भोजन को पचाने का कार्य पाचन तंत्र के द्वारा किया जाता है जो शरीर को पर्याप्त व आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करने में सहायता करता है व शरीर को ऊर्जावान बनाये रखता है I पाचन तंत्र जठरांत्र मार्ग से बना हुआ होता है जिसमे लिवर, अग्नाशय तथा पित्ताशय की थैली पाचन तंत्र के मजबूत भाग होते है I चबाये हुए भोजन को जठरान्त्र मार्ग में पाचन तंत्र के माध्यम से अलग अलग कर उनसे पोषक तत्व प्राप्त कर लेता है I जिसके पश्चात पाचन तंत्र शरीर के सभी महत्वपूर्ण भागों को इन पोषक तत्वों को भेज देता है I बड़ी आँत भोजन के सभी तरल को अवशोषित कर लेती है तथा बचे हुए भाग को मल के रूप में बाहर कर देती है I इस प्रकार पूरी पाचन क्रिया चलती रहती है I
डायरिया पाचन तंत्र संबंधी एक विकार होता है जिसके अंतर्गत शरीर से ढीले,पतले पानी जैसे मुलायम मल का लगातार उत्सर्जन होने लगता है I आँतों में अधिक द्रव के जमा होने तथा आंतों द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने की वजह से व्यक्ति को डायरिया की समस्या होने लगती है। डायरिया होने पर व्यक्ति के मलत्याग करने की बारंबारता में वृद्धि होती है तथा मलत्याग करते समय व्यक्ति को पेट में दर्द, दबाव और ऐंठन महसूस होती है। यह स्थिति दो से चार दिन तक रहने वाली हल्की तथा अस्थायी अवस्था में होती है। परन्तु इसकी अस्थायी स्थिति जीवन के लिए ख़तरा तक साबित हो सकती है I कुपोषित लोगों, शिशुओं, छोटे बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में डायरिया की समस्या अधिक रहती है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सीय दृष्टिकोण के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि डायरियाँ का कारण होती हैं अगर वे असम्बद्ध हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में इनसे निपटने के लिए बहुत से सहायक तत्व शामिल होते हैं। यह काया के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र उपचार अच्छा स्वास्थ्य लाता है और दोषों को संतुलित रखता है। आज हमारे उपचार के परिणामस्वरूप लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएँ विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं जिन रोगियों को भारी खुराक, मानसिक दबाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है। हम लोगों को मार्गदर्शन करते हैं कि यदि कोई रोग हो तो उस असाध्य बीमारी के साथ एक खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन कैसे जियें। हजारों लोग हमारी थेरेपी लेने के बाद एक संतुलित जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जिनके वे सपने देखते हैं।
आयुर्वेद में गोमूत्र का उच्च स्थान है जो डायरियाँ के लिए उचित रूप से सहायक है। हमारे वर्षों के कठिन परिश्रम से पता चलता है कि हमारे हर्बल उपचार के उपयोग से डायरियाँ की कई जटिलताये लगभग गायब हो जाती हैं। हमारे मरीज एक से अधिक बार पतला पानी वाला मल आना, पेट में दर्द, ऐंठन व मरोड़े उठना, पेट में सूजन, भूख में कमी, मतली और उल्टी, बार-बार प्यास लगना, बुखार, वजन गिरना, शरीर में थकान व कमज़ोरी, सिरदर्द, आँत खाली करने की लगातार तीव्र इच्छा, मल में रक्त आदि में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं I यही नहीं हमारा उपचार रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता हैं जो डायरियाँ की अन्य जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करता है।
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में चिंतित हैं, तो गोमूत्र उपचार अपने आप में बहुत बड़ा वादा है। कोई भी विकार, चाहे वह मामूली हो या गंभीर, किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जीवन में कई वर्षों तक रहता है। जीवन प्रत्याशा संक्षिप्त है जब तक कि स्थिति की पहचान नहीं की जाती है, लेकिन गोमूत्र उपचार के साथ नहीं। न केवल हमारी प्राचीन चिकित्सा बीमारी को कम करती है, बल्कि यह व्यक्ति की दीर्घायु को उसके शरीर में कोई भी दूषित तत्व नहीं छोड़ती है और यह हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", जिसका अर्थ है सबको सुखी बनाना, बीमारी से छुटकारा दिलाना, सबको सत्य देखने देना, किसी को भी पीड़ा का अनुभव न होने देना। इस वाक्य के बाद, हम चाहते हैं कि हमारा समाज ऐसा ही हो। हमारी चिकित्सा विश्वसनीय उपचार प्रदान करके, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित आबादी में दवा की निर्भरता को कम करके इस लक्ष्य को प्राप्त करती है। आज की दुनिया में, हमारी चिकित्सा में अन्य उपलब्ध चिकित्सा विकल्पों की तुलना में अधिक फायदे और शून्य नुकसान हैं।
व्यापक चिकित्सा अभ्यास के विपरीत, हम रोग और तत्वों के मूल उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो इस पद्धति का उपयोग करके केवल बीमारी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बीमारी की पुनरावृत्ति की संभावनाओं में सुधार कर सकते हैं, हम कुशलता से पुनरावृत्ति दर को कम रहे हैं और मानव जीवन के लिए एक नया रास्ता दे रहे हैं, जो कि उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से उनके जीवन को बेहतर तरीके से जीने का एक तरीका बताते है।
कई कारण डायरिया (दस्त) के लिए जिम्मेदार हो सकते है जिनमे शामिल है -
साल्मोनेला या एस्चेरिचिया नामक बैक्टीरिया, नोरोवायरस या रोटोवायरस, गिअर्डिया इन्टेस्टनालिस जैसे पैरासाइट के कारण हुए संक्रमण से व्यक्ति डायरिया का शिकार होता है I यह वायरस, जीवाणु तथा बैक्टीरिया उस समय शरीर में प्रवेश करते है जब व्यक्ति दूषित पानी तथा भोजन आदि का सेवन करता है या फिर गंदे हाथों द्वारा खाद्य पदार्थों का सेवन करते है I यह रोगाणु गैस्त्रो-आंत्रशोथ का कारण बनते है जिस वजह से व्यक्ति को दस्त की समस्या होती है I इसके अलावा कैम्पिलोबैक्टर, सैल्मोनेले और शिगेला जीव बैक्टीरियल तथा परजीवी कारणों में जिआर्डिया लैंब्लिया, एंटअमीबा हिस्टोलिटिका और क्रिप्टोस्पोरिडियम आदि शामिल हैं।
कई बार अत्यधिक तैलीय, मिर्च मसालेयुक्त व भारी भोजन का सेवन करने से व्यक्ति का पेट असंतुलित हो जाता है तथा भोजन को ठीक तरह से पचा नहीं पाता है जिसके कारण व्यक्ति को अपच की समस्या हो जाती है और व्यक्ति को डायरिया की समस्या का सामना करना पड़ता है I
कुछ एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर दवाएँ, कैंसर ड्रग्स, गाउट दवाएँ, वजन घटाने वाली दवाओं और ऐंटासिड्स या पेट साफ करने की तथा किसी अन्य बीमारी को ठीक करने के लिए लगातार की जाने वाली दवाइयों का सेवन करने से उनके दुष्प्रभाव डायरिया का कारण बन सकते है I इन दवाइयों में कुछ ऐसे घटक होते है जो व्यक्ति के पाचन तंत्र को प्रभावित करते है जिससे पाचन तंत्र में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है व व्यक्ति को दस्त की समस्या हो जाती है I
पानी की कमी होने के कारण शरीर लगातार तरल पदार्थ खो देता है जिस वजह से बड़ी आँत ठीक तरह से तरल अवशोषित नहीं कर पाता है जिस वजह से पाचन प्रक्रिया बिगड़ने लगती है तथा व्यक्ति को डायरिया की परेशानी होने लगती है I
सूजन आंत्र रोग, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आई.बी.एस), विपुटीशोथ, सूक्ष्म बृहदांत्रशोथ, और सीलिएक रोग सहित आंतों के विकारों या रोगों से दस्त हो सकता है। कुछ कैंसर जिनमें कार्सोइनिड सिंड्रोम, कोलन कैंसर, लिम्फोमा शामिल हैं, दस्त के लिए जिम्मेदार कुछ चिकित्सीय परिस्थितियां हैं।
डायरिया अथवा दस्त होने की समस्या उन लोगों को सबसे अधिक होती है जिनकी पाचन शक्ति बेहद कमजोर होती है I ऐसे में भोजन का अनियमित हो जाना, भोजन में थोड़ा सा बदलाव हो जाने पर पेट खाद्य पदार्थों को ठीक प्रकार से पचा नहीं पाता है जिस वजह से व्यक्ति को डायरिया की दिक्कतें होने लगती है I
डायरिया के अन्य कारणों में शराब का अत्यधिक सेवन, मानसिक व शारीरिक तनाव, पेट में सर्जरी या पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी के बाद, ज्यादा गर्म या नमी वाले मौसम, बढा हुआ पित्त दोष आदि शामिल है I
कुछ निम्नलिखित सावधानियों का पालन करके डायरिया से बचाव आसानी से किया जा सकता है -
डायरिया (दस्त) के लक्षण व संकेतों में शामिल है -
डायरिया तीन प्रकार के होते हैं -
डायरिया का यह सबसे आम प्रकार है I पानी जैसा दस्त व्यक्ति को कई घंटों या दिनों तक रह सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को लगातार दिन में कई बार पानी वाले मल आते है I इस प्रकार के दस्त का कारण कॉलेरा संक्रमण हो सकता है ।
इस प्रकार के डायरिया में व्यक्ति को न सिर्फ पानी जैसा मल आता है बल्कि मल के साथ खून भी आता है। इसे पेचिश के नाम से भी जाना जाता है। यह डायरिया चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति होती है जो जीवन के लिए खतरा होने वाले विकारों की ओर संकेत करती हैं I
डायरिया की यह समस्या 14 दिन या उससे अधिक दिनों तक रहती हैं जिसका कारण कुछ छोटी आँत के विकार हो सकते हैं। इसका तीव्र दस्त की तुलना में इलाज करना अधिक कठिन है और यह अक्सर पोषण और चयापचय संबंधी जटिलताओं, विकास की विफलता को लाता है।
डायरिया से पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है-