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विश्व एड्स दिवस - एड्स के लिए एक प्राकृतिक इलाज की खोज

हर साल 1 दिसंबर को 'विश्व एड्स दिवस' के रूप में मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के बारे में जागरूकता फैलाना है जिसने आज तक कई लोगों की जान ले ली है। सन् 1988 में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला यह पहला विश्वव्यापी स्वास्थ्य दिवस था।

यह दिन दुनिया भर के लोगों को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। लोग एचआईवी वायरस से पीड़ित व्यक्तियों की मदद करने के लिए आगे आते हैं, और उन व्यक्तियों के लिए शोक जताते है जो इस लड़ाई में जिंदा नहीं बच सके।

एड्स रोग की गंभीरता और इससे जुड़ी तकलीफे:

इसे इतिहास की सबसे बड़ी और विनाशकारी महामारियों में से एक माना जाता है जिसने लाखों लोगों की जान ले ली और आज भी दुनिया के कई देशों में लाखों लोग एचआईवी वायरस के साथ जी रहे हैं। अकेले भारत में 2.1 मिलियन लोग एचआईवी वायरस के साथ जी रहे हैं, जिससे यह नाइजीरिया (3.2 मिलियन) और दक्षिण अफ्रीका (7.1 मिलियन) के बाद तीसरा सबसे अधिक एचआईवी संक्रमित देश बन गया है।

(Source : https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_HIV/AIDS_adult_prevalence_rate

एचआईवी रोगियों को सिरदर्द, पेट में मरोड़े और जोड़ों, हड्डी तथा मांसपेशियों में दर्द से गुजरना पड़ता है। यह दर्द उनकी किस्मत बन जाता है जब तक की उनकी जान नहीं चली जाती और यहाँ तक ​​कि जिंदा रहते हुए भी वे अवसाद में रहते हैं और दिनोंदिन उनकी काम करने की क्षमता घटने लगती है।

ये रोगी कई समस्याओं से पीड़ित होते हैं जैसे:

  • फेफड़े में संक्रमण
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन
  • इन्फ्लुएंजा
  • यूटीआई
  • ब्रोंको- पल्मोनरी इन्फेक्शन
  • त्वचा में संक्रमण
  • टॉन्सिलाइटिस
  • सर्दी जुकाम
  • ब्रोंकाइटिस

एड्स रोगियों को होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं- लक्षण:

जरूरी नहीं है कि एचआईवी वायरस से पीड़ित हर रोगी में एक जैसे लक्षण दिखें। हर रोगियों में अलग अलग लक्षण होते हैं। यह लिंग, उम्र और रोगी की बीमारी के स्तर पर निर्भर करता है। एचआईवी के तीन चरण और रोगियों द्वारा अनुभव किए जा सकने वाले कुछ लक्षणों के बारे में जानने के लिए ध्यान से पढ़ें।

स्टेज I-तीव्र एचआईवी संक्रमण

आम तौर पर एक शरीर में 2-4 सप्ताह के भीतर एचआईवी संक्रमण का पता लगता है। लगभग दो तिहाई लोगों में फ्लू जैसी बीमारी पता चलती है जिसे एचआईवी संक्रमण के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया माना जाता है। लक्षणों में बुखार, दाने, ठंड लगना, रात को पसीना, थकान, गले में खराश, लिम्फ नोड्स में सूजन और मुंह के छाले शामिल हैं। लेकिन, कुछ रोगियों में शुरुआती चरण के लक्षण बिल्कुल भी नहीं दिखाई देते हैं।

हालांकि ये लक्षण आपको एचआईवी रोगी के रूप में प्रमाणित नहीं करते हैं, लेकिन यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो आपको एचआईवी की जाँच कराने से बचना नहीं चाहिए।

स्टेज II- क्लिनिकल लेटेंसी:

इस चरण को क्रोनिक एचआईवी संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है। इस चरण में वायरस बहुत कम दर से बढ़ता है। संभवत, इस अवधि में लोगों में कोई लक्षण न हों। रोगी बिना किसी उपचार के 10-15 साल तक इस अवस्था में जिंदा रह सकता है, लेकिन कई बार कुछ लोगों के लिए यह अवधि बहुत तेजी से खत्म हो जाती है।

स्टेज III- एड्स:

इसे अंतिम चरण माना जाता है। यदि आप एचआईवी वायरस से पीड़ित होते है, लेकिन आप इसका कोई इलाज नहीं करवा रहे हैं, तो अंततः आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाएगी। और, आप एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के रोगी बन जाएंगे।

एचआईवी/एड्स के लक्षण

एचआईवी/एड्स के लक्षणों में तेजी से वजन कम होना, बुखार, रात को पसीना आना, कमर, बगल, या गर्दन की लसिका ग्रंथियों में लंबे समय तक सूजन, मुंह और जननांगों में घाव, दस्त (एक सप्ताह या अधिक समय तक), लाल-गुलाबी धब्बे/चकत्ते, निमोनिया, अवसाद, याददाश्त खोना, और अन्य तंत्रिका संबंधी विकार शामिल हैं।

एड्स के लिए उपचार:

आधुनिक दवाओं के अनुसार एड्स/एचआईवी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन एड्स के मरीजों को राहत देने और वायरस को रोकने के लिए बाजार में तरह-तरह की दवाएं उपलब्ध हैं। चिकित्सकीय रूप से इस उपचार को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) कहा जाता है। यह सभी एड्स रोगियों के लिए जरुरी मानी गई है। दूसरे ईलाज में ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) दर्द निवारक दवा जिसमें ओपिओइडस् और गैर-ओपिओइडस् आदि शामिल हैं। कुछ लोगों को घरेलू उपचार और मालिश, एक्यूपंक्चर और कोगनीटिव बिहेवियरल थेरेपी जैसे नॉन-ड्रग ईलाज से राहत मिलती है।

एड्स के प्राकृतिक उपचार:

एड्स/एचआईवी के लिए कई प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं। दरअसल, लोगों का मानना ​​है कि प्राकृतिक उपचार उनके एचआईवी के ईलाज का पूरक हो सकते हैं। प्राकृतिक उपचार में शामिल हैं:

शारीरिक उपचार जैसे खेल, चिकित्सीय मालिश, योग, एक्यूपंक्चर, और कायरोप्रैक्टिक केयर

रिलैक्सेशन थेरेपी जैसे कि ध्यान व मेडिटेशन। कई लोग मेडिकल मारिजुआना का भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि कई देशों में इसका उपयोग लीगल नहीं है, लेकिन रोगी इसका उपयोग दर्द कम करने, भूख बढ़ाने और एड्स से जुड़ी मतली को कम करने के लिए करते हैं।

हर्बल मेडिकेशन एचआईवी के दर्द से छटपटाते कई मरीज हर्बल दवा भी अपनाते हैं। लेकिन, किसी भी वैकल्पिक उपचार को अपनाने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

गोमूत्र चिकित्सा भी एचआईवी वायरस के लिए सबसे चर्चित प्राकृतिक उपचारों में से एक है।

गोमूत्र और गोमूत्र चिकित्सा का महत्व:

अभी के कुछ सालों में गोमूत्र चिकित्सा ने बहुत लोकप्रियता हासिल की है, हालांकि उपचार की आयुर्वेदिक शाखा लगभग 5000 साल पुरानी है। गोमूत्र से तैयार की जाने वाली औषधियों को एड्स के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक एंटीरेट्रोवाइरल औषधि माना जाता है। एचआईवी/एड्स के लिए यह एकमात्र प्राकृतिक, आयुर्वेदिक ईलाज है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

गोमूत्र चिकित्सा का सबसे अच्छा हिस्सा ये है कि इसे अन्य आधुनिक या एलोपैथिक उपचारों के साथ भी जारी रखा जा सकता है। बल्कि गोमूत्र से एलोपैथिक दवाओं के प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है और यह रोग के असहनीय दर्द को कम करने में भी मदद करता है।

आधुनिक महंगे उपचारों सहित बाकी दूसरे विकल्पों की तुलना में गोमूत्र चिकित्सा बहुत सस्ता है। आप इस थेरेपी को अपने घर पर ले सकते हैं, यानी आप अस्पताल के खर्च और अन्य खर्चों में काफी बचत कर सकते हैं।

गोमूत्र इतना जरूरी क्यों है?

गोमूत्र पर किए गए शोधों के नतीजों ने आधुनिक चिकित्सा और हर्बल अर्क की दवाओं की क्षमता और अवशोषण में सुधार करने की इसकी ताकत के बारे में सभी गलत धारणाओं और शक को खारिज कर दिया है। इसलिए, इस दैवीय उपचार को एड्स/एचआईवी रोगियों के लिए प्रभावी हर्बल अर्क का सबसे अच्छा मिश्रण माना गया है।

गोमूत्र के एंटीवायरल, जीवाणुरोधी, एनाल्जेसिक, एंटी-फंगल, एंटीमलेरियल, एंटी-ट्यूबरकुलर, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीपीयरेटिक गुणों ने इसे एड्स से राहत चाहने वालों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। चिकित्सिय समीक्षा से पता चलता है कि गोमूत्र चिकित्सा द्वारा एचआईवी/एड्स रोगी का एंटीरेट्रोवायरल उपचार एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं की संख्या को कम करने में चमत्कारिक साबित हुआ है।

चिकित्सकीय दृष्टि से सिद्ध किये हुए गोमूत्र में कई जादुई गुण हैं। थकान, बुखार, खुजली, दस्त और खांसी जैसे लक्षणों से पीड़ित रोगियों को जब गोमूत्र चिकित्सा और दवाइयां दी जाती है, तो इन सभी लक्षणों में चमत्कारिक सुधार होता है। जैन की गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक के रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से बताते हैं कि रोगियों ने कितनी जल्दी (लगभग 3.5 महीने के भीतर) वजन बढ़ाना शुरू कर दिया और 9-12 महीनों की अवधि में उनकी सीडी4 सेल काउंट भी बढ़ गई।

जैन की गोमूत्र चिकित्सा थेरेपी एड्स के इलाज में कैसे मदद करती है?

जैन की गोमूत्र चिकित्सा थेरेपी अधिकांश बीमारियों के लिए एक आयुर्वेदिक और प्राकृतिक वैकल्पिक उपचार देती है। मरीज जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक से सीधे या ईमेल और फोन के ज़रिये संपर्क कर सकते हैं। यहां रोगियों को न्यूरोलॉजिकल/साइकोलॉजिकल थेरेपी दी जाती है, जिसमें कई सारे स्वर्णिम नेचर साइंस लिमिटेड के प्रोडक्ट्स (एडक्योर और एडसोल+) का सेवन शामिल है। जैन के विशेषज्ञ इलाज के तहत रोगियों को स्वस्थ आहार की भूमिका के बारे में जानकारी देते हैं ताकि नसों और दिमाग को फिर से स्वस्थ किया जा सके। पीड़ितों को उनकी स्थिति और उम्र के अनुसार एक विशेष आहार भी निर्धारित किया जाता है।