जब नाक की श्लेष्मा झिल्ली अथवा नाक की भीतरी परतों में सूजन आ जाती हैं तो यह सूजन एक साथ दोनों नथुनी को प्रभावित करती है। यह नथुनी नाक के दो चैनल होते है जो नाक के बाहर की ओर द्विभाजित होती हैं। यह श्वसन प्रणाली का हिस्सा है जिनसे होते हुए वायु नाक के माध्यम से शरीर में आती है तथा व्यक्ति साँस लेने व छोड़ने के साथ गंध की पहचान करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। राइनाइटिस यह अत्यंत आम समस्या है जिसमें कुछ पदार्थों की अतिसंवेदनशीलता से नाक की कोशिकाएं अतिसक्रिय हो जाती है तथा जुकाम के रूप में यह कोशिकाएं नाक पर अपनी अतिसक्रियता का प्रभाव डालने लगती है जिस वजह से व्यक्ति को छींक आना और नाक से पानी आना, नाक में खुजली जैसी समस्या होती है।
आमतौर पर व्यक्ति की नाक की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन वायरस, बैक्टीरिया, या एलर्जी के कारण होती है। यही वजह है की एलर्जिक राइनाइटिस, राइनाइटिस का सबसे आम प्रकार है I राइनाइटिस की मंद स्थिति कुछ हफ्तों बाद स्वतः ही समाप्त हो जाती है परन्तु इसकी गंभीर तथा एलर्जी विहीन स्थिति व्यक्ति को आजीवन परेशान कर सकती है जिससे उनका दैनिक जीवन अत्यधिक प्रभावित हो जाता है I
जैन के गोमूत्र चिकित्सा क्लिनिक का उद्देश्य प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करके एक सुखी और स्वस्थ जीवन बनाना है। हमारी चिकित्सा का अर्थ है आयुर्वेद सहित गोमूत्र व्यक्ति के तीन दोषों पर काम करता है- वात, पित्त और कफ। ये त्रि-ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं, इन दोषों में कोई भी असंतुलन, मानव स्वास्थ्य और बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे उपचार के तहत हमने इतने सारे सकारात्मक परिणाम देखे हैं। हमारे इलाज के बाद हजारों लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिला।
हमारे मरीज न केवल अपनी बीमारी को खत्म करते हैं बल्कि हमेशा के लिए एक रोग मुक्त स्वस्थ जीवन जीते हैं। यही कारण है कि लोग हमारी चिकित्सा की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में हमारे वर्षों के शोध ने हमें अपनी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद की है। हम पूरी दुनिया में एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं।
गोमूत्र चिकित्सा के दृष्टिकोण के अनुरूप कुछ जड़ी-बूटियां शारीरिक दोषों (वात, पित्त और कफ) को फिर से जीवंत करने का काम करती हैं जो कि अधिकांश राइनाइटिस का कारण बन सकती हैं यदि वे असंतुष्ट हों। उनसे निपटने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में कई लाभकारी तत्व शामिल हैं। यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है।
हम अपने गोमूत्र चिकित्सा में गोजला का उपयोग करते हैं, मूल रूप से इसका मतलब है कि हमारी दवा में मुख्य घटक गोमूत्र अर्क है। यह अर्क गाय की देसी नस्लों के मूत्र से बना है। गोजला के अपने फायदे हैं क्योंकि यह किसी भी प्रकार के संदूषण की संभावना से परे है। इसकी गुणवत्ता उच्च है एवं प्रचुर मात्रा में है। जब गोजला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाया जाता है तो यह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अधिक प्रभावी हो जाता है और विशेष बीमारियों में अनुकूल परिणाम देता है। इस अर्क का अत्यधिक परीक्षण किया गया है और इसलिए यह अधिक विश्वसनीय और लाभदायक भी है।
गोमूत्र के उपचार से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर के दोष संतुलित होते है। आज, व्यक्ति हमारी देखभाल के परिणामस्वरूप अपने स्वास्थ्य में तेजी से सुधार कर रहे हैं। यह उनके रोजमर्रा के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। गोमूत्र के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भारी खुराक, मानसिक तनाव, विकिरण और कीमोथेरेपी के उपयोग से विभिन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में काम कर सकती हैं। हम लोगों को बीमारी के साथ, यदि कोई हो तो, शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए निर्देशित करते हैं। हमारे उपचार को लेने के बाद से, हजारों लोग एक स्वस्थ जीवन जीते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी सफलता है कि हम उन्हें एक ऐसा जीवन दें जो वे सपने में देखते हैं।
आयुर्वेद में, गोमूत्र का एक विशेष स्थान है जो राइनाइटिस के लिए भी सहायक है। हमारे वर्षों के प्रतिबद्ध कार्य यह साबित करते हैं कि हमारी हर्बल दवाओं के साथ राइनाइटिस के कुछ लक्षण लगभग गायब हो जाते हैं। पीड़ित हमें बताते हैं कि वे लगातार छींकने, नाक से पानी बहने, बुखार, आँखों से पानी आना, खुजली तथा जलन, सिरदर्द, सूंघने की क्षमता में कमी, गले में बलगम अथवा कफ, खांसी आदि में एक बड़ी राहत महसूस करते हैं तथा शरीर में हार्मोनल और रासायनिक परिवर्तनों को नियंत्रित करते हैं व रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करते हैं जो राइनाइटिस की अन्य जटिलताओं के अनुकूल काम करते हैं।
अगर हम जीवन प्रत्याशा की बात करें तो गोमूत्र चिकित्सा अपने आप में एक बहुत बड़ी आशा है। कोई भी बीमारी, चाहे वह छोटे पैमाने पर हो या एक गंभीर चरण में, मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी और यह कई वर्षों तक मौजूद रहेगी, कभी-कभी जीवन भर भी। एक बार बीमारी की पहचान हो जाने के बाद, जीवन प्रत्याशा बहुत कम होने लगती है, लेकिन गोमूत्र चिकित्सा के साथ नहीं। हमारी प्राचीन चिकित्सा न केवल बीमारी से छुटकारा दिलाती है, बल्कि शरीर में किसी भी विषाक्त पदार्थों को छोड़े बिना व्यक्ति के जीवनकाल को बढ़ाती है और यह हमारा अंतिम लक्ष्य है।
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्", इसका अर्थ है सभी को हर्षित होने दें, सभी को बीमारी से मुक्त होने दें, सभी को वास्तविकता देखने दें, कोई भी संघर्ष ना करे। इस आदर्श वाक्य के पालन के माध्यम से हमें अपने समाज को इसी तरह बनाना है। हमारा उपचार विश्वसनीय उपाय देने, जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रभावित लोगों की दवा निर्भरता कम करने के माध्यम से इसे पूरा करता है। इस समकालीन समाज में, हमारे उपाय में किसी भी मौजूदा औषधीय समाधानों की तुलना में अधिक लाभ और कमियां बहुत कम हैं।
व्यापक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, हम रोग और कारकों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो केवल रोग के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रोग पुनरावृत्ति की संभावना में सुधार कर सकती हैं। इस पद्धति का उपयोग करके, हम पुनरावृत्ति दरों को सफलतापूर्वक कम कर रहे हैं और लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं ताकि वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर तरीके से अपना जीवन जी सकें।
राइनाइटिस की समस्या का मुख्य कारण किसी चीज़ के प्रति व्यक्ति का एलर्जिक होना है I यह एलर्जी व्यक्ति को निन्मलिखित कारणों से हो सकती है -
बदलते हुए मौसम में तापमान में भी गिरावट और वृद्धि होती रहती है जिससे हमारा शरीर खुद को इन परिस्थितियों में ढालने में असमर्थ होता है l बारिश में होने वाले इन्फेक्शन, सर्दियों में तापमान में वृद्धि तथा गर्मियों में अत्यधिक गर्मी, गर्म हवा, आँधी आदि व्यक्ति की नाक की एलर्जी को प्रभावित करते हैं l
कुछ खाद्य पदार्थ भी एलर्जी उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं l हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र कुछ खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों को बाहरी तत्व समझ कर उनके प्रति प्रतिक्रिया करने लगता है और ये खाद्य पदार्थ एलर्जी का कारण बन जाते हैं l ज्यादातर यह खाद्य पदार्थ मूँगफली, अनाज, नारियल, मछली, दूध व दूध से बने पदार्थ, बीज वाली सब्जियां और सोयाबीन होते है जिनमें से किसी का भी सेवन करने से व्यक्ति के शरीर में उसके प्रति प्रतिक्रिया होने लगती है l
व्यक्ति को ज्यादातर एलर्जी आनुवंशिक विरासत में मिलती है l ये एलर्जी, एलर्जिक राइनाइटिस के रूप में ज्यादा देखने को मिलती है जो परिवार के सदस्यों की कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के परिणामस्वरूप होता है l
फूलों, घास और कुछ पौधों में पाए जाने वाले पराग कण भी व्यक्ति की एलर्जी का कारण बन सकते हैं l यह पराग एक पीले रंग का पाउडर जैसा होता है जो कि हवा द्वारा प्रसारित किया जाता है l ये पराग कण नाक के जरिए व्यक्ति के शरीर में जब प्रवेश करते हैं तो इनके प्रति शरीर की संवेदनशीलता बढ़ने लगती है जो एलर्जी का कारण बनती है l
कई पालतू पशु के महीन बाल, रूसी, लार और मूत्र भी एलर्जन्स होते हैं जो व्यक्ति की एलर्जी को बढ़ा सकते हैं l ज्यादातर पालतू पशुओं से होने वाली एलर्जी में कुत्ते तथा बिल्ली शामिल हैं l
हवा में उपस्थित धूल मिट्टी के कण, वाहनों, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, हानिकारक रसायन आदि भी का सम्पर्क नाक में एलर्जी का कारण बन सकते हैं l प्रदूषित पानी का सेवन भी एलर्जी के जोखिम को बढ़ा सकता है l
सल्फा ड्रग्स, पेनिसिलिन, एस्पिरिन अथवा कुछ दर्दनाशक दवाओं के प्रति व्यक्ति का शरीर हानिकारक प्रतिक्रिया करते हैं तथा व्यक्ति को एलर्जी कर सकते है l
विभिन्न सावधानियों को बरतते हुए व्यक्ति राइनाइटिस से स्वयं का बचाव कर सकता है -
व्यक्ति को राइनाइटिस की समस्या होने के कई लक्षण और संकेत देखने को मिलते है जिनमें शामिल है -
राइनाइटिस मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है -
नाक में होने वाली एलर्जी, एलर्जिक राइनाइटिस के नाम से जानी जाती हैं। कई पदार्थ एलर्जी प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते है और शरीर को अतिरंजित और संवेदनशील बनाने का कारण बनते है। एलर्जिक राइनाइटिस के दो सामान्य प्रकार हैं-
मौसमी एलर्जी, एलर्जिक राइनाइटिस का सबसे आम कारण है जिसमें वर्ष के कुछ निश्चित समय में ही व्यक्ति को एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या पैदा होती हैं। बदलता हुआ मौसम तापमान में निरंतर परिवर्तन करता है जिससे व्यक्ति को एलर्जिक राइनाइटिस की संभावना अधिक रहती है इसी के साथ घास, खरपतवार के पराग, साथ ही साथ कवक और मोल्ड के बीजाणु आदि मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस के कारण बनते है I
लगातार एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जेंस जैसे घर की धूल-मिट्टी के कण, सिगरेट के धुएं रसायन और पालतू जानवरों की रूसी आदि के कारण व्यक्ति को राइनाइटिस की समस्या होती है जो व्यक्ति में पूरे साल राइनाइटिस के लक्षण पैदा करते हैं।
गैर-एलर्जी राइनाइटिस बिना किसी एलर्जी के होने वाले राइनाइटिस की समस्या है जिसमें किसी तरह के कोई एलर्जी तंत्र शामिल नहीं है। गैर-एलर्जी राइनाइटिस में ड्रग-प्रेरित पदार्थ, गर्म और मसालेदार भोजन, हार्मोनल बदलाव, पुराना स्वास्थ्य, संक्रमण, व्यवसाय आदि कारण जिम्मेदार होते है I
राइनाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है -