फीमेल इनफर्टिलिटी अर्थात महिला बांझपन महिलाओं में होने वाली वह स्थिति है जिसमे वह गर्भधारण नहीं कर पाती है। असुरक्षित संभोग क्रियाओं के बावजूद महिला जब गर्भधारण करने में असमर्थ रहती है तो यह स्थिति बांझपन कहलाती है I यह समस्या अधिकतर महिलाओं को उनकी शादी के बाद होती है पर कई महिलाओं को पहली बार गर्भधारण तथा एक बच्चे के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या आती है I जब महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होता है तो यह समस्या उनके प्रजनन अंगो को प्रभावित करती है I इन प्रजनन अंगो में अंडाशय, गर्भाशय ग्रीवा, योनि, फैलोपियन ट्यूब आदि शामिल है जिनसे जुडी कुछ समस्याओं के परिणामस्वरूप महिलाओं में बांझपन की स्थिति पैदा हो सकती है l बांझपन महिलाओं की आबादी में होने वाले सबसे आम विकार है जिससे ग्रसित किसी भी महिला के जीवन पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है l यह स्थिति महिलाओं को यौवन की उम्र से लेकर उनकी रजोनिवृत्ति के समय तक हो सकती है जिसके तहत उन्हें प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी कई दूसरी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है l
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र के उपचार के अनुसार, कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) का कायाकल्प कर सकती हैं और यदि यह दोष शरीर में असमान रूप से वितरित किये जाए, तो यह महिला बांझपन का कारण बन सकता है। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर के दोष संतुलित होते है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में तेजी से सुधार कर रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को बीमारी के साथ, यदि कोई हो तो, शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए निर्देशित करते हैं। हमारे उपचार को लेने के बाद से, हजारों लोग एक स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी सफलता है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जो वे सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में गोमूत्र का एक विशेष स्थान है जिसे महिला बांझपन के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। हमारी वर्षों की कड़ी मेहनत से पता चलता है कि आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के उपयोग से महिला बांझपन की लगभग कई जटिलताएँ गायब हो जाती हैं। हमारे रोगियों को सेक्स के दौरान अधिक दर्द, अनियमित मासिक धर्म, वजन बढ़ना, नींद की कमी, चेहरे के बालों में वृद्धि, सेक्स से अरुचि, हार्मोन में उतार- चढ़ाव होना, मासिक धर्म न होना, हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों में एक बड़ी राहत महसूस होती है साथ ही साथ हमारे उपचार से रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है जो महिला बांझपन की अन्य जटिलताओं संबंधित समस्याओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है I
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", जिसका अर्थ है सबको सुखी बनाना, बीमारी से छुटकारा दिलाना, सबको सत्य देखने देना, किसी को भी पीड़ा का अनुभव न होने देना। इस वाक्य के बाद, हम चाहते हैं कि हमारा समाज ऐसा ही हो। हमारी चिकित्सा विश्वसनीय उपचार प्रदान करके, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित आबादी में दवा की निर्भरता को कम करके इस लक्ष्य को प्राप्त करती है। आज की दुनिया में, हमारी चिकित्सा में अन्य उपलब्ध चिकित्सा विकल्पों की तुलना में अधिक फायदे और शून्य नुकसान हैं।
महिलाओं में बाँझपन निम्नलिखित कारणों व जोखिम कारकों से हो सकता है -
यदि किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब में किसी तरह की कोई क्षति या खराबी होती है तो यह क्षति उनके लिए बांझपन की स्थिति पैदा कर सकती है I फैलोपियन ट्यूब्स में क्षति हो जाने पर यह फलोपियन ट्यूब अंडे और शुक्राणु के संपर्क को बनाने में असक्षम हो जाती है जिसके कारण महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती है I
महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा योनि से गर्भाशय तक का प्रवेश मार्ग होता है। पुरूषों के लिंग से निकलने वाला वीर्य इस ग्रीवा से अंदर प्रवेश करके गर्भाशय में पहुँचता है जहाँ भ्रूण का विकास होता है। परन्तु जब गर्भाशय ग्रीवा में समस्या हो जाती है तो यह पुरुषों के वीर्य को गर्भाशय तक पहुँचाने में सक्षम नहीं हो पाते है तथा महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती है I
मासिक धर्म संबंधी परेशानियों से महिलाओं को बांझपन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है I मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द होना, मासिक धर्म का अनियमित होना, अत्यधिक अथवा ना के बराबर रक्त स्त्राव होना ये सभी समस्याओं से आगे चलकर महिलाओं को गर्भ धारण करने में दिक्कतें होती है I
फाइब्रॉएड्स की अवस्था में महिलाओं के मासिक धर्म में होने वाले रक्त स्त्राव के अलावा उनके गर्भाशय से भी रक्त निकलने लगता है जो बाँझपन का कारण हो सकता है I फाइब्रॉएड्स यह एक प्रकार का ट्यूमर होता है जो महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियों में उतकों के ज्यादा बनने व एकत्रित होने पर बनता है जिसकी वजह से महिलाओं को गर्भ धारण तथा गर्भपात का खतरा बहुत अधिक हो जाता है I
महिलाओं के अंडाशय से हर महीने उनके मासिक धर्म के दौरान एक परिपक्व अंडा रिलीज़ होता है I इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहा जाता है जिसके तहत महिलाएं गर्भवती होती है I यदि किसी महिला के अंडाशय में दिक्कत आती है तो ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है तथा अंडाशय में प्रजनन हॉरमोन के उत्पादन में परेशानी होती है जिसके कारण महिला में असामान्य ओव्यूलेशन या ओव्यूलेशन की कमी हो सकती है जो बांझपन के खतरे को अधिक बढ़ा सकती है I
महिलाओं को होने वाले कुछ रोग उन्हें गर्भ धारण करने में समस्या उत्पन्न करते है जिस वजह से वह माँ नहीं बन पाती है I पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम, सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, गोनोरिया, एंडोक्राइन डिसऑर्डर, एंडोमेट्रियोसिस, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, गर्भाशय का असामान्य आकार, पोलिप्स और संक्रमण यह सभी विकार बाँझपन की स्थिति पैदा करने के लिए जिम्मेदार माने जा सकते है I
किसी महिला द्वारा एक लम्बे समय से तथा अत्यधिक मात्रा में धूम्रपान, शराब या ड्रग का सेवन करने से उनकी प्रजनन क्षमता कम हो जाती है, साथ ही इनका सेवन भ्रूण बनने की स्थिति को भी प्रभावित करता हैं जिससे अधिकतर महिलाओं को बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता है I
बीस वर्ष तथा उससे कम उम्र की महिलाओं की प्रजनन क्षमता बहुत अधिक होती है मगर जैसे जैसे उनकी उम्र बढती जाती है उनके अंडों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही कम हो जाती हैं। करीब पैंतीस वर्ष के बाद प्रजनन क्षमता बहुत ही कम होने लगती है तथा वह गर्भ धारण नहीं कर पाती है I
बांझपन के अन्य कारणों में महिलाओं द्वारा लिया जाने वाला अत्यधिक तनाव, असंतुलित हार्मोन, शरीर का अत्यधिक वजन, अनियमित खान पान आदि शामिल है I
अपनी जीवनशैली में बदलाव कर तथा कुछ निम्नलिखित तरीकों को अपना कर महिला बांझपन की स्थिति से ग्रसित होने से स्वयं का बचाव कर सकती है जोकि निम्न प्रकार है-
कुछ संकेत तथा लक्षण से महिला बांझपन का पता लगाया जा सकता है जिनमे शामिल है -
महिलाओं को निम्नलिखित दो रूपों में बाँझपन की स्थिति का सामना कर पड़ सकता है -
प्राथमिक बांझपन, बाँझपन की वह स्थिति होती है जिसके अंतर्गत महिला जन्म नियंत्रण विधियों का उपयोग किए बिना कम से कम 1 वर्ष के बाद भी गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं।
कम से कम एक बार गर्भवती होने में सक्षम होने के बाद जब महिला दूसरी बार गर्भवती नहीं हो पाती है तो यह स्थिति माध्यमिक बांझपन की स्थिति कहलाती है I
एक महिला जो गर्भ धारण नहीं कर पाती है उन्हें कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जिनमे शामिल है -
"विभिन्न अध्ययन किए गए हैं जहां जैन गाय मूत्र चिकित्सा ने रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।"