हर महिला के शरीर में एक उम्र के बाद हार्मोन में कई तरह के बदलाव होते है I जब महिलाओं के शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से उनके गर्भाशय तथा अंदरूनी हिस्से से रक्तस्त्राव होता है तो यह उनके पीरियड्स या मासिक धर्म होते है I जब भी कोई लड़की अपनी किशोरावस्था में पहुंचती है तब उसके अंडाशय शरीर में एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से हर महीने में एक बार उनके गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है I इन हार्मोन्स के जरिये उनके अंडाशय में अनफ़र्टिलाइज्ड एग्स बनते है जो हर महीने अंडाशय से परिपक्व एग के रूप में रिलीज होते है I सामान्यतः जब लड़की माहवारी के आसपास यौन संबंध बनाती हैं तो इन दिनों में गर्भाशय के अंडों का आकार इतना विकसित हो जाता है कि उनमें गर्भ ठहर जाता है और वो गर्भवती हो जाती है । पर अगर लड़की मासिक धर्म चक्र के दौरान कोई यौन संबंध नहीं बनाती है तो गर्भाशय की वह परत जो मोटी होकर गर्भावस्था के लिए तैयार हो रही थी, टूटकर रक्तस्राव के रूप में बाहर निकल जाती है I इस रक्त स्त्राव को ही मासिक धर्म कहा जाता हैं।
हर लड़की को होने वाला मासिक धर्म अलग अलग उम्र में होता है I लड़कियों को यह 8 से 17 वर्ष तक की उम्र में कभी भी हो सकता हैं। हर महीने होने वाले पीरियड्स के दौरान जब उनके निचले पेल्विक हिस्से में असहनीय दर्द होता है तो यह स्थिति डिसमेनोरिया कही जाती है I डिसमेनोरीया एक स्त्रीरोग संबंधी चिकित्सा अवस्था है जिसमे माहवारी के दौरान महिला को गर्भाशय में असहनीय पीड़ा होती है I हालाँकि अधिकतर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मामूली दर्द होना आम बात है पर जब ये दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि सहन करना मुश्किल हो जाये तो यह स्थिति डिसमेनोरिया की ओर संकेत करती है I यह दर्द लड़कियों को अपने मेंस्ट्रुअल पीरियड्स से पहले या उसके दौरान अनुभव होता है जिसमे वह निचले पेट के हिस्से में तेज दर्द और ऐंठन महसूस करती है I कई लड़कियों को यह क्रैम्प्स नियमित रूप से होते हैं लेकिन उम्र के साथ यह आमतौर पर कम दर्दनाक हो जाते हैं और बच्चे के जन्म के बाद पूरी तरह से बंद हो सकते हैं।
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सा दृष्टिकोण के अनुसार, कई जड़ी-बूटियां, शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं, जो डिसमेनोरिया का कारण बनते हैं अगर वे अनुपातहीन हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में, उनके उपचार के लिए कई लाभकारी तत्व होते हैं। यह शरीर के चयापचय को बढ़ाता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से अच्छी सेहत प्राप्त होती है जो कि शरीर के दोषों को संतुलित रखती है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल और उपचार के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में लगातार सुधार कर रहे हैं। इससे उनके दैनिक जीवन की स्थिरता बढ़ती है। गोमूत्र के साथ, आयुर्वेदिक औषधियां भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को सिखाते हैं कि कैसे एक असाध्य बीमारी के साथ शांतिपूर्ण और तनावपूर्ण जीवन जीया जाये, यदि कोई रोग हो तो। हमारा परामर्श लेने के बाद से, हज़ारों लोग स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हम उन्हें एक ऐसी ज़िंदगी दें जो उनका सपना हो।
आयुर्वेद में गोमूत्र का एक अनोखा महत्व है जो डिसमेनोरिया जैसी बीमारियों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। हमारे वर्षों के कठिन परिश्रम से पता चलता है कि हमारी हर्बल दवाओं के उपयोग से डिसमेनोरिया की कई जटिलताएँ गायब हो जाती हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे पेट और पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और दर्द जो गंभीर और तीव्र होता है, पेट में दबाव, निचली पीठ से जांघों व पैरो तक दर्द, ढीला मल, जी मिचलाना और उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना, कमज़ोरी और थकान, चिडचिडापन, उल्टी के साथ दस्त लगना आदि समस्याओं में एक बड़ी राहत देखते हैं I हमारा आयुर्वेदिक उपचार रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता हैं जो इसके अनुकूल काम करता है अन्य डिसमेनोरिया जटिलताओं से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करते हैं।
अगर हम जीवन प्रत्याशा के बारे में बात कर रहे हैं तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी या तो छोटी या गंभीर अवस्था में होती है, जो मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और कई वर्षों तक मौजूद रहती है, कभी-कभी जीवन भर के लिए। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा से नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल रोग से छुटकारा दिलाती है, बल्कि उस व्यक्ति के जीवन-काल को भी बढ़ाती है, जो उसके शरीर में कोई विष नहीं छोड़ता है और यही हमारा अंतिम उद्देश्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है कि सभी को खुश रहने दें, सभी को रोग मुक्त होने दें, सभी को सत्य देखने दें, कोई भी दुःख का अनुभव नहीं करे। इस कहावत का पालन करते हुए, हम अपने समाज को इसी तरह बनाना चाहते हैं। हमारा उपाय विश्वसनीय उपचार देने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। हमारे उपाय में इस वर्तमान दुनिया में उपलब्ध किसी भी वैज्ञानिक उपचारों की तुलना में अधिक लाभ और शून्य जोखिम हैं।
व्यापक चिकित्सा अभ्यास के विपरीत, हम रोग और तत्वों के मूल उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो इस पद्धति का उपयोग करके केवल बीमारी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बीमारी की पुनरावृत्ति की संभावनाओं में सुधार कर सकते हैं, हम कुशलता से पुनरावृत्ति दर को कम रहे हैं और मानव जीवन के लिए एक नया रास्ता दे रहे हैं, जो कि उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से उनके जीवन को बेहतर तरीके से जीने का एक तरीका बताते है।
कई कारण मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द के लिए जिम्मेदार हो सकते है जिनमे शामिल है -
महिलाओं के शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन नामक एक हार्मोन उत्पादित होता है जो गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकुड़ने में मदद करता है और गर्भाशय के अस्तर को मासिक धर्म के दौरान बाहर निकालने में मदद करता है I पीरियड्स शुरू होने से पहले इन हार्मोन्स का स्तर इतना अधिक बढ़ जाता है कि गर्भाशय बहुत मजबूती से सिकुड़ता है फिर अपने अस्तर को बाहर छोड़ देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पीरियड होते हैं। मजबूती से सिकुड़ने के कारण गर्भाशय के पास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बनता है जिसकी वजह से गर्भाशय में ब्लड का फ्लो कम हो जाता है और महिला को अत्यधिक दर्द होता है।
कभी कभी महिलाओं में वेजाइना के जरिए होने वाले संक्रमण उनके प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकते हैं जो डिसमेनोरिया का कारण बन सकते है I आमतौर पर ये संक्रमण यौन संचारित जीवाणुओं के जरिये फ़ैल सकते है जो उनकी योनि को संक्रमित करते है I यह संक्रमण मासिक धर्म के समय महिलाओं के लिए सूजन और दर्द का कारण बनते है I इसके अलावा लैक्टोबैसिली बैक्टीरिया और कैण्डिडा एल्बीकैंस नामक फंगस जो योनि में संक्रमण का कारण बनते है, डिसमेनोरिया के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते है I
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली एक बेहद गंभीर समस्या होती है जिसके अंतर्गत गर्भाशय में पाई जाने वाली एंडोमेट्रियल उतकों में असामान्य बढ़ोतरी होने लगती है तथा यह गर्भाशय के बाहर की ओर फैलने लगती है I इस स्थिति में उन्हें डिसमोनोरिया उत्पन्न होने का खतरा अधिक होता है जो उनके दर्दनाक मासिक धर्म को प्रेरित करते है I
यह महिलाओं के यूट्रस अर्थात् गर्भाशय से जुड़ी बीमारी होती है l यूटराइन फाइब्रॉइड महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली गैर-कैंसर ट्यूमर होती है जिसके तहत महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियों तथा कोशिकाओं में एक या एक से अधिक गांठ बन जाती है l गर्भाशय की दीवारों पर विकसित होने वाली ये गांठ अथवा ट्यूमर यूटराइन फाइब्रॉइड कहलाती है I इस तरह की गांठ कभी भी कैंसर में परिवर्तित नहीं होती है परन्तु यह ट्यूमर छोटे आकार से लेकर बड़े आकार में तब्दील हो सकते हैं जो असामान्य मासिक धर्म और दर्द का कारण बनते है।
जब गर्भाशय की जगह बच्चा फैलोपियन ट्यूब में विकसित होने लगता है तो यह असामान्य गर्भावस्था डिसमेनोरिया का कारण बनती है I एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के दौरान फर्टिलाइज एग गर्भाशय तक पहुंचने के रास्ते में ही फंस जाता है। ऐसा अक्सर फैलोपियन ट्यूब के सूजन या किसी अन्य समस्या के कारण क्षतिग्रस्त होने की वजह से होता है। फर्टिलाइज एग के असामान्य विकास या हार्मोनल असंतुलन के कारण भी ऐसा हो सकता है जिसकी जटिलता का परिणाम डिसमेनोरिया हो सकता है I
महिलाओं को होने वाला एडिनोमायोसिस एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवार के अन्दर गर्भाशय अस्तर में वृद्धि होती है। हालाँकि यह कैंसरजनक नहीं होते है पर यह स्थिति काफी दर्दनाक हो सकती है और डिसमेनोरिया का कारण बन सकती है।
कभी कभी किसी महिला का गर्भाशय इतना छोटा होता है कि यह उनके मासिक धर्म प्रवाह को अत्यंत धीमा कर देता है जिससे गर्भाशय के अंदर दबाव बढ़ता है और यह दबाव उनके लिए अत्यधिक दर्द का कारण बनता है।
डिसमेनोरिया की स्थिति से बचने के लिए महिलाओं को अपनी जीवन शैली में कुछ जरुरी बदलाव करने की आवश्यकता है जिनमे शामिल है -
महिलाओं को होने वाली डिसमेनोरिया की समस्या के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं जिनमे शामिल है -
किसी महिला को होने वाली डिसमेनोरिया की स्थिति मुख्य रूप से दो प्रकार की हो सकती है -
प्राथमिक डिसमोनोरिया उन महिलाओं में होता है, जो मासिक धर्म से पहले और मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करती हैं। यह डिसमेनोरिया का सबसे आम प्रकार का है जो लगभग 50% से अधिक महिलाओं को प्रभावित करता है और लगभग 10% में काफी गंभीर हो सकता है। प्राथमिक डिसमेनोरिया में होने वाला दर्द अस्थाई होता है जो मासिक धर्म की सामान्य प्रक्रिया से संबंधित होता है। सामान्यतः यह दर्द पहली बार होने वाले मासिक धर्म के करीब छह महीने और सालभर में शुरू हो जाता है तथा उम्र बढ़ने के साथ यह स्थाई रूप से गायब भी हो जाता है।
जब किसी महिला के जनन अंगो में किसी तरह की कोई समस्या होती है और वो समस्या डिसमोनोरिया का कारण बनती है तो यह स्थिति सेकेंडरी डिसमेनोरिया की स्थिति कहलाती है I इन समस्याओ के अंतर्गत एंडोमेट्रियोसिस, श्रोणि सूजन की बीमारी, फाइब्रॉएड, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज एवं अन्य समस्याएं शामिल हैं। इस तरह का दर्द महिलाओं को उनके मासिक धर्म शुरू होने के करीब एक हफ्ते पहले से होने लगता है तथा मासिक धर्म आने तक अत्यधिक बढ़ जाता है I
डिसमेनोरिया से ग्रसित महिलाओं को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -