img

कोरोना वायरस का इलाज

अवलोकन

कोरोना वायरस को जानने से पहले ये जानना अति आवश्यक है कि वायरस यानी कि विषाणु क्या होते हैं l ये एक बहुत ही सूक्ष्म विषाणु होते हैं l ये विषाणु जीवित कोशिकाओं के संपर्क मे आने से जीवित रहते हैं l विषाणु एक ऐसी अजीबोगरीब संरचना है जिनका अपना कोई जीवन नहीं होता है l ये विषाणु अकोशिकीय होते है जिनमे खुद का जीवन नहीं होता है l जीवित कोशिकाएँ ना मिलने पर ये सालों तक मृत समान रहते हैं l ये विषाणु उन प्रोटीन की दीवारों में पाए जाते हैं जिनमे आनुवांशिकी पदार्थ होते हैं जिन्हें हम डी एन ए और आर एन ए कहते हैं l इनकी सहायता से ये विषाणु किसी भी जीव के शरीर मे पहुंच जाते हैं और अपनी संख्या को हजारो से लाखों की तादाद में बढ़ा लेते हैं l ये विषाणु अपने अति सूक्ष्म रूप में वातावरण में विद्यमान रहते हैं और हमारे आँख, नाक तथा मुँह के जरिए हवा द्वारा हमारी श्वास नलियों से होते हुए हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं और शरीर की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं जिसके कारण हम सर्दी, बुखार और ज़ुकाम से पीड़ित होने लगते हैं l

कोरोना वायरस अथवा कोविड-19 वायरस की दुनिया से ही आया हुआ एक ऐसा जानलेवा विषाणु है जो मनुष्य के ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है l जिसके अंतर्गत ये इंसान के नाक, साइनस और गले से लेकर उनके फेफड़ों और श्वास नली तक को संक्रमित करने लगता है जिससे धीरे -धीरे मनुष्य को श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है और अंततः उनकी जान चली जाती है l यद्यपि इस वायरस के संक्रमण से पीड़ित सभी की जान को खतरा नहीं है तथापि अधिकतर मृत्यु के लिए ये वायरस जिम्मेदार है l

अनुसंधान

जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।

हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।

गोमूत्र चिकित्सा द्वारा प्रभावी उपचार

गोमूत्र के उपचार के अनुसार, कुछ जड़ी-बूटियां शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) का कायाकल्प कर सकती हैं और यदि यह दोष शरीर में असमान रूप से वितरित किये जाए, तो यह कोरोना वायरस का कारण बन सकता है। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।

फोर्टेक्स पाक

गोउमृत एसएफ लिक्विड ओरल

प्रमुख जड़ी-बूटियाँ जो उपचार को अधिक प्रभावी बनाती हैं

आंवला हरा

आंवला हरा में विटामिन सी गुण बहुत अधिक है और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह लंबे समय से खांसी और ठंड के लक्षणों को राहत देने के लिए उपयोग किया जाता है जो अक्सर छाती के जमाव को जन्म देता है। इस तरह के वायरस की गंभीरता को कम करने में इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आंवला में विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो मुक्त कणों को बेअसर करने में मदद कर सकते हैं।

अश्वगंधा

अश्वगंधा एक प्रभावी कोरोना निवारक जड़ी बूटी हो सकती है। यह शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ा सकता है जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। अश्वगंधा जड़ का अर्क किसी व्यक्ति की कार्डियोरैसपाइरेटरी स्टैमिना को बढ़ावा देता है जिसके कारण एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली एक व्यक्ति को इस जड़ी बूटी का उपयोग करके कई बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकती है।

दालचीनी पाउडर

यह जुकाम सहित खांसी की समस्या को दूर करने में मदद करता है। इसके साथ ही, इस जड़ी बूटी का सेवन प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रभावी प्रभाव दिखा रहा है। सिनेमैल्डिहाइड, इस जड़ी बूटी के प्रमुख सक्रिय घटकों में से एक विभिन्न प्रकार के फेफड़ों के संक्रमण से निपटने में मदद कर सकता है। यह श्वसन पथ के कवक-प्रेरित संक्रमण का इलाज करने के लिए प्रभावी दिखाया गया है। यह गले से कफ को हटाने में मदद करता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है।

इलायची पाउडर

इलायची में फ्लेवोनोइड्स, प्लांट एस्टर और क्वेरसेटिन जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट उपयोगी एंटी इंफ्लेमेटरी गुण प्रदान हैं जो इसे एक बीमारी के उपचार के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार बनाते हैं और प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं। इलायची पाउडर में रोगाणुरोधी और एंटीसेप्टिक सक्रिय घटक को सिनेोल कहा जाता है जो किसी भी जीवाणु संक्रमण को रोकने में मदद करता है जो फेफड़ों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है। यह फेफड़ों के अंदर रक्त की आपूर्ति में सुधार करके साँस लेना आसान बनाता है।

शतावरी

एक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में, शतावरी का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। खट्टी जड़ के अर्क के खिलाफ एंटीबॉडी को शतावरी जड़ के अर्क द्वारा बढ़ाया गया है। शतावरी का लक्ष्य श्वसन संबंधी समस्याओं का इलाज करना है। शतावरी सफलतापूर्वक खांसी और सर्दी का इलाज करता है।

गोमय ऐश

यह प्रतिरक्षा को बढ़ाने और मानव शरीर को मजबूत करने के लिए जिम्मेदार है। यह एंडोटोक्सीन के रूप में भी जाना जाता है जो कि फेफड़ों में सूजन की एक अस्थायी स्थिति को कम करने का कारण बनते हैं जो किसी तरह खांसी और ठंड के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम कर देता है।

गोजला

हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।

जीवन की गुणवत्ता

गोमूत्र का उपचार अच्छा स्वास्थ्य देता है और संतुलन बनाए रखता है। आज, हमारे उपचार के कारण, लोग अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। यह उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से होने वाले विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा और गोमूत्र को पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम लोगों को असाध्य रोगों से खुश, तनाव मुक्त जीवन जीना सिखाते हैं। हमारे उपचार को प्राप्त करने के बाद हजारों लोग एक संतुलित जीवन जी रहे हैं। यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें उनके सपनों की जिंदगी दे सकते है।

जटिलता निवारण

आयुर्वेद में गोमूत्र की असाधारण स्थिति है, जो इसके अतिरिक्त कोविड-19 जैसी भयानक बीमारियों के लिए भी उचित है। हमारे कठिन परिश्रम से पता चलता है कि कोविड-19 के कई मुद्दे हमारे हर्बल उपचार का उपयोग करते हुए लगभग गायब हो जाते हैं। हमारे रोगियों को ठंड, खांसी, छींकने, शरीर के तापमान, स्वाद और खुशबू, सांस लेने की समस्या, मांसपेशियों में दर्द, पाचन, शरीर में हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों के नियंत्रण और संतुलन में राहत महसूस हुई है, यह बढ़ते वायरस की गति को धीमा करता है, रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है जो इस वायरस की जटिलताओं के लिए अनुकूल रूप से काम करती है।

जीवन प्रत्याशा

यदि हम किसी व्यक्ति की अस्तित्व प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र उपाय स्वयं में एक बड़ी आशा हैं। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर स्थिति में होती है, जो मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है और कुछ वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार विकार की पहचान हो जाने के बाद, अस्तित्व प्रत्याशा कम होने लगती  है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारा ऐतिहासिक उपाय अब इस बीमारी से सबसे प्रभावी रूप से ही छुटकारा नहीं दिलाता है, बल्कि उस व्यक्ति की जीवनशैली-अवधि में भी वृद्धि करता है और उसके रक्तप्रवाह में कोई विष भी नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।

दवा निर्भरता को कम करना

"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", अर्थात सभी को हर्षित होने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को वास्तविकता देखने दें, किसी को कष्ट न होने दें। हम चाहते हैं कि इस कहावत को अपनाकर हमारी संस्कृति इसी तरह हो। हमारी चिकित्सा कुशल देखभाल प्रदान करके, प्रभावित रोगियों की जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने और दवा निर्भरता को कम करके इसे पूरा करती है। इस नए युग में, हमारे उपचार में उपलब्ध किसी भी औषधीय समाधान की तुलना में अधिक लाभ और कम जोखिम हैं।

पुनरावृत्ति की संभावना को कम करना

व्यापक वैज्ञानिक अभ्यास के अलावा, हमारा केंद्र बिंदु रोग और उसके तत्वों के मूल उद्देश्य पर है जो केवल बीमारी के प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विकार पुनरावृत्ति की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। इस पद्धति के उपयोग से, हम पुनरावृत्ति दर को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों की जीवन शैली को एक नया रास्ता दे रहे हैं ताकि वे अपने जीवन को भावनात्मक और शारीरिक रूप से उच्चतर तरीके से जी सकें।

कोरोना के कारण

  • छूने से फैलना

यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है l यदि कोई व्यक्ति इस वायरस से ग्रसित हैं तो वह जल्द ही सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित होने लगता है l खांसते और छींकते समय व्यक्ति के मुँह और नाक के जरिए इस वायरस के हजारों सूक्ष्म कण बूँदों के साथ बाहर निकलते हैं l जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से और उसके छूने से ये कण दूसरे व्यक्ति के हाथों के जरिए उनके आँख, मुँह तथा नाक से होते हुए शरीर में प्रवेश कर उन्हें संक्रमित करते हैं l ये प्रक्रिया आगे से आगे बढ़ती चली जाती है और बड़ी तादाद में लोगों को संक्रमित करती है l माना गया है कि संक्रमित व्यक्ति से ये वायरस करीब दो मीटर की दूरी तक के क्षेत्र में आने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है l 

 

कोरोना के जोखिम कारक

यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है l कुछ लोगों के लिए यह वायरस इतना घातक नहीं है मगर कई परिस्थितियाँ ऐसी होती है जिनमे ये वायरस कुछ लोगों के लिए जानलेवा हो सकती है l इस बीमारी को प्रभावित करने वाले कई जोखिम कारक निम्नलिखित है -

  • उम्र

वे इंसान जिसकी उम्र साठ या साठ साल से अधिक की हो उन्हें इस वायरस के संक्रमण से ज्यादा नुकसान पहुंचता है l बच्चे जिनकी उम्र छह साल से कम की है उन पर इस वायरस के संक्रमण से होने वाले प्रभाव बहुत ही हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं l

  • पुरानी बीमारियां

यह वायरस उन परिस्थितियों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली माने जाते हैं जब व्यक्ति पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो l ऐसे व्यक्तियों मे इस संक्रमण का होना उनकी जान को जोखिम में डाल मे डाल सकता है l उन लोगों में यह वायरस बेहद प्रभावशाली हो जाता है जो निम्नलिखित बीमारियों से पीड़ित हो:

1. हृदय संबंधी गंभीर बीमारी जैसे: जिनका हृदय कमजोर हो, दिल का दौरा पड चुका हो या हृदय विफलता इत्यादि l

2. पुरानी गुर्दे की बीमारी: गुर्दे की खराबी या गुर्दा प्रत्यारोपण 

3. मोटापा 

4. प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होना 

5. फेफड़े कमजोर होना 

6. अस्थमा की बीमारी होना 

7. उच्च रक्तचाप से पीड़ित होना 

8. गर्भावस्था की स्थिति 

9. मधुमेह की बीमारी से पीड़ित होना 

10. यकृत प्रत्यारोपण 


 

कोरोना से बचाव

  1. हेंड सेनेटाइजर व साबुन द्वारा हाथों को बार बार स्वच्छ करना 
  2. बाहर निकलते समय मास्क लगाकर मुंह तथा नाक को अच्छी तरह से कवर करना 
  3. भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचना
  4. लोगों से करीब दो मीटर की दूरी बनाए रखना 
  5. खांसते और छींकते समय मुँह पर हाथ रखना अथवा रुमाल का इस्तेमाल करना 
  6. घर पर रहना व ज्यादा बाहर निकलने से बचना 
  7. मुँह पर बार बार हाथ लगाने से बचना
  8. घर व घर की चीजों को अच्छी तरह से साफ़ किया जाना 
  9. बाहर से लाई गई फल - सब्जी और किराने का सामान जैसी दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को इस्तेमाल से पहले शुद्ध करना 
  10. व्यक्ति जिन्हें खांसी और जुकाम के लक्षण हो उनसे दूरी बनाए रखना

 

गौमूत्र के माध्यम से कोरोना की रोकथाम

कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी के रूप में इतनी तीव्र गति से इंसानो में फैल रही है कि इससे बच पाना हर किसी के लिए असंभव सा प्रतीत होने लगा है l देखते ही देखते कोरोना ने कम समय में ही एक गंभीर स्थिति हर किसी के सामने खड़ी कर दी है l जिससे बचने का हरसंभव प्रयास किए जाना बेहद जरूरी है l

हमारे द्वारा किए गए सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप इंसान कोरोना से अपना बचाव कर सकते है l 

 

1.गौमूत्र औषधि :  एक रक्षक के रूप में 

कोरोना और कोरोना जैसी हजारों बीमारियों से बचने के लिए हमारे द्वारा गौमूत्र से बनी ऐसी कई औषधियां है जिनका सेवन करने से ऐसी बहुत सी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है l इन औषधियों का लगातार उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मेें कारगर सिद्ध होगा l हम आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि हमारे यहां गौमूत्र से बनी औषधियों के उपयोग से आप अपने और अपने परिवार को कोरोना से बचा सकते हैं l 

सिफारिश : कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से बचाव हेतु बेहतरीन परिणाम और सुरक्षा के लिए प्रत्येक इंसान को अपने परिवार के साथ इन औषधियों को एक बार जरूर अपनाया जाना चाहिए l

 

2. ठीक होने के बाद के दुष्प्रभावों में कारगर

एक शोध के परिणामस्वरूप यह जानकारी सामने आई है कि कोरोना की इस गंभीर बीमारी के शिकार हो चुके हैं वे लोग जो पूरी तरह से ठीक होकर घर लौटे हैं उन्हें इस बीमारी के कई दुष्प्रभाव जीवनकाल के लिए भुगतने पड़ सकते हैं l व्यक्ति के शरीर में कोरोना से होने वाले दुष्प्रभावों में हमारी औषधियां इससे बचने का एक रामबाण उपाय है जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगी, उनके कमजोर फेफड़ों को स्वस्थ करेगी तथा भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचाव करेगी और इस तरह के वायरस से लड़ने के लिए उनके शरीर को मजबूती प्रदान कर उन्हें चुस्त-दुरुस्त बनाए रखेगी l
 

3. जोखिम कारकों से सुरक्षा

वे व्यक्ति जिन्हें कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा है और जो पहले से ही किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हो उन व्यक्तियों के लिए हमारे द्वारा बनाई गई दवाइयों का उपयोग किए जाने से उनकी पुरानी बीमारियों से उन्हें राहत मिल सकती है जिससे वायरस के खतरे को रोका जा सकता है l व्यक्ति की किसी भी पुरानी बीमारी का इलाज हमारी औषधियों द्वारा सम्भव है जिसका उपयोग कर न सिर्फ उनकी बीमारियाँ जड़ से खत्म हो सकेगी बल्कि कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी के होने का खतरा भी टल   सकेगा l

कोरोना वायरस के लक्षण 

बच्चों से लेकर बड़ों में कोरोना के लक्षण लगभग एक समान होते हैं l व्यक्ति में इस वायरस के लक्षण प्रायः संक्रमण के दो से चौदह दिनों के अंदर दिखाई पड़ते हैं l ये लक्षण अलग अलग इंसानों मे अलग तरह के हो सकते हैं l इस बीमारी के सबसे सामान्य लक्षण कुछ इस तरह के होते हैं -

1. शरीर का तापमान बहुत अधिक महसूस होना 

2. लगातार छींक आना और नाक बंद होना 

3. व्यक्ति को सर्दी लगने लगती है। 

4. व्यक्ति को सूखी खांसी आने लगती है। 

5. गला सूखने लगता है 

6. स्वाद और खुशबू का पता न चलना 

7. साँस लेने मे तकलीफ होना 

8. जुकाम की वजह से लगातार नाक बहना 

9.  व्यक्ति को सिर में दर्द होने लगता है। 

10. उल्टी अथवा मितली की शिकायत होने लगती है l 

11. मांसपेशियों में दर्द बना रहता है और शरीर मे थकान होने लगती है। 

12. खाना पचने में परेशानी व दस्त लगने लगती है।

कोरोना वायरस की जटिलताएं 

  • व्यक्ति को निमोनिया की शिकायत होने लगती है। 
  • वायरस के हमले की वजह से व्यक्ति के फेफड़े कमजोर होने लगते हैं।
  • किडनी फेल होने का खतरा रहता है।
  • व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। 
  • व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक थकावट रहती है।
  • फेफड़ों के कमजोर होने के कारण व्यक्ति की श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम हो जाने पर बार बार संक्रमण होने का खतरा रहता है।

मान्यताएं