोग के नियंत्रण पर निर्भर होने के बजाय रोग की पुनरावृत्ति की संभावना को बढ़ा सकते हैं। हम इस दृष्टिकोण को लागू करके और लोगों के जीवन को एक अलग रास्ता प्रदान करके प्रभावी रूप से पुनरावृत्ति की दर कम कर रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ तरीके से जी सकें।
कुछ जोखिम कारक इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकते है जिनमे शामिल है -
व्यक्ति के द्वारा लिया जाने वाला अत्यधिक तनाव इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण बन सकता है I जब व्यक्ति तनाव लेता है तो आम तौर पर उसकी एड्रिनल नामक ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है I इन हार्मोन्स के अत्यधिक स्राव के कारण पाचन तंत्र में जलन होने लगती है तथा पाचन नली में सूजन आ जाती है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होने लगती है I
पेट में हुआ किसी प्रकार का बैक्टीरियल अथवा वायरल संक्रमण व्यक्ति के लिए इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के जोखिम को कई अधिक बढ़ा सकते है I
व्यक्ति की कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण बड़ी आंत संवेदनशील हो जाती है जो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के जोखिम को कई गुना बढ़ा सकती है I
महिलाओं में हुआ हार्मोनल बदलाव इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की वजह बन सकता है। आमतौर पर यह हार्मोनल बदलाव महिलाओं में मासिक धर्म के समय अधिक होता है जो उनकी बड़ी आंत को प्रभावित कर इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या पैदा कर सकता है I
कुछ बीमारियां तथा चिकित्सीय विकार जैसे बैक्टीरियल ओवरगॉउथ, माइल्ड सेलिएक डिजीज व गैस्ट्रोएंटेरिटिस आंतों को नुकसान पहुंचाने का काम करते है तथा इरिटेबल बाउल सिंड्रोम को ट्रिगर कर सकते हैं।
कुछ खाद्य पदार्थो के प्रति अति संवेदनशीलता व्यक्ति को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से ग्रसित कर सकते है I चोकलेट, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, एल्कोहल, गोभी, डेयरी उत्पाद, गेंहू व तले भुने मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ाने हेतु जिम्मेदार हो सकते है I
स्टेरॉयड तथा एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव के परिणामस्वरूप व्यक्ति को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ सकता है। एक लंबे समय से ली जाने वाली स्टेरॉयड तथा एंटीबायोटिक दवाइयां उन्हें इस समस्या से ग्रसित कर सकती है।
परिवार में माता-पिता को यदि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या रही हो तो संभव है की उनके बच्चों को इस समस्या का सामना आनुवंशिकता के कारण करना पड़े I
कुछ निम्नलिखित प्रयासों के द्वारा इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है -
निम्नलिखित लक्षण तथा संकेत इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या की ओर इंगित करते है -
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम को मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति कई जटिलताओं का सामना कर सकता है जिनमे शामिल है -
जैन की काउरिन थेरेपी IBS को पेट में दर्द, असुविधा और आंत्र की आदतों में परिवर्तन की विशेषता वाले जठरांत्र संबंधी विकार के रूप में परिभाषित करती है।
जैन की काउरिन थेरेपी के अनुसार इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारणों में तनाव, आहार कारक और आंत के वनस्पतियों में असामान्यताएं शामिल हो सकती हैं।