एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली एक बेहद गंभीर समस्या होती है जिसके अंतर्गत गर्भाशय में पाई जाने वाली एंडोमेट्रियल उतकों में असामान्य बढ़ोतरी होने लगती है तथा यह गर्भाशय के बाहर की ओर फैलने लगती है I गर्भाशय के अस्तर को एंडोमेट्रियम कहा जाता है । गर्भाशय अस्तर बनाने वाले ऊतक से मिलता हुआ ऊतक एंडोमेट्रियल ऊतक होती है जो गर्भाशय की गुहा के बाहर विकसित होने लगती है I आमतौर पर एंडोमेट्रियोसिस फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, लिम्फ नोड्स और पेरिटोनियम को प्रभावित कर सकता है I गर्भाशय में मौजूद यह एंडोमेट्रियल ऊतक के टूटने पर यह मासिक धर्म के दौरान हर महीने रक्तस्त्राव के रूप में शरीर से बाहर निकलते रहते है I लेकिन जब किसी कारण से यह ऊतक शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है या उसी जगह फँस जाता है जिस वजह से इनका आकार बड़ा होने लगता है I एंडोमेट्रियोसिस की समस्या गंभीर दर्द वाली होती है जो किसी भी लड़की या महिला में हो सकती है जिन्हे मासिक धर्म होते हैं I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सा विधि के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि एंडोमेट्रियोसिस का कारण बनती हैं यदि वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र का उपचार अच्छा स्वास्थ्य देता है और संतुलन बनाए रखता है। आज, हमारे उपचार के कारण, लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से होने वाले विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा और गोमूत्र को पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम लोगों को असाध्य रोगों से खुश, तनाव मुक्त जीवन जीना सिखाते हैं। हमारे उपचार को प्राप्त करने के बाद हजारों लोग एक संतुलित जीवन जी रहे हैं। यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें उनके सपनों की जिंदगी दे सकते है।
गोमूत्र, जिसे अक्सर एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियों के लिए अच्छा माना जाता है, का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। हमारे वर्षों के काम से साबित होता है कि हमारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ एंडोमेट्रियोसिस के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। हमारे मरीज शरीर में श्रोणि क्षेत्रों में दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गर्भ धारण करने में समस्याएं, मासिक धर्म के दौरान भरी मात्रा में रक्त स्त्राव, सेक्स के दौरान अत्यधिक दर्द, मासिक धर्म के समय पेट में अत्यधिक दर्द व ऐंठन, अत्यधिक शारीरिक थकान व कमज़ोरी, मूत्र त्यागते समय दर्द व जलन, श्रोणि की मांसपेशियों में खिंचाव, दस्त अथवा कब्ज की समस्या, आंतों में दर्द, मतली तथा चक्कर, मल त्याग करने में असहजता आदि में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं I रोगी अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार देखते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है I
यदि हम किसी व्यक्ति की अस्तित्व प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र उपाय स्वयं में एक बड़ी आशा हैं। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर स्थिति में होती है, जो मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है और कुछ वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार विकार की पहचान हो जाने के बाद, अस्तित्व प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय अब इस बीमारी से सबसे प्रभावी रूप से ही छुटकारा नहीं दिलाता है, बल्कि उस व्यक्ति की जीवनशैली-अवधि में भी वृद्धि करता है और उसके रक्त प्रवाह में कोई विष भी नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
अगर हम जीवन प्रत्याशा की बात करें तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में एक बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी, चाहे वह छोटे पैमाने पर हो या एक गंभीर चरण में, मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी और यह कई वर्षों तक मौजूद रहेगी, कभी-कभी जीवन भर भी। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा बहुत कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल बीमारी से छुटकारा दिलाती है, बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़े बिना व्यक्ति के जीवनकाल को बढ़ाती है और यह हमारा अंतिम लक्ष्य है।
व्यापक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, हम रोग और कारकों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो केवल रोग के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रोग पुनरावृत्ति की संभावना में सुधार कर सकती हैं। इस पद्धति का उपयोग करके, हम पुनरावृत्ति दरों को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं ताकि वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकें।
कुछ कारण एंडोमेट्रियोसिस के लिए जिम्मेदार हो सकते है जिनमे शामिल है -
जब मासिक धर्म के दौरान रक्त योनि से बाहर निकलने के बजाय श्रोणि में पीछे की ओर बहता है तो यह रेट्रोग्रेड मासिक धर्म कहलाता है I यह रक्त डिम्ब नली से श्रोणि की गुहा में जमा होने लगता है जिससे एंडोमेट्रियल ऊतक शरीर से बाहर नहीं निकल पाती है और महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होने लगती है I
महिलाओं के प्रजनन अंग तथा गुहाओं की परत एम्ब्रोनिक कोशिकाओं से बनी हुई होती है I जब इस परत का एक छोटा भाग एंडोमेट्रियल ऊतक में परिवर्तित हो जाता है तो महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है I
यदि किसी महिला की श्रोणि में संक्रमण होता है तो यह एंडोमेट्रियोसिस का कारण बन सकता है I यह संक्रमण अन्य किसी बीमारी के लिए ली जा रही दवाइयों का सेवन करने से हो सकता है जिनके कारण महिलाओं के मासिक धर्म में रूकावटे आती है या फिर क्लैमाइडिया या गोनोरिया की वजह से होने वाले यौन संचारित रोग या फिर अन्य कोई वजह जो एंडोमेट्रियोसिस के खतरे को बढ़ा सकते है I
एंडोमेट्रियोसिस होने का एक सबसे बड़ा कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी हो सकती है I शरीर की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली एंडोमेट्रियल ऊतक को पहचानने में असमर्थ रहती है तथा उन्हें नष्ट नहीं कर पाती है जिस वजह से महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है I
महिलाओं के शरीर में एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर के बढ़ने के कारण हो सकती है I तनाव, मोटापा, लिवर को प्रभावित करने वाले रोग, जन्म नियंत्रण दवाइयों का सेवन, एल्कोहल आदि के कारण शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है जिसकी वजह से महिला को एंडोमेट्रियोसिस का खतरा हो सकता है I
एंडोमेट्रियोसिस होने का एक प्रमुख कारण आनुवंशिक माना जा सकता है जिसके अंतर्गत यह परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य में जीन द्वारा स्थानांतरित हो सकता है I परिवार में यदि किसी महिला को इस तरह की कोई समस्या हुई हो तो यह किसी अन्य महिला सदस्य के लिए भी जिम्मेदार मानी जा सकती है I
इस बीमारी को रोका जाना प्रायः असंभव है परन्तु कुछ प्रयासों द्वारा महिला इसे विकसित होने से रोक सकती हैं -
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों तथा संकेतों में शामिल है -
एंडोमेट्रियोसिस को इनकी स्थिति के आधार पर तीन निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जाता है -
एंडोमेट्रियोसिस का यह सबसे आम प्रकार है जिसके तहत महिलाओं की पेरिटोनियम पर सपाट व उथले घाव होते हैं । यह पेरिटोनियम ऊतक की पतली परत होती है जो पेट के अंदर और अन्य पेट के अंगों को कवर करती है तथा श्रोणि गुहा की आंतरिक परत को रेखाबद्ध करती है।
इन्हें चॉकलेट सिस्ट के नाम से भी जाना जाता है जो महिला के अंडाशय में गहरे रूप में द्रव से भरे सिस्ट होते हैं। यह स्वस्थ ऊतक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह अंडाशय के भीतर एक्टोपिक एंडोमेट्रियल ऊतक से उत्पन्न होने वाले सिस्ट होते है जिसमें गाढ़ा, भूरा, टार जैसा तरल पदार्थ होता है जोकि ज्यादातर पेरिटोनियम, फैलोपियन ट्यूब, और आंत्र के घने भाग में विकसित होते है।
एंडोमेट्रियोसिस का यह प्रकार पेरिटोनियम के नीचे तथा गर्भाशय के पास के अंगों जैसे कि आंत्र या मूत्राशय में बढ़ता है I यह इन ऊतक अथवा अंगों के भीतर गहराई में पाया जाता है इसलिए इसे गहन घुसपैठ या गहन घुसपैठ एंडोमेट्रियोसिस आदि नामों से जाना जाता है I
महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या के कारण निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -
"विभिन्न अध्ययन किए गए हैं जहां जैन गाय मूत्र चिकित्सा ने रोगियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।"